देश के तीन कॉर्पोरेट फ्रॉड्स जिन्होंने भारतीय बैंकिंग सिस्टम को हिला कर रख दिया

punjabkesari.in Wednesday, Jul 13, 2022 - 02:35 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारतीय बैंकिंग प्रणाली में सही मायने में समस्या कहां है? इस सवाल का कोई तय जवाब नहीं है लेकिन चाहे 22,842 करोड़ रुपए का एबीजी शिपयार्ड बैंक लोन फ्रॉड का मामला हो, किंगफिशर एयरलाइंस और नीरव मोदी साम्राज्य के पतन का मामला हो या आईएलएंडएफएस ग्रुप का बड़ा गड़बड़झाला, जिसमें 9900 करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला शामिल था, नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) बढ़ने के रूप में सिस्टम से पैसे का बाहर जाना जारी है। आरबीआई के एक अनुमान के मुताबिक, 6 मई 2022 तक भारतीय बैंकिंग सिस्टम द्वारा कुल ₹120 लाख करोड़ का लोन दिया गया था।

हम हाल के तीन ऐसे मामलों पर एक नजर डालते हैं जहां जनता के पैसे के हजारों करोड़ रुपए हड़प लिए जाने के काफी समय बाद लोगों को इन फाइनेंशियल फ्रॉड्स का पता चला।

एबीजी शिपयार्ड 

जहाज निर्माण के क्षेत्र की दिग्गज कंपनी गुजरात के एबीजी शिपयार्ड का पतन फाइनेंशियल ओवररीच का एक अच्छा उदाहरण है और अब मामले में सीबीआई ने 28 बैंकों के एक कॉन्सॉर्टियम (संघ) को कथित तौर पर 22,842 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने के लिए केस दर्ज किया है।

पर्यवेक्षकों को जिस बात ने हैरान किया है कि जोखिम की आशंका के बावजूद बैंकों ने एबीजी शिपयार्ड को उदारतापूर्वक कर्ज देना जारी रखा। अब यह पाया गया है कि फंड को 98 सिस्टर कन्सर्न्स (फर्मों) के माध्यम से डायवर्ट किया गया था। आखिरकार इस साल सीबीआई ने प्रमोटर ऋषि अग्रवाल और एक्जीक्यूटिव्स संथानम मुथुस्वामी और अश्विनी कुमार के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया।

ऐसे पता चला जालसाजी का

  • कहानी 2008 में लेहमैन ब्रदर्स क्राइसिस के ग्लोबल फालआउट के साथ शुरू हो सकता है।
  • 2012-13 के अंत तक एबीजी शिपयार्ड मुनाफा कमाने वाली कंपनी थी।
  • संकट का एक अहम संकेत तब मिला जब 2015 में, एबीजी शिपयार्ड को लोन (कर्ज) की रिस्ट्रक्चरिंग का भारतीय स्टेट बैंक का प्रयास विफल हो गया क्योंकि कंपनी ड्यू डेट्स पर ब्याज या किश्तों का भुगतान करने में असमर्थ साबित हुई।
  • एक ऐसी कंपनी जिसके पास विशाल शिपयार्ड्स, अंतरराष्ट्रीय ग्राहक, गवर्नमेंट ऑर्डर्स, डिफेंस शिप्स और पनडुब्बियों के निर्माण का लाइसेंस और 55 से अधिक सहायक कंपनियां थीं,  2015-16 में उसकी छवि खराब हुई, जब इसके प्रमोटरों ने इसका साथ छोड़ना शुरू कर दिया।
  • लेनदारों ने कानूनी कार्यवाही शुरू की और राजस्व खुफिया निदेशालय, मुंबई ने एबीजी कर्मचारियों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया। अकाउंट को को नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) के रूप में लेबल किया गया।
  • 2019 तक, एसबीआई में अंततः बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का आरोप लगा और अर्न्स्ट एंड यंग फोरेंसिक ऑडिट ने पाया कि गैरकानूनी रूप से लाभ पाने के मकसद से "डायवर्जन ऑफ फंड्स, मिसएप्रोप्रिएशन और क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट को अंजाम दिया गया था।"
  • एक मैरीटाइम यूनिवर्सिटी के लिए 2007 में किया गया, 50 करोड़ रुपए का एमओयू भी 2019 में सामने आया, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने इंसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड के सेक्शन 33 के तहत कंपनी के लिक्विडेशन का आदेश दिया।
  • कंपनी पर भारत की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी का आरोप है। इसने बैंकों सहित 28 संस्थानों में घोटाला किया जिसमें भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), आईडीबीआई और आईसीआईसीआई शामिल थे।
  • यह अविश्वसनीय लगता है कि इतना बड़ा घोटाला इतने लंबे समय तक रडार के नीचे रहा या सीबीआई को एबीजी कार्यालयों पर छापे मारने में लगभग पांच साल लग गए। एसबीआई ने एफआईआर के लिए 2019 और 2020 में सीबीआई को दो पत्र भी लिखे थे लेकिन मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

  
एमटेक ऑटो

मई 2022 में एक व्हिसलब्लोअर की शिकायत पर एमटेक ऑटो प्रमोटर्स के कथित रूप से 12,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ। शिकायत केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और प्रधानमंत्री कार्यालय तक भेजी गई थी।

