पर्याप्त स्टॉक के बावजूद भी लक्ष्य से कम ही रहेगा चीनी निर्यात, कीमतें बढ़ने के भी आसार

punjabkesari.in Wednesday, Mar 03, 2021 - 06:15 PM (IST)

नई दिल्लीः शिपमेंट और लॉजिस्टिक्स चुनौतियों की वजह से भारत इस साल चीनी निर्यात के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएगा। इससे अब चीनी के भाव बढ़ने के आसार हैं। भारत चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यहां जबरदस्त स्टॉक होने के बावजूद भी सरकार द्वारा तय किए गए लक्ष्य से करीब 20 फीसदी कम चीनी का ही निर्यात हो सकेगा। एक मीडिया रिपोर्ट में ट्रेडर्स और एनलिस्टों के हवाले से यह जानकारी दी गई है। भारत की ओर से सप्लाई में यह कमी एक ऐसे समय पर होने वाली है, जब पहले ही वैश्विक बाजार में चीनी के भाव बढ़ रहे हैं।

फरवरी में लगातार 10 दिनों तक कच्चे शुगर के वायदा भाव में तेजी देखने को मिली थी। पिछले 6 दशक में ऐसा पहली बार हुआ है। थाईलैंड और यूरोपीय देशों में इस साल चीनी का उत्पादन कम हुआ है। ठीक इसी समय एशियाई बाजारों में चीनी की मांग भी बढ़ी है। ऐसे में भारत से चीनी निर्यात का लक्ष्य न पूरा होने से वैश्विक बाजार के लिए चुनौतियां बढ़ सकती हैं।

सब्सिडी में देरी ने बढ़ाई मुसीबत
एक मीडिया रिपोर्ट में कमोडिटी ट्रेडर के हवाले से कहा गया है कि भले ही वैश्विक बाजार में चीनी का भाव बढ़ गया हो लेकिन भारत से चीनी के निर्यात का लक्ष्य नहीं पूरा हो सकेगा। दरअसल, इस बार सरकारी सब्सिडी में देरी की वजह से चीनी का निर्यात भी देर से ही शुरू हुआ है। इसके साथ ही कंटेनरों की कमी और आगामी मॉनसून की वजह से बंदरगाहों पर लोडिंग की समस्या से भी जूझना पड़ सकता है।

वैश्विक बाजार की तुलना में भारत में ही चीनी का भाव ज्यादा है। यही कारण है कि सरकार इस अंतर को कम करने के लिए सब्सिडी का सहारा ले रही है लेकिन सरकार द्वारा सब्सिडी के बावजूद भी इस बार लक्ष्य को पूरा करने में मुश्किलें आने वाली हैं।

सरकार ने 60 लाख टन चीनी निर्यात का लक्ष्य रखा था 
एक सर्वे के मुताबिक, सितंबर महीने में ख़त्म होने वाले साल तक करीब 49 लाख टन चीनी का ही शिपमेंट पूरा हो सकेगा। सरकार ने 60 लाख टन का लक्ष्य रखा है। इंडियन शुगर मिल्स ने भी कुछ ऐसा ही अनुमान भी जताया है। 2019-20 के दौरान भारत से कुल 50.9 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया था। कंटेनरों की कमी और शि​पिंग सर्विसेज़ में प्रतिस्पर्धा भी देरी का एक कारण हो सकता है। शिपिंग सर्विसेज की सुविधा देने वाले फर्म्स बड़ी मात्रा में चावल और ऑयलसीड्स निर्यात करने में जुटे हैं।


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Content Writer

jyoti choudhary

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