अगले माह बढ़ सकते हैं स्टील के दाम

punjabkesari.in Saturday, Jan 13, 2018 - 11:52 AM (IST)

नई दिल्लीः जनवरी में कीमतों में 5 से 6 प्रतिशत इजाफा करने के बाद भारतीय स्टील कंपनियां फरवरी में भी 2,500 से 3,000 रुपए प्रति टन दाम बढ़ाने की फिराक में हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की खनन कंपनी राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एन.एम.डी.सी.) द्वारा लौह अयस्क के दाम 19 से 22 प्रतिशत बढ़ाए जाने और उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक 5 प्रमुख खदानों से उत्पादन बंद करने के बाद ओडिशा की निजी खनन कंपनियों ने भी लौह अयस्क के दाम बढ़ा दिए हैं। इससे पहले दिसम्बर में भी एन.एम.डी.सी. ने लौह अयस्क की कीमतों में 10 से 13 प्रतिशत का इजाफा किया था। इससे इस्पात विनिर्माताओं की लागत भी खासी बढ़ गई है।

कच्चे माल की लागत बढऩे से दबाव बढ़ा
कच्चे माल की लागत बढऩे से स्टील कंपनियों पर कीमतें बढ़ाने का दबाव है। इसी क्रम में जनवरी में स्टील के दाम में 2,500 रुपए प्रति टन की वृद्धि की गई थी और फरवरी में एक बार फिर दाम बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। जे.एस.डब्ल्यू. समूह के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सज्जन जिंदल ने ट्वीट किया कि एन.एम.डी.सी. और ओडिशा की निजी खनन कंपनियों द्वारा लौह अयस्क की कीमतों में हालिया बढ़ौतरी के बाद स्टील कंपनियों पर भी अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है।

खदानों को बंद करने से लोगों का रोजगार छिना
जिंदल ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि खदानों को बंद करने से लोगों का रोजगार छिन रहा है और सरकार को रॉयल्टी का भी नुक्सान हो रहा है। ऐसे में इससे किसी को भी मदद नहीं मिल रही है, इसलिए सरकार को ओडिशा में लौह अयस्क उत्पादन बंद करने के बजाय नए समाधान पर काम करना चाहिए। सरकार को उच्चतम न्यायालय में संपर्क करना चाहिए और बताना चाहिए कि 2 करोड़ टन अतिरिक्त लौह अयस्क की किल्लत से स्थिति बिगड़ेगी और छोटी कंपनियों को अपना परिचालन बंद करना पड़ेगा।

अन्य कच्चे माल की लागत में हुआ काफी इजाफा
पिछले छह महीनों में अन्य कच्चे माल की लागत में काफी इजाफा हुआ है। कोकिंग कोयले की कीमत फिलहाल ऑस्ट्रेलियाई बैंचमार्क  भाव जून 2017 से करीब 73 प्रतिशत बढ़कर 269 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई है। जे.एस.डब्ल्यू. स्टील के निदेशक (वाणिज्यिक) जयंत आचार्य ने कहा कि जनवरी में 5 से 6 प्रतिशत दाम बढ़ाए जाने के बावजूद भी आयातित स्टील 2,500 से 3,000 रुपए प्रति टन महंगा है। ऐसे में फरवरी में दाम बढ़ाकर इस अंतर को पाटा जा सकता है। 


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