अर्थव्यवस्था को लग सकता है एक और बड़ा झटका, लौट सकता है लोन डूबने का दौर!

punjabkesari.in Wednesday, Aug 28, 2019 - 06:54 PM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय अर्थव्यवस्था में इन दिनों मंदी का दौर चल रहा है। ऐसे वक्त में अर्थव्यवस्था को एक और बड़ा झटका लग सकता है। दरअसल बैंकिंग सेक्टर में फिर से लोन डूबने का दौर शुरू हो सकता है। इसके पीछे वजह NBFC (Non Banking Finance Companies) और अन्य कर्जदाता कंपनियों की खराब क्रेडिट कंडीशन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। रिजर्व बैंक ने बीती 7 जून को एक फ्रेमवर्क के जरिए बैंकों को डूबे हुए लोन से राहत देने के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपए का कर्ज मुहैया कराया था।

एक खबर के अनुसार, कर्ज के 2.4 लाख करोड़ रुपए में से 70 प्रतिशत रकम के डूबने का खतरा है। बैंकों का एनपीए (Non Performing Asset) बीते साल मार्च, 2018 में 11.7 प्रतिशत था, जो कि मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में घटकर 9.6 प्रतिशत रह गया था। अब मशहूर निवेशक बैंक और वित्तीय सेवा कंपनी Credit Suisse के विश्लेषण के अनुसार, देश की अर्थव्यवस्था में एनपीए फिर से बढ़कर 12 प्रतिशत से ज्यादा हो सकता है।

Credit Suisse के रिसर्च एनालिस्ट आशीष गुप्ता के अनुसार, इंटर क्रेडिटर्स एग्रीमेंट से पता चलता है कि डूबे लोन का दौर फिर से आ सकता है। मुश्किल हालात से गुजर रहीं 16 कॉरपोरेट कंपनियों को दिया गया 2.4 लाख करोड़ रुपए के कर्ज पर संकट है। आशीष गुप्ता के अनुसार, मौजूदा ICA में से 50 प्रतिशत वित्त से जुड़ा है, जबकि 70 प्रतिशत कर्ज के गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के तहत डूबने का खतरा है।

रिपोर्ट के अनुसार, जिन कंपनियों के कर्ज के डूबने का खतरा है, उनका ब्याज कवरेज अनुपात 1 प्रतिशत से भी कम है, जबकि जून की तिमाही में यह 42 प्रतिशत था। बता दें कि ब्याज कवरेज अनुपात कंपनी द्वारा अपनी कमाई से ब्याज की किस्तों के भुगतान के आधार पर मापा जाता है। ऐसे में कंपनियों के मौजूदा हालात को देखते हुए इसके डूबने का खतरा काफी ज्यादा दिखाई दे रहा है।

भारतीय अर्थव्यवस्था बीते 5 सालों के दौरान सबसे धीमी गति से आगे बढ़ रही है। जिसका असर कंपनियों के बिजनेस पर दिखाई दे रहा है। कंपनियों का क्रेडिट प्रोफाइल बीते 19 माह के दौरान सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। वहीं कर्ज क्वालिटी इंडेक्स भी जून 2019 में काफी नीचे गिर गया है।


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jyoti choudhary

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