पानी की बढ़ी कीमतों का अभी विरोध जारी

punjabkesari.in Sunday, Nov 01, 2020 - 10:53 PM (IST)

चंडीगढ़,(राजिंद्र शर्मा) : चंडीगढ़ रैजीडैंट एसोसिएशन वैल्फेयर फैडरेशन (क्राफ्ड) की कार्यकारिणी समिति की मीटिंग रविवार को गांधी भवन सैक्टर-16 में आयोजित की गई। बैठक में लगभग आर.डब्ल्यू.ए. के 70 प्रतिनिधियों ने भाग लिया और सभी ने अपने विचार रखे। मीटिंग में मुख्य मुद्दा पानी के बिल की बढ़ाई गई कीमतें रहा, जिस पर सभी ने रोष जताया। इसके अलावा उन्होंने चंडीगढ़ में बिजली का निजीकरण करने के प्रयास को गलत बताया है। महासचिव रजत मल्होत्रा ने हाऊसिंग बोर्ड के मकानों में नीड बेस चेंज की मांग को दोहराते हुए वन टाइम सेटलमैंट पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर को आगे आना होगा ताकि 1999 में दिल्ली नगर निगम की तर्ज पर चंडीगढ़ में भी स्कीम लागू करके मकानों में जरूरत के हिसाब से किए गए अवैध निर्माण को रैगुलर किया जा सके।

 


आवारा कुत्तों की नसबंदी का काम भी ठप पड़ा
सैक्टर-38, 39, 40 की आर.डब्ल्यू.ए. ने गारबेज डंपिंग ग्राऊंड को डड्डूमाजरा से किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने की मांगों को दोहराया। मुख्य प्रवक्ता डॉ. अनीश गर्ग ने कहा कि आज शहर की हालत बदतर हो चुकी है। शहर में अपराध भी दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। स्मार्ट सिटी की आड़ में सिर्फ शहर का ऊपर का आवरण बदला जा रहा है जबकि शहर की अंदर से यथास्थिति है। आवारा कुत्तों के नसबंदी करने का कार्य भी ठंडा पड़ा है।
रेहड़ी वाले रेटों पर मनमर्जी कर रहे
सरंक्षक मेजर डी.पी. सिंह ने कहा कि रोजाना मार्कीट कमेटी की तरफ से सब्जियों और फल की कीमतों की लिस्ट जारी होती है परंतु गलियों में रेहड़ी वाले मनमर्जी से बढ़ाकर ज्यादा भावों पर बेचते हैं और शहर में अवैध खाने-पीने के अड्डे भी लगने शुरू हो चुके हैं। वाइस चेयरमैन सुरिंदर शर्मा ने कहा कि नगर निगम के कर्मचारियों को दी गई घडिय़ां भारत के तीन चार शहरों में बखूबी काम कर रही हैं। ऐसे में कर्मचारियों को बिना किसी डर के और बिना किसी विवाद को पैदा किए इन घडिय़ों को पहनना चाहिए।
24 घंटे पानी की जरूरत नहीं
चेयरमैन हितेश पुरी ने कहा कि चंडीगढ़ के निवासियों को 24 घंटे पानी की जरूरत नहीं है। 24 घंटे पानी सप्लाई देने की आड़ में पानी की कीमतों को बढ़ाया जाना सरासर गलत है। सैक्टर-21बी की आर.डब्ल्यू.ए. के प्रधान कुलदीप सिंह गिल ने कहा कि पार्कों के रखरखाव के लिए दिए जा रहे पुराने रेट बहुत कम हैं। ऊपर से बिचौलिए अफसर पूरा पैसा नहीं देते और इन पार्कों में किसी भी कार्यक्रम की अनुमति देने से पहले प्रशासन या निगम को उस पार्क के रखरखाव करने वाली आर.डब्ल्यू.ए. से एन.ओ.सी. लेनी चाहिए।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

ashwani

Recommended News

Related News