जब तक महामारी नियंत्रित न हो, समर्थन देने वाली मौद्रिक-वित्तीय नीतियों की जरूरत: IMF

punjabkesari.in Friday, Jan 29, 2021 - 04:46 PM (IST)

वाशिंगटनः अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एक अधिकारी का कहना है कि जब तक महामारी नियंत्रित नहीं हो जाती है, तब तक के लिए दुनिया भर के देशों को तत्काल तौर पर समर्थन प्रदान करने वाली मौद्रिक व राजकोषीय नीतियां अपनाने की जरूरत है। अधिकारी ने भारत जैसे देशों में वित्तीय स्थिरता को प्रभावित कर सकने वाले बाहरी पूंजी प्रवाह में उतार-चढ़ाव के खिलाफ सुरक्षा घेरा तैयार करने की भी वकालत भी की है। 

आईएमएफ के मौद्रिक एवं पूंजी बाजार विभाग के वित्तीय परामर्शदाता एवं निदेशक तोबियास एड्रियान ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण अर्थव्यवस्थाएं बेहद नकारात्मक तरीके से प्रभावित हुई हैं। उन्होंने कहा कि 2020 के दौरान अधिकांश देशों में आर्थिक गतिविधियां तेजी से घटीं। उन्होंने कहा, ‘‘जब तक महामारी नियंत्रित नहीं हो जाती है, तब तक के लिए समर्थन प्रदान करने वाली मौद्रिक व राजकोषीय नीतियों की आवश्यकता बनी रहेंगी। हमें हमारे सदस्य देशों के लिए अभी यही ठीक लग रहा है।'' 

एड्रियान ने कहा, ‘‘आर्थिक नीति के मोर्चे पर अच्छी चीज है कि अनुकूल समर्थन मिलता रहा है और इसने महामारी से गिरावट के असर को कम करने में मदद की है। अत: पुनरुद्धार की उम्मीद है।'' उन्होंने कहा कि महामारी ने पिछले साल की शुरुआत में वित्तीय बाजारों में काफी दबाव पैदा किया। आईएमएफ अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय बैंकों ने मौद्रिक नीति को आसान बनाने, तरलता प्रदान करने और वित्तीय बाजारों में महामारी के चलते वास्तव में गिरावट को रोकने के लिए बहुत जल्दी कदम उठाए। ये कदम प्रभावी साबित हुए। उन्होंने कहा कि दूसरी महत्वपूर्ण चीज है, वह है विश्व स्तर पर बैंकिंग प्रणाली की स्थिरता। 

एड्रियान ने कहा कि आईएमएफ ने 30 देशों में वैश्विक बैंक तनाव परीक्षण किया। इसमें पाया गया कि प्रतिकूल परिदृश्यों में भी वैश्विक स्तर पर बैंक अच्छी तरह से पूंजीपोषित हैं। यह वह वास्तव में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 10 साल के नियामक सुधारों का परिणाम है। संकट की प्रतिक्रिया का तीसरा महत्वपूर्ण तत्व राजकोषीय उपाय रहा है। दुनिया भर के देशों ने कॉरपोरेट क्षेत्र को सहायता प्रदान करने के लिए बड़े राजकोषीय उपाय किए हैं। एड्रियान ने कहा कि भारत वित्तीय क्षेत्र में कई पुरानी दिक्कतों के साथ इस भयानक महामारी की चपेट में आया। कोर बैंकिंग प्रणाली में,कुछ कमजोरियां थीं, जो गैर-निष्पादित ऋण से संबंधित थीं। उन्होंने कहा कि भारत में गैर-बैंकिंग क्षेत्र भी बहुत महत्वपूर्ण है। 

उन्होंने कहा, ‘‘वित्तीय कंपनियां बहुत तेजी से बढ़ीं और इन वित्त कंपनियों के ऋणों में तेजी से संकुचन हुआ। इससे कुछ नकारात्मक प्रतिक्रियाएं बढ़ सकती हैं, जो हमने देखा भी। अत: महामारी के पहले से ही गैर-बैंकिंग क्षेत्र में कुछ दिक्कतें थीं। ये दिक्कतें आर्थिक गिरावट के साथ बढ़ रही थीं और निश्चित तौर पर महामारी के कारण लागू हुए लॉकडाउन ने इन्हें बड़ा किया।'' आईएमएफ अधिकारी ने कहा, ‘‘आने वाले समय के लिए हमने भारत को लेकर कुछ हद तक परिदृश्य को बेहतर किया है। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि मजबूत आर्थिक परिदृश्य बैंकिंग क्षेत्र में भी बेहतर परिणाम पाने में मदद करेगा लेकिन निश्चित तौर पर भारत में नियामक उन दिक्कतों को दूर करने में लगे हैं।'' 


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jyoti choudhary

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