इंडोनेशिया में पाम आयल निर्यात की पाबंदी से भारत पर असर की संभावना कम: क्रिसिल रिसर्च

punjabkesari.in Wednesday, Apr 27, 2022 - 11:42 AM (IST)

नई दिल्लीः रेटिंग और बाजार परामर्श एजेंसी क्रिसिल रिसर्च की मंगलवार को जारी एक ताजा रिपोर्ट में इंडोनेशियों से पाम आयल निर्यात पर रोक के ताजा स्पष्टीकरणों का हवाला देते हुए कहा गया है कि इससे भारत के बाजार पर कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार इंडोनेशिया ने कच्चे पाम तेल आरबीडी पाम तेल के निर्यात पर पाबंदी नहीं लगाई है जो भारत की द्दष्टि से महत्वपूर्ण हैं। 

क्रिसिल रिसर्च के निदेशक, पुषन शर्मा का कहना है कि 26 अप्रैल को जारी इंडोनेशियाई अधिकारियों के नवीनतम स्पष्टीकरण के अनुसार, पिछले सप्ताह घोषित निर्यात प्रतिबंध में आरबीडी ओलियन के निर्यात को रखा गया है। उसमें कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और आरबीडी पाम तेल के निर्याता पर पाबंदी नहीं है। क्रिसिल रिसर्च के निदेशक की इस रिपोर्ट के अनुसारी भारत ने नवंबर-मार्च ‘22 के दौरान 56.4 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया, जिसमें से 47 फीसदी माल खाद्य पाम तेल और उसके ब्यूत्पादों ( डेरिवेटिव) का था। इस तरह पाम तेल और उसके उत्पाद का आयात इस दौरान 26 लाख 50 हजार टन के करीब बनाते हैं। इसमें इंडोनेशियाई बाजार की हिस्सेदारी 37 फीसदी है जबकि मलेशिया और थाईलैंड ने शेष 63 फीसदी का योगदान दिया है।

क्रिसिल रिसर्च के श्री शर्मा ने भारत में खाद्य तेल उद्योग संघ- सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के हवाले से कहा है कि इंडोनेशिया से कुल पाम के तेल का आयात 9.8 लाख टन के करीब था, जिसमें से सीपीओ और आरबीडी पामोलिन पांच लाख टन और 4.8 लाख टन था। उद्योग के लोगों के अनुसार, रिफाइंड पाम तेल और आरबीडी ओलीन मिश्रित हैं और इस प्रकार इस 4.8 लाख टन आरबीडी आयात में से ओलियन का हिस्सा 2.5 लाख टन के करीब होगा। इसकी भरपाई आने वाले महीनों में मलेशिया और थाईलैंड के बाजार से हो सकती है। 

क्रिसिल रिसर्च के विश्लेषण में कहा गया गया है कि 25 अप्रैल को आयातित क्रूड पाम ऑयल (सीपीओ) और आरबीडी की अंतिम लागत क्रमश: 1553 डालर प्रति टन और 1557 डालर प्रति टन पड़ा था। क्रिसिल रिसर्च का कहना है कि हालांकि आरबीडी ओलियन पर प्रतिबंध लगाने के लिए इंडोनेशिया का यह कदम अल्पकालिक मूल्य अस्थिरता पैदा कर सकता है और यह भारतीय खाद्य तेल रिफाइनरों के लिए अनुकूल होगा क्योंकि इससे देश में सीपीओ आयात का हिस्सा बढ़ेगा। एजेंसी ने कहा है कि भारत सरकार स्थानीय रिफाइनिंग उद्योग को समर्थन देने के लिए रिफाइंड तेलों के बजाय कच्चे पाम तेल के आयात को अधिक महत्व देती है। इसलिए कच्चे और रिफाइंड तेल के बीच शुल्क अंतर भी 8.25 फीसदी रखा गया है। 

जनवरी 2020 में, भारत सरकार द्वारा रिफाइंड पाम तेल के आयात पर लाइसेंस या इनबाउंड शिपमेंट की अनुमति के लिए अनिवार्य आवश्यकता के साथ प्रतिबंध भी लगाए गए थे। परिणामस्वरूप, वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 2020 में आरबीडी विदेशी आयात में 85 फीसदी की गिरावट आई। इसे एक वर्ष के बाद जनवरी2021 के दौरान खोला गया और दिसंबर 2022 तक मुक्त व्यापार नीति की सूची में आरबीडी ओलियन को जोड़ा गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में माल पहुंचने की लागत की गणना को भी ध्यान में रखते हुए, सीपीओ का आयात मौजूदा कीमत के अनुसार किफायती लगता है और इस प्रकार आरबीडी के आयात में आने वाले समय में वैसे भी गिरावट की उम्मीद थी।

पुषन शर्मा की रिपोटर् में कहा गया है, ‘‘निष्कर्ष यह निकलता है कि इंडोनेशियाई सरकार के वर्तमान निर्णय के साथ, भारत के साथ-साथ वैश्विक पाम के तेल उद्योग पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा। आगे बढ़ते हुए, त्योहारी अवधि के बाद, इस बात की संभावना है कि इंडोनेशियाई सरकार अपने प्रतिबंध निर्णय पर फिर से विचार कर सकती है और उस पर बारीकी से नजर रखनी होगी।'' 
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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