आर्थिक स्थिति और ऑटो सैक्टर स्लोडाऊन पर बोले SBI चेयरमैन, सिस्टम में नकदी बढ़ानी पड़ेगी

punjabkesari.in Saturday, Sep 14, 2019 - 12:30 PM (IST)

लेह (नरेश कुमार): स्टेट बैंक आफ  इंडिया (एस.बी.आई.) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने आर्थिक स्थिति और ऑटो सैक्टर के स्लोडाऊन पर कहा है कि देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए हमें क्रैडिट फ्लो बढ़ाना पड़ेगा क्योंकि आर्थिकता में यह ठहराव ग्रामीण क्षेत्रों से मांग में कमी के चलते है और मांग में सुधार के साथ आर्थिकता में सुधार आएगा। लेह में आर्मी को नई एम्बूलैंस भेंट करने के बाद पंजाब केसरी के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों से नकदी का फ्लो बढऩे लगा है और इसके नतीजे आने में 2 से 3 माह का समय लग सकता है। इस दौरान उन्होंने आर्थिकता से जुड़े तमाम मुद्दों पर बात की। पेश है उनका पूरा इंटरव्यू :

सवाल : मौजूदा आर्थिक स्थिति को आप कैसे देखते हैं? क्या यहां से सुधार की गुंजाइश नजर आती है?
जवाब :
पिछले 15 साल की आर्थिक स्थिति का विश्लेषण किया जाए तो ऐसा कुछ अरसे बाद होता आया है और स्थिति फिर सामान्य हो जाती है। जहां तक इसके कारण का सवाल है तो इसके अंदरूनी के अलावा बाहरी कारण भी हैं और हम वैश्विक आर्थिक हालातों से अछूते नहीं रह सकते। अंदरूनी स्तर पर एक साथ इतने ज्यादा आर्थिक सुधार एक साथ करने का भी फर्क पड़ा है। हमने जी.एस.टी. के अलावा रियल एस्टेट सैक्टर में भी सुधार देखे हैं। इसके अलावा सरकार द्वारा इंसोल्वैंसी एंड बैंकरप्सी कोड में सुधार से भी काफी फर्क पड़ा है लेकिन स्थिति अब धीरे-धीरे सुधरेगी।

सवाल: क्या मौजूद तिमाही की लोन डिमांड से स्थिति में सुधार लग रहा है?
जवाब: हां, हमें सुधार के संकेत मिल रहे हैं। हालांकि ऑटो सैक्टर में मांग की कमी अभी भी बहस का विषय है लेकिन एन.बी.एफ.सी. सैक्टर का कैश फ्लो बढ़ा है और इसके अलावा अब त्यौहारी मांग भी निकलेगी। मानसून अच्छा रहा है और वैसे भी साल की आखिरी तिमाही में मांग में तेजी आती है। सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों का जमीन पर असर आने में भी 2-3 माह लगेंगे। ऐसे में सुधार की गुंजाइश तो बन रही है।

सवाल: हाल ही में एलटिको द्वारा किए गए डिफाल्ट और बैंकर्स की प्रतिक्रिया से एन.बी.एफ.सी. संकट गहरा नहीं जाएगा?
जवाब:
मुझे लगता है कि बैंकर्स को इस मामले में सैलफिश होने की बजाए संयम से काम लेना चाहिए। यदि बैंकर्स क्रैडिट ब्लाक करेंगे तो पूरा सिस्टम इससे प्रभावित्त होगा। ऐसे मामलों में बैंकर्स को एक राय बना कर ही फैसला लेना चाहिए क्योंकि एक गलत फैसला पूरे सिस्टम और क्रैडिट फ्लो को प्रभावित करेगा।

सवाल: क्या डिस्ट्रिक्ट में ब्रांच खोलने का फैसला लेह को यू.टी. बनाने के बाद हुआ?
जवाब: यह पहले से तय था। हमने 3 महीने पहले इस ब्रांच की योजना बनाई थी। हालांकि एस.बी.आई. की 18,000 फुट की ऊंचाई वाले लेह क्षेत्र में पहले से 13 ब्रांचें हैं लेकिन 11,000 फुट वाले डिस्ट्रिक्ट की यह शाखा इसलिए अहम है क्योंकि अब यहां जाने के लिए 18,000 फुट वाले एरिया को पार करना पड़ता है। अब इस इलाके में हमारी 14 ब्रांचें हो गई हैं।

