साइबर अपराधियों को क्यों रास आ रही है क्रिप्टो करंसी के रुप में फिरौती

punjabkesari.in Wednesday, Jul 07, 2021 - 11:55 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः कंपनियों की वैबसाइटों को हैक कर के उनसे फिरौती हासिल करने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और फिरौती की यह रकम अब क्रिप्टोकरंसी के रूप में वसूली जाने लगी है। साइबर अपराध के इस ट्रैंड ने पूरी दुनिया के केंद्रीय बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को चिंता में डाला है। पिछले साल ही दुनिया भर में साइबर अपराधियों ने इस तरह की हैकिंग के जरिए फिरौती के रूप में 406 मिलियन डॉलर की क्रिप्टोकरंसी वसूल की है। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि क्रिप्टो करंसी में साइबर फिरौती का यह ट्रेंड क्यों बढ़ रहा है।

साइबर क्राइम में क्रिप्टो करंसी का इस्तेमाल कैसे हो रहा है
साइबर क्राइम से जुड़े हैकर्स द्वारा कंपनियों की वैबसाइट को हैक कर लिया जाता है। इससे या तो कंपनी के कर्मचारियों के सिस्टम धीमे हो जाते हैं अथवा वह काम करना बंद कर देते हैं। इसी बीच सिस्टम को हैक करने वाले अज्ञात हैकर्स कंपनियों के साथ संपर्क कर के उन्हें सिस्टम को हैक किए जाने की जानकारी देते हैं और इसके साथ ही उन्हें 26 से 34 अंकों का एक बिटकॉइन एक्सचेंज नंबर दिया जाता है और साथ ही पैसे जमा करवाने की मौहलत भी दी जाती है।

हैकर्स क्रिप्टो को प्राथमिकता क्यों दे रहे हैं?
दरअसल क्रिप्टो करंसी की आधारशिला तैयार करने वाले ब्लॉक चेन सिस्टम में व्यक्ति की पहचान गुप्त रखी जाती है और हैकर ब्लॉक चेन सिस्टम की इसी खामी साइबर का फायदा उठा कर फिरौती की रकम किसी अन्य नाम पर ट्रांसफर करते हैं अथवा इस रकम को किसी अन्य क्रिप्टोकरंसी में तब्दील कर के किसी दूसरे क्रिप्टो अकाउंट में ट्रांसफर करते हैं। हालांकि यह प्रक्रिया गैर कानूनी है और इस प्रक्रिया में पकडे जाने का जोखिम भी है।

दुनिया भर में साइबर हमलों से कितनी ठगी हो चुकी है
2020 में दुनिया भर में साइबर हमलों की शिकार हुई कंपनियों ने 406 मिलियन डॉलर की रकम साइबर हमलवारों को फिरौती के रूप में दी है जबकि इस वर्ष अब तक 81 मिलियन डॉलर की रकम फिरौती के रूप में दे चुके हैं। चेन एनालिसिस के डाटा के मुताबिक यह वह रकम है जिसका पीड़ितों ने खुलासा कर दिया है जबकि साइबर ठगों द्वारा साइबर हमलों के जरिए वसूली गई असल फिरौती इस से कहीं ज्यादा है। साइबर ठग ऐसी कंपनियों को खास तौर पर निशाना बनाते हैं जिन्होंने साइबर हमलों के कारण होने वाले नुक्सान से बचने के लिए बीमा करवाया होता है और सिस्टम हैक होने की स्थिति फिरौती की रकम बीमा कंपनी को देनी पड़ती है।

बिटकॉइन से पहले साइबर ठग फिरौती की रकम कैसे वसूलते थे
बिटकॉइन से पहले कंपनी की वैबसाइट हैक किए जाने के बाद साइबर अपराधी वैस्टर्न यूनियन के जरिए सीधा पैसा ट्रांसफर करवाने के अलावा गिफ्ट वाउचर का सहारा लेते थे अथवा अज्ञात बैंक खातों में सीधा पैसा ट्रांसफर करवाने को कहा जाता था। कुछ मामलों में तो नकदी का बैग किसी अज्ञात जगह पर पहुंचाने को कहा जाता था।

क्या क्रिप्टो करंसी के जरिए अदायगी ट्रेस हो सकती है
बिलकुल, जैसे ही किसी क्रिप्टो करंसी अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किए जाते हैं तो उसका पहले चरण में पता लगाया जा सकता है लेकिन सिर्फ इतनी ही जानकरी मिल पाती है कि इस अकाउंट में पैसे आए हैं लेकिन किसने पैसे दिए हैं और कितने पैसे दिए गए हैं यह जानकारी बिना पासवर्ड के मिलना मुश्किल है और साइबर अपराधी अपने ऑपरेशन से जुड़े ठगों के अलावा यह पासवर्ड किसी को नहीं बताते।

क्या कभी किसी साइबर फिरौती की अदायगी नाकाम की गई है
अमरीका की फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन कोलोनिअल पाइपलाइन कंपनी द्वारा की गई 63.5 बिटकॉइन की अदायगी को असफल बना दिया था। अमरीकी पाइप लाइन कंपनी का सिस्टम हैक कर के साइबर ठगों ने 75 बिटकॉइन की फिरौती मांगी थी और इसमें से 63.5 बिटकॉइन की अदायगी की गई थी लेकिन साइबर अपराधियों ने फिरौती की इस रकम की एंट्री को करीब एक अकाउंट्स में से घुमा दिया तथा इसी बीच यह पेमैंट एक ऐसे निजी खाते में आ गई जिसका हैकरों ने इस्तेमाल किया था और इस प्राइवेट खाते का पासवर्ड जांच एजेंसी के पास होने के कारण इस अदायगी को असफल बना दिया गया। जिस समय जांच एजेंसी ने हैकरों का यह प्रयास नाकाम किया उस समय 63.5 बिटकॉइन की कीमत 23 लाख डॉलर थी।

इस से बचाव के लिए क्या कुछ किया जा सकता है 
इसकी रोकथाम के लिए नियम जल्द ही आ सकते हैं। इंस्टीच्यूट आफ सिक्योरिटी एंड टैक्नॉलोजी ने प्राइवेट पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप में रैंसमवेयर टास्क फोर्स का गठन किया है। इस टास्क फ़ोर्स ने 81 पेजों की एक रिपोर्ट तैयार की है जिसमें इन साइबर हमलों से बचने के तरीके बनाए गए हैं और सरकारों को इसके लिए आगे आने के लिए कहा गया है।
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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