देश में विलय की परंपरा बहुत पुरानी, जानें कब-क​ब बदली बैंकों की तस्वीर

punjabkesari.in Monday, Feb 10, 2020 - 12:51 PM (IST)

बिजनेस डेस्क: भारत में बैंकिंग क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता को देखते हुए बहुत जल्द 10 सरकारी बैंकों के मर्जर की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। सरकार की तरफ से नोटिफिकेशन जारी होने के बाद 10 सरकारी बैंकों का विलय कर उन्हे 4 बड़े बैंकों में तब्दील कर दि​या जाएगा। इसका मुख्य उद्येश्य देश के बैंकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाना है ताकि उनको प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके और देश के वित्तीय ढांचे को मजबूत किया जा सके। आपको बता दें कि बैंक विलय का चलन आज का नहीं बल्कि सदियों पुराना है। लीजिए बैंक विलय के इतिहास से लेकर इससे होने वाले लाभ की पूरी जानकारी 

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इतिहास 

  • भारतीय बैंक संघ के आंकड़ों के मुताबिक़ देश में 1985 से अब तक छोटे-बड़े 49 विलय हो चुके हैं। 
  • 1993-94 में पंजाब नेशनल बैंक और न्यू इंडिया बैंक का विलय हुआ। 
  • 2004 में ओरिएण्टल बैंक ऑफ़ कॉमर्स और ग्लोबल ट्रस्ट बैंक के बीच विलय हुआ।
  • 2008 में स्टेट बैंक ऑफ़ सौराष्ट्र का विलय SBI में हुआ। 
  • 2010 में स्टेट बैंक ऑफ़ इदौर का विलय SBI में हुआ। 
  • 2017 को भारतीय स्टेट बैंक के सहयोगी बैंकों (State Bank of Patiala, State Bank of Travancore, State Bank of Bikaner and Jaipur, State Bank of Hyderabad, State Bank of Mysore, Mahila Bank) का विलय SBI में हुआ।

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अब किसका होगा विलय 

  • अब पंजाब नेशनल बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ़ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक मिल जाएंगे और यह देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक हो जाएगा। 
  • कैनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक मिला दिए जाएंगे। 
  • यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया के साथ आंध्र बैंक एवं कॉर्पोरेशन बैंक का विलय होगा। 
  • इंडियन बैंक इलाहबाद बैंक में मिल जाएगा। 

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बैंकों के विलय के लाभ 

  • विलय के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की ऋण देने की क्षमता बढ़ जाएगी और उनकी बैलेंस शीट भी मजबूत होगी। 
  • ये बड़े बैंक विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और अपनी ऋण देने की लागत को कम करके परिचालन क्षमता को बढ़ाने में भी सक्षम होंगे। 
  • भारत को 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए भारी मात्रा में निवेश की आवश्यकता है। अगर बैंकों के पास बड़े प्रोजेक्ट को लोन देने की सुविधा होगी तो इससे देश का आर्थिक विकास तेज होगा। 
  • कुछ सरकारी बैंक देश के एक निश्चित भूभाग में ही सक्रिय हैं. इनका विलय होने से ये अपनी पहुंच को अन्य क्षेत्रों में विस्तार दे सकते हैं.
  • बड़ा हो जाने पर सरकारी बैंक अधिक से अधिक उत्पाद और सेवाए। देने में समर्थ हो सकते हैं। 
  • बड़े-बड़े बैंक होने से भारत के बैंकों को विश्व के बाजार में अधिक पहचान और रेटिंग मिलेगी। 
  • विलय के पश्चात् बैंक कर्मियों की मोल-तोल की शक्ति बढ़ जायेगी।
  • बैंक कर्मी भविष्य में बेहतर वेतन एवं सेवा-शर्तें प्राप्त कर सकतें हैं। 
  • अलग-अलग बैंकों में कर्मियों को मिलने वाले लाभ और उनकी सेवा-शर्तें अलग-अलग होती हैं। विलय होने से यह असमानता दूर हो जायेगी।

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ग्राहकों पर होगा ये असर

  • बैंकों के मर्जर के बाद खाताधारकों की जमापूंजी पर कोई असर नहीं होगा। हालांकि पेपरवर्क का काम थोड़ा बढ़ जाएगा।
  • आपका खाता नंबर और इंटरनेट कस्टमर आईडी में बदलाव हो सकता है। 
  • आपका खाता इन बैंकों में है तो आपको अपनी चेकबुक बदलने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। हालांकि मौजूदा चेकबुक कुछ समय के लिए मान्य रहेगी, लेकि बाद में बदलना पड़ता है। 
  • जिन ग्राहकों को नए अकाउंट नंबर या IFSC कोड अलॉट किए जाएंगे। उन्हें इन सभी डीटेल्स को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, इंश्योरेंस कंपनियां, म्यूचुअल फंड और नैशनल पेंशन सिस्टम (NPS) इत्यादि जगह पर अपडेट कराना होगा।
     

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vasudha

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