RTI के तहत खुलासा, मैनेजर के साथ चपड़ासी भी लगा रहे बैंकों को चपत

punjabkesari.in Saturday, Dec 14, 2019 - 09:43 AM (IST)

नई दिल्लीः भारत में पिछले कुछ सालों में बैंकों में नॉन-परफॉर्मिंग एसैट्स (एन.पी.ए.) या बैड लोन बढ़ा है। मतलब कर्ज न लेकर चुकाने की वजह से बैंकों को नुक्सान हो रहा है। एक आर.टी.आई. के तहत खुलासा हुआ है कि बैंकों को होने वाले इस नुक्सान में मैनेजर को मुख्य तौर पर आरोपी बनाया गया क्योंकि लोन देने में मैनेजर की अहम भूमिका होती है। हालांकि लोन दिलाने के मामले में मैनेजर के साथ ही सिंगल विंडो ऑप्रेटर क्लर्क, कैशियर के साथ चपड़ासी को भी जिम्मेदार माना गया है।
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दोषियों के खिलाफ हुई कार्रवाई
आर.टी.आई. के खुलासे से मालूम चला है कि साल 2017-18 में बढ़े एन.पी.ए. के लिए पब्लिक सैक्टर बैंक के मैनेजर के साथ निचले स्तर के कर्मचारी से लेकर चपड़ासी शामिल रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ओरिएंटल बैंक ऑफ  कॉमर्स ने मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए 17 सिंगल विंडो ऑप्रेटर (एस.डब्ल्यू.ओ.एस.), 5 हैड कैशियर, 2 क्लर्क, एक क्लर्क-कम-कैशियर और एक चपड़ासी कम सफाई करने वाले को दोषी ठहराया है। दोषियों को बैंक की तरफ  से एक का डिमोशन दिया गया है। साथ ही दोषियों का इंक्रीमैंट रोक दिया है। इसके अलावा इन लोगों को संवेदनशील कर्मचारियों की लिस्ट में डाल दिया है।
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सरकार ने बैंक स्टाफ को माना NPA बढ़ने का दोषी
मोदी सरकार में वित्त मंत्री रहे अरुण जेतली ने दिसम्बर 2018 में लोकसभा में जानकारी दी थी कि साल 2017-18 के एन.पी.ए. के लिए पब्लिक सैक्टर बैंक के करीब 6,049 स्टाफ  मैंबर को दोषी माना गया है। वहीं इस साल जुलाई में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद को बताया था कि पिछले 5 वित्त वर्ष के एन.पी.ए. के लिए 41,360 बैंक कर्मचारी जिम्मेदार हैं।
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बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं
आर.टी.आई. रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उनमें किसी भी बैंक के चेयरमैन, डायरैक्टर, डिप्टी डायरैक्टर और मैनेजिंग डायरैक्टर का नाम शामिल नहीं है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एस.बी.आई.), पंजाब नैशनल बैंक (पी.एन.बी.) समेत 21 पब्लिक सैक्टर के बैंकों ने डाटा नहीं दिया है कि आखिर उनकी बैंक की तरफ  से एन.पी.ए. बढऩे के लिए कितने लोगों के खिलाफ  कार्रवाई की गई है जबकि एस.बी.आई. के करीब 8,035 और पी.एन.बी. के 4,488 कर्मचारियों के चलते एन.पी.ए. बढ़ने का आरोप है। 


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