शिकायत में एमटेक ग्रुप के 27 कर्मचारियों को नाम

  • शिकायत में एमटेक ग्रुप के 27 कर्मचारियों को नामजद किया गया है, जो फंड्स की चैनलिंग और गबन के लिए कथित तौर पर धाम परिवार के लिए माध्यम बने थे।
  • रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिकायतकर्ता दिल्ली हाई कोर्ट के एक वकील, जसकरण चावला ने एमटेक ऑटो के शीर्ष कर्मियों पर कई बैंकों के बहुत से कर्मचारियों की मदद से चिटिंग, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और बैंक लोंस की लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया।
  • शिकायत में एमटेक ऑटो के प्रमोटर अरविंद धाम, कंपनी के 27 कर्मचारियों, रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) दिनकर वेंकटब्रमण्यम, पार्टनर विवेक अग्रवाल के साथ ही एमटेक ऑटो के ट्रांजैक्शंस की फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट तैयार करने के लिए अर्न्स्ट एंड यंग (ईवाई) और आईडीबीआई बैंक के कुछ अनाम अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक जांच की मांग की गई।
  • ऐसा अनुमान है कि एमटेक समूह की कंपनियों पर बैंकों का 25,000 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया है, जो कथित रूप से 10 साल से अधिक पुराना है, इस तरह एमटेक ग्रुप की कुल उधारी एबीजी शिपयार्ड से अधिक है।
  • यह भी आरोप है कि आरपी दिनकर वेंकटसुब्रमण्यम ने मैनेजमेंट और पहले के प्रमोटरों के साथ मिलकर बैक डेट में 7,000 करोड़ की फिक्स्ड एसेट्स को राइट ऑफ करा दिया, जो यह सवाल उठाती है कि क्या ये एसेट्स फर्स्ट प्लेस पर थीं।
  • इस मार्च में, यह पाया गया कि कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय, ग्रुप के प्रमोटरों से 2,320 करोड़ रुपए की वसूली चाहता है, जो कि एमटेक समूह की कुल उधारी को देखते हुए मामूली है।
  • हालांकि व्हिसल ब्लोअर की शिकायत से जरूर कुछ तथ्य सामने आएंगे। मंत्रालय ने सीरियस फ्रॉड और इंवेस्टीगेशंस ऑफिस (एसएफआईओ) से लोन डिफॉल्टिंग की विस्तार से जांच करने को भी कहा है। सिर्फ प्रोफेशनली कॉम्प्रिहेंसिव फोरेंसिक ऑडिट और ग्रुप की सभी कंपनियों की जांच और उनके बीच लेनदेन के वेब से असली गबन किए गए पैसे का पता चल सकेगा।

 
भूषण पावर एंड स्टील

इसी साल मार्च में, सीरियस फ्रॉड इंवेस्टीगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) ने दिल्ली की एक अदालत को बताया कि भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) की वाइस-चेयरपर्सन आरती सिंघल ने अपने पति संजय सिंघल के साथ कथित तौर पर मुंबई और दिल्ली में आवासीय संपत्तियां खरीदने के लिए बैंकों से करोड़ों रुपए की राशि का गबन किया। कुल राशि सवालों के घेरे में है? 5,500 करोड़ रुपए। एसएफआईओ ने उन्हें गिरफ्तार भी किया लेकिन कुछ ही दिनों में उन्हें जमानत मिल गई। इस बीच बीपीएसएल पर बैंकों और कई वित्तीय संस्थानों के प्रति 37,000 करोड़ रुपए की देनदारी बनी हुई है।

इस धोखाधड़ी की कहानी इस तरह से सामने आई

  • पंजाब नेशनल बैंक ने 31 दिसंबर, 2015 को भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड के खातों को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) घोषित किया।
  • 2018 में, केंद्रीय जांच ब्यूरो ने इस दावे के साथ एक एफआईआर दायर किया कि भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड ने वित्तीय संस्थानों सहित 33 विभिन्न बैंकों से ऋण सुविधाओं का लाभ उठाया था।
  • 30 जनवरी, 2018 तक बकाया डिफॉल्ट राशि 47,204 करोड़ रुपए थी। एफआईआर में यह भी आरोप लगाया गया कि भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड ने ऋणदाता बैंकों को लोन अमाउंट के रीपेमेंट में जानबूझकर डिफॉल्ट किया।
  • 2019 में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सीबीआई की एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग के मामले की जांच शुरू की।
  • ईडी ने कहा कि बैंकों, वित्तीय संस्थानों और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने वाले फर्जी दस्तावेजों और खातों के माध्यम से बैंक फंड का दुरुपयोग और जालसाजी की गई।
  • मार्च 2021 में, जेएसडब्ल्यू स्टील ने बैंकरप्सी रिजॉल्यूशन प्रोसेस के बाद बीपीएसएल का अधिग्रहण कर लिया, लेकिन एसएफआईओ, सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियों ने कथित अनियमितताओं के मामले में अपनी जांच जारी रखी।
  • एसएफआईओ ने पाया कि 2006 और 2019 के बीच बीपीएसएल की निदेशक, और कंपनी के प्राइमरी और संबद्ध बैंक खातों में अपने पति के साथ को-सिग्नेटरी, आरती सिंघल "कंपनी द्वारा की गई सभी धोखाधड़ी गतिविधियों" का हिस्सा थीं।"
  • एजेंसी ने कहा कि बीपीएसएल ने कथित तौर पर परिवार के लिए संपत्ति खरीदने के लिए पेपर कंपनीज को फंड डायवर्ट किया। सिंघल दंपति ने 2009 और 2017 के बीच कथित तौर पर 1,084.93 करोड़ रुपए का लाभ लिया।
     

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

jyoti choudhary

Recommended News

Related News