लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था को हुआ 14 लाख करोड़ रुपए का नुकसान: शाह

punjabkesari.in Saturday, May 09, 2020 - 06:40 PM (IST)

नई दिल्लीः निवेशकों के साझा कोष का प्रबंध करने वाली कंपनी कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट के प्रबंध निदेशक (एमडी) निलेश शाह ने शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए देश भर में लागू किए गए लॉकडाउन से भारतीय कंपनियों को 190 अरब डॉलर (करीब 14 लाख करोड़ रुपए) के उत्पादन का नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि कारोबारियों को दोबारा काम-काज शुरू करने के लिए काफी लागत उठानी होगी। 

शाह ने उद्योग एवं वाणिज्य संगठन एसोचैम के द्वारा शुक्रवार की शाम आयोजित वेबिनार ‘कोविड-19: भारतीय म्यूचुअल फंड पर प्रभाव और अवसर' में यह टिप्पणी की। शाह एसोसियेशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के चेयरमैन भी हैं। एसोचैम ने शनिवार को जारी बयान में शाह के हवाले से कहा कि उत्पादन के इस नुकसान की भरपाई में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और सरकार तथा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से राजकोषीय व मौद्रिक समर्थन अथवा प्रोत्साहन की बड़ी भूमिका हो सकती है। 

शाह ने कार्यक्रम में कहा, ‘‘हमारी अर्थव्यवस्था (जीडीपी) सालाना करीब तीन हजार अरब डॉलर की है। कारोबार पूरी तरह से बंद हो तो एक माह का उत्पादन नुकसान 250 अरब डॉलर होगा। यदि 50 फीसदी काम-काज ही बंद हों तो एक महीने में यह नुकसान 125 अरब डॉलर का होगा। इस तरह यदि हम मान कर चलें कि 17 मई के बाद कारोबार पूरी तरह खुल जाएगा, तो 47 दिन में उत्पादन का नुकसान 190 अरब डॉलर के आस-पास रह सकता है।'' 

उन्होंने कहा कि मौजूदा समय को अब तक के सबसे कठिन दौर में से एक बताया जा रहा है। इस समय अभूतपूर्व संकट के दौरान कच्चे तेल का भाव गिरने और व्यापार घाटा कम होने से हमें थोड़ा लाभ हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह भारत के लिए एक बड़ा अवसर है कि देश अपनी साख का फायदा उठा कर प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी (एफडीआई) को आकर्षित करे। इससे घरेलू बचत से होने वाले निवेश को बल मिलेगा तथा आर्थिक वृद्धि तेज होगी। उन्होंने कहा कि शेयर और बांड बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) तथा चीन से कंपनियों को भारत में एफडीआई के लिए आकर्षित करने से लॉकडाउन के कारण हुए नुकसान की भरपाई में मदद मिल सकती है। 

एसोचैम की विज्ञप्ति के अनुसार शाह ने कहा कि कच्चा तेल सस्ता होने से इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था को 40-50 अरब डॉलर का लाभ होगा। इसी तरह यदि भारत चीन में बने सामानों की जगह स्थानीय स्तर पर सामानों का विनिर्माण करा पाए तो इससे 20 अरब डॉलर की बचत हो सकती है। ऐसे में हमें लॉकडाउन के कारण हुए उत्पादन नुकसान में सिर्फ बचे 130 अरब डॉलर की भरपाई करने की ही जरूरत बचेगी। उन्होंने कहा कि इस समय कुछ उद्योगों को अनुदान या सब्सिडी की जरूरत है। इसके लिए राजकोषीय प्रोत्साहन जरूरी है। 

 
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

jyoti choudhary

Recommended News

Related News