नोटबंदी और जी.एस.टी. के बाद सुस्त रही कृषि क्षेत्र की रफ्तार

punjabkesari.in Wednesday, Jan 23, 2019 - 03:17 PM (IST)

नई दिल्ली: हाल के समय में कर्ज की उपलब्धता में हुए इजाफे को देखें तो अर्थव्यवस्था में सुधार साफ  दिखता है लेकिन अतीत के उलट इस दौरान प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र में कर्ज की विकास दर सुस्त बनी हुई है। एक रिपोर्ट के अनुसार गत 18 महीनों के दौरान यह इकाई के अंक से आगे नहीं बढ़ सकी। इससे अंदाजा लग जाता है कि क्यों नोटबंदी और जी.एस.टी. के बाद ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में छाई सुस्ती अब भी जारी है। सूत्रों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के पिछले 5 सालों के डाटा विश्लेषण के आधार पर यह जानकारी दी है। उसके मुताबिक प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र का ऋण बकाया सकल बैंक ऋण की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ता रहा है, इस क्षेत्र के तहत कृषि और उससे संबद्ध गतिविधियों के अलावा सूक्ष्म व लघु उद्योग, गरीबों के लिए घर, छात्रों की शिक्षा, कम आय वाले समूह और कमजोर वर्ग आते हैं। 

आर.बी.आई. के नियमों के मुताबिक बैंकों को अपने ऋण में से 40 प्रतिशत हिस्सा इस क्षेत्र के लिए अलग से रखना पड़ता है। ऐसा अर्थव्यवस्था के समग्र विकास के उद्देश्य के तहत किया जाता है। नोटबंदी से पहले यह ऋण देने की दर सकल बैंक क्रैडिट की तुलना में सामान्य रूप से बढ़ रही थी लेकिन नोटबंदी और जी.एस.टी. के बाद इसमें गिरावट दर्ज की गई, खास तौर पर कृषि क्षेत्र में। वास्तव में नवम्बर, 2018 में प्राथमिकता वाले क्षेत्र के लिए बैंक ऋण बकाया 8.4 प्रतिशत बढ़ गया जो सकल बैंक ऋण की वृद्धि दर 13.6 प्रतिशत से बहुत धीमी है। 

प्राथमिकता वाले क्षेत्र के लोन में अधिकांश वसूली सूक्ष्म और लघु उद्यम से हुई है। यह वसूली इस क्षेत्र में लोन देने के बाद आई है। पिछले 18 महीनों में प्राथमिकता वाले सैक्टर क्रैडिट में ग्रोथ 3.3 से लेकर 9.3 प्रतिशत तक रही। सबसे कम जुलाई, 2017 में 3.3 और सबसे ज्यादा 9.3 प्रतिशत अक्तूबर, 2018 में रही। इसी अवधि में ग्रोस बैंक क्रैडिट भी जून, 2017 में 4.4 और नवम्बर, 2018 में 13.6 प्रतिशत दर्ज किया गया।


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Isha

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