इन फैक्टर्स ने बाजार को किया घायल, एक नहीं...कई हैं इसके कारण

punjabkesari.in Monday, Dec 20, 2021 - 05:42 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः दुनिया में कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन से बिगड़ती स्थिति और वैश्विक बाजारों में कमजोरी का असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिला। हफ्ते के पहले दिन सोमवार को सेंसेक्स 1,189.73 (2.09%) गिरकर 55,822.01 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 371.00 (2.18%) की गिरावट के साथ 16,614.20 पर आ गया। बाजार में गिरावट के पीछे कई कारण हैं...

शेयर बाजार की समझ रखने वाले विश्लेषकों का कहना है कि बढ़ती महंगाई, ओमीक्रॉन के नए वेरिएंट के कारण कोविड के मामलों में विस्फोट, FIIs द्वारा निरंतर बिक्री और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में धीमी विकास गति ने बाजार को पटरी से उतार दिया है।

वायरस का खतरा
कोविड-19 के तेजी से फैलने वाले इस वैरिएंट ने निवेशकों को डराना जारी रखा क्योंकि यूरोप के अधिकांश देश इसको नियंत्रित करने के लिए परेशान रहे। मार्केट एस्कपर्ट्स का मानना ​​​​है कि सामान्य होती वैश्विक अर्थव्यवस्था के ठीक एक साल बाद एक और सख्त लॉकडाउन की संभावना आर्थिक सुधार को भारी नुकसान पहुंचा सकती है।

दुनिया भर के बाजारों में गिरावट
वॉल स्ट्रीट शुक्रवार को निचले स्तर पर बंद हुआ जबकि सभी तीन प्रमुख अमेरिकी इंडेक्स फेड द्वारा बुधवार को मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए 2022 के अंत तक तीन बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी के संकेत के बाद गिरावट के साथ बंद हुए।

केंद्रीय बैंकों की सख्त नीति
वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों के कठोर रुख ने भी एशिया में इक्विटी बाजारों पर असर डाला है। फेड ने महामारी के दौरान प्रोत्साहन देने के अपने रुख से पीछे हटने का विचार व्यक्त किए जाने पर कई केंद्रीय बैंकों ने अपने-अपने देशों में मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए दरें बढ़ाई हैं।

FII की लगातार बिकवाली
विकसित बाजारों में केंद्रीय बैंकों द्वारा नीतियों को सख्त करने के परिणामस्वरूप भारत और अन्य उभरते बाजारों में एफआईआई द्वारा बेरोकटोक और लगातार बिकवाली देखने को मिली है। केवल दिसंबर महीने में FII ने कैश मार्केट में 26,000 करोड़ रुपए से अधिक की शुद्ध बिकवाली की जो इस साल एक महीने में की गई सबसे अधिक बिक्री है।


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Content Writer

jyoti choudhary

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