भारत में बनेगी सेमीकंडक्टर चिपः ताइवान के साथ हो सकती है 7.5 अरब डॉलर की मेगा डील

punjabkesari.in Monday, Sep 27, 2021 - 06:03 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः दुनिया भर में सेमीकंडक्टर चिप की कमी की वजह से इस समय कई तरह के संकट देखने को मिल रहे हैं। जिसका असर कार, मोबाइल फोन और दूसरे टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट के उत्पादन पर पड़ा है। चिप की कमी को दूर करने के लिए भारत और ताइवान के बीच एक समझौते पर बातचीत चल रही है, जिसके तहत भारत में ही चिप का प्रोडक्शन किया जाएगा।  

PunjabKesari

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और ताइवान के अधिकारियों ने हाल के हफ्तों में एक सौदे पर चर्चा के लिए मुलाकात की है, जिसके तहत 7.5 अरब डॉलर की लागत से भारत में चिप प्लांट स्थापित किया जाएगा। जिसमें 5G उपकरणों से लेकर इलेक्ट्रिक कार तक की सप्लाई होगी।

यह भी पढ़ें- इन्फोसिस के बाद अब Amazon पर टारगेट, RSS से जुड़ी पत्रिका ने बताया 'ईस्ट इंडिया कंपनी 2.0'

चिप बाजार में ताइवान की बड़ी हिस्सेदारी 
सेमीकंडक्टर चिप की वैश्विक कमी के कारण कई देश और मल्टीनेशनल कंपनियां चिंतित हैं, क्योंकि इसने उत्पादन और बिक्री को काफी हद तक प्रभावित किया है और हाल में इसका कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है। सेमीकंडक्टर्स या चिप बाजार में ताइवान की बड़ी हिस्सेदारी है। सिलिकॉन से बने इन चिप का इस्तेमाल कंप्यूटर, लैपटॉप, टीवी, स्मार्टफोन, कार, फ्रिज, घर में मौजूद कई उपकरणों में होता है।

PunjabKesari

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन (TSMC) दुनिया का सबसे बड़ा चिप निर्माता है। इसके ग्राहकों में Qualcomm, Nivdia और Apple जैसी कंपनियां शामिल हैं। चिप निर्माण में इसकी हिस्सेदारी 56 फीसदी है। कोविड महामारी के दौरान इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की बिक्री में बढ़ोतरी के कारण सेमीकंडक्टर की मांग काफी बढ़ गई लेकिन सिर्फ कोविड-19 ही एक इसकी कमी की वजह नहीं है।

यह भी पढ़ें- इक्रा ने चालू वित्त वर्ष के लिए GDP वृद्धि का अनुमान बढ़ाकर 9% किया  

अमेरिका और चीन के बीच तनाव भी फैक्टर
अमेरिका और चीन के बीच तनाव भी इसमें बहुत बड़ा फैक्टर है। चूंकि कई अमेरिकी कंपनियां चीनी कंपनियों के साथ बिजनेस करती हैं। उदाहरण के लिए अमेरिकी चिप निर्माताओं को सप्लाई करने वाली कंपनी Huawei को अमेरिकी सरकार ने ब्लैक लिस्ट कर दिया है। इसलिए अब मांग को पूरा करने में लंबा समय लग सकता है।

PunjabKesari

मई में गार्टनर द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, सभी डिवाइसों में इस्तेमाल होने वाले चिप की किल्लत 2022 की दूसरी तिमाही तक रह सकती है। अगस्त में सेमीकंडक्टर के आर्डर और डिलिवरी के बीच का गैप जुलाई में 6 हफ्ते के मुकाबले बढ़कर 21 हफ्ता हो गया था।

यह भी पढ़ें- टोयोटा की सेडान Yaris की बिक्री भारत में बंद, जानिए क्या है कंपनी के फैसले की वजह

ऑटोमोबाइल थोक बिक्री में 11% की गिरावट
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने इस महीने कहा था कि ऑटोमोबाईल उद्योग में सेमीकंडक्टर की कमी से उत्पादन गतिविधियां प्रभावित हुई है। इसकी वजह से पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अगस्त में ऑटोमोबाइल थोक बिक्री में 11 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। सेमीकंडक्टर की कमी के कारण सितंबर में मारूति सुजुरी के उत्पादन में 60 फीसदी की कटौती देखने को मिल सकती है। वहीं महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कहा है कि सेमीकंडक्टर की कमी के कारण वह सितंबर में 20-25 फीसदी उत्पादन घटाएगा।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

jyoti choudhary

Recommended News

Related News