आनंद नहीं जीत सके जिंदगी की जंग, पापा के अधूरे काम करेगी बेटी

punjabkesari.in Saturday, Jan 13, 2018 - 10:31 AM (IST)

पंचकूला(मुकेश) : पंचकूला में रहने वाली रूचिका गिरहोत्रा नामक छात्रा के साथ छेड़छाड़ के मामले में हरियाणा के पूर्व डी.जी.पी. शंभू प्रताप सिंह राठौर को सजा दिलवाने वाले रुचिका की दोस्त आराधना के पिता आनंद प्रकाश (74) का पंचकूला के सैक्टर-6 स्थित सामान्य अस्पताल में बीमारी के चलते ईलाज के दौरान निधन हो गया। वह अपने पीछे पत्नी मधू जो वकील हैं, दो बेटियां अधुनिका, आराधना व एक बेटा छोड़ गए हैं। आनंद प्रकाश की बड़ी बेटी आधुनिका यू.एस.ए. में रहती है। 

 

शनिवार को उनके वहां से आने के बाद ही आनंद प्रकाश का अंतिम संस्कार किया जाएगा। आनंद प्रकाश के सबसे बड़े भाई वेद प्रकाश ने बताया कि उनके पिता बाबू राम स्वतंत्रता सेनानी थे। वह पांच भाई और दो बहनें हैं। आनंद प्रकाश दूसरे नंबर पर थे। पिछले दिनों चंडीगढ़ में वर्णिका कुंडू के साथ हुए कथित किडनैपिंग की कोशिश के मामले में भी आनंद प्रकाश अपनी पत्नी के साथ वर्णिका के घर पर गए थे और वर्णिका व उसके पिता को आश्वासन दिया था कि वे उनकी लड़ाई में हमेशा उनके साथ हैं। 

 

रुचिका को इंसाफ दिलाने वाले आनंद प्रकाश नहीं रहे :
हरियाणा के बेहद चर्चित रहे टैनिस खिलाड़ी रुचिका गिरहोत्रा केस में कई साल न्याय की लड़ाई लडऩे वाले आनंद प्रकाश का शुक्रवार को कैंसर के कारण देहांत हो गया। उन्होंने अपने संघर्ष के बूते आरोपी हरियाणा के डी.जी.पी. राठौड़ को सजा दिलवाई थी। उन्होंने 26 साल तक न्याय की लड़ाई लड़ी, सुप्रीम कोर्ट तक गए और रुचिका व उसके परिवार को न्याय दिलाया। 

 

ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म ‘आनंद’ आपको बखूबी याद होगी। कैंसर से जूझता नायक अपनी जिंदगी जी भर के जीता है और सबकी जिंदगी में भी खुशी के रंग भरता है।  बस, कुछ ऐसे ही थे आनंद प्रकाश भी। उनके जीवन का मकसद था हर हाल में रुचिका को इंसाफ दिलाना, जिसमें वे कामयाब भी हुए। वो हमेशा हमारे बीच न्याय का प्रकाश पुंज बनकर रहेंगे क्योंकि आनंद मरा नहीं, आनंद मरते नहीं...

 

पापा के अधूरे काम मां के साथ मिलकर करूंगी पूरे : आराधना
रुचिका की सहेली आराधना ने कहा कि पापा के अधूरे सामाजिक कामों को मां और मौसी के साथ मिलकर पूरा करूंगी। आराधना ने बताया कि किस तरह से रुचिका केस में उन्हें व उनके पिता आनंद प्रकाश को धमकियां मिली लेकिन उसके बावजूद उनके पिता रुचिका को इंसाफ दिलाने में पीछे नहीं हटे। 

 

रुचिका से छेड़छाड़ मामले की आराधना चश्मदीद गवाह थी। कोर्ट में गवाही के सिलसिले में 40 दिनों तक लगातार अंबाला गए। किन हालातों में कोर्ट तक पहुंचते थे यह तो मैं और मेरे पिता ही जानते हैं। धमकियां मिलने की भी आनंद प्रकाश ने कभी परवाह नहीं की। 

 

अंबाला जाने के लिए कभी गाड़ी बदल देते थे और कहीं रूट बदलते। गवाही देने के लिए ही मैं आस्टे्रलिया से आई थी। यह मेरे पिता की हिम्मत ही थी कि उन्होंने पूर्व डी.जी.पी. को सजा दिलवाई। मेरी मां और मौसी की भी अहम भूमिका रही। 

 

हरियाणा मार्कीटिंग बोर्ड को वर्ल्ड बैंक से दिलाया था पैसा :
हरियाणा की मंडियां आज जिस स्तर पर पहुंची हैं, वह आनंद प्रकाश की ही देन है। आनंद प्रकाश के करीबी नरेश मित्तल ने बताया कि आनंद मूल रूप से हरियाणा के लाडवा के रहने वाले थे। सबसे पहले उन्हेंने पी.डब्लयू.डी. में बतौर एस.डी.ओ. ज्वाइन किया था। 

 

इसके बाद वेयरहाउस कार्पोरेशन में रहे और मार्कीटिंग बोर्ड में ज्वाइन किया। मार्कीटिंग बोर्ड को वर्ल्ड बैंक से पैसा तक दिलवाने में अहम भूमिका निभाई। जिस समय आनंद प्रकाश मार्कीटिंग बोर्ड में थे, हरियाणा सरकार के अन्य विभाग उनके विभाग से पैसा लिया करते थे। यहां तक की परवाणू की टिंबल टे्रन भी आनंद प्रकाश की बनाई हुई है। 


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