सवाल: NCR में रियल एस्टेट सैक्टर में भारी इन्वैंट्री है। लोग कर्ज ले नहीं रहे या बैंक के पास लिक्विडिटी की कमी है?
जवाब:
इसके कई कारण हैं। सबसे पहला कारण तो मांग कम और आपूर्ति ज्यादा है। दूसरा कारण घरों का महंगा होना है। अफोर्डेबल हाऊसिंग में मांग की कमी नहीं है। एस.बी.आई. का हाऊसिंग लोन 18 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। दूसरा रियल एस्टेट की यह इन्वैंट्री एक साल में नहीं बढ़ी यह पिछले 4-5 साल का नतीजा है।

सवाल: क्या बैंकों के विलय से NPA में सुधार होगा?
जवाब:
बैंक एन.पी.ए. के 2 कारण होते हैं। कुछ बाहरी कारण होते हैं, जो बैंक के हाथ में नहीं है लेकिन कुछ मामलों में बैंक प्रक्रियागत सुधार के जरिए एन.पी.ए. पर काबू पा सकते हैं। विलय से प्रक्रियागत सुधार होगा और इससे एन.पी.ए. सुधरेंगे।

सवाल: क्या बैंकों के विलय से बैंकिंग में फर्क पड़ेगा?
जवाब:
जहां तक एस.बी.आई. और अन्य बड़े बैंकों का सवाल है उन्हें बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन छोटे बैंक निश्चित तौर पर प्रभावित होंगे क्योंकि उन्हें तकनीक में बड़े पैमाने पर निवेश करना पड़ेगा और बैंकों की ऐसी स्थिति नहीं कि वह इतना निवेश कर सके लिहाजा फर्क तो जरूर पड़ेगा।

सवाल: ऑटो सैक्टर में डीलर क्रैडिट न मिलने की शिकायत कर रहे हैं असलियत क्या है?
जवाब :
हमने ऑटो सैक्टर का क्रैडिट नहीं रोका बल्कि हमने क्रैडिट को 60 से बढ़ा कर 75 और कई मामलों में 90 दिन तक किया है लेकिन जब तक डीलर इन्वैंट्री क्लीयर नहीं करते हम नए माल पर क्रैडिट कैसे दे सकते हैं। यह बात एस.बी.आई. की मैनेजमैंट ने डीलर्स के साथ हुई बैठक में भी बताई थी और डीलर इससे सहमत भी थे।

सवाल: RBI की होम लोन को लेकर नई नीति क्या सही है?
जवाब:
इस नीति में आर.बी.आई. को फिक्स लोन को लेकर स्थिति स्पष्ट करनी पड़ेगी और बैंक इस मामले में आर.बी.आई. से बात भी करेंगे क्योंकि नई नीति में फिक्स होम लोन का विकल्प नहीं है। अब हमारे सामने समस्या यह है कि यदि कंज्यूमर फिक्स दर पर होम लोन मांगे तो हम क्या जवाब दें? ऑटो और अन्य लोन में फिक्स दर पर लोन का विकल्प है लेकिन होम लोन पर नहीं है। हालांकि बैंक भी 20 या 30 साल की अवधि के लिए फिक्स दर पर लोन देने से बचना चाहेंगे लेकिन पहले यह विकल्प था तो लिहाजा इस पर स्थिति साफ  होनी जरूरी है।

सवाल: क्या जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद एस.बी.आई. अपनी शाखाएं बढ़ाएगा?
जवाब:
फिलहाल एस.बी.आई. की जम्मू-कश्मीर में करीब 285 ब्रांचेज हैं जिनमें से 70 ब्रांचेज वैली में हैं जबकि अन्य राज्य के शेष हिस्सों में हैं। हम समय-समय पर नई ब्रांचेज खोलते रहते हैं और यदि आर.बी.आई. कहेगा तो निश्चित तौर पर हम नई ब्रांचेज जरूर खोलेंगे।


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Supreet Kaur

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