मनरेगा से गांवों में काम की रिकॉर्ड मांग, योजना में आने वाले परिवारों की संख्या भी 31% बढ़ी

punjabkesari.in Monday, Jun 08, 2020 - 03:24 PM (IST)

नई दिल्लीः देश में कोरोना वायरस के प्रकोप को फैलने से रोकने के लिए करीब दो महीने तक लॉकडाउन लगाया गया था। इस दौरान देश में आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई थी जिससे प्रवासी मजदूरों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया। ऐसे में उनके पास घर लौटने के सिवा कोई चारा नहीं था।

इसका नतीजा यह हुआ कि मई में मनरेगा (महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी याेजना) के तहत काम की मांग में रिकॉर्ड इजाफा हुआ। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मई में 41.77 करोड़ मानव कार्यदिवस सृजित किए गए। यह एक साल पहले की तुलना में 13 फीसदी अधिक है। इसी तरह मई में इस योजना के दायरे में आने वाले परिवारों की संख्या भी पिछले साल की तुलना में 31 फीसदी बढ़कर 2.8 करोड़ हो गई। यह किसी एक महीने में इस योजना में जुड़ने वाले परिवारों की सबसे अधिक संख्या है। इस योजना को 15 साल पहले शुरू किया गया था।

उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में मनरेगा के तहत काम की मांग में सबसे ज्यादा उछाल आई है। इन प्रदेशों में बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार अपने घर लौटे हैं। उत्तर प्रदेश में मई में मनरेगा के तहत 5.05 करोड़ मानव कार्यदिवस काम हुआ। पिछले साल मई में यह संख्या 1.74 करोड़ थी। छत्तीसगढ़ में यह संख्या 2.43 करोड़ से बढ़कर 4.15 करोड़ हो गई। मध्य प्रदेश में इस योजना के तहत पिछले साल मई में 2.46 करोड़ मानव कार्यदिवस काम हुआ था जो इस साल बढ़कर 3.73 करोड़ हो गया।

शहरी इलाकों में बढ़ सकती है मजदूरी
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह रुझान लंबे समय तक बना रहता है तो इससे शहरी इलाकों में मजदूरी बढ़ने से देश में महंगाई बढ़ सकती है। इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री डी के पंत ने कहा, ‘ग्रामीण इलाकों में मजदूरों की बहुतायत से वहां मजदूरी में कमी आएगी जबकि शहरों में कामगारों की कमी से मजदूरी बढ़ेगी। इससे कंपनियों की बैलेंस शीट पर दबाव बढ़ेगा और आने वाले समय में निवेश प्रभावित होगा।‘

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में इकनॉमिक्स के प्रोफेसर और ग्रामीण मामलों के जानकार हिमांशु ने कहा कि मनरेगा के तहत अधिक से अधिक लोगों को रोजगार दिया जा सकता है और ग्रामीण इलाकों में विकास किया जा सकता है। लेकिन इसकी लागत बहुत अधिक होगी। उन्होंने कहा, ‘अगर प्रवासी कामगार लंबे समय तक गांवों में रहते हैं और मनरेगा के तहत 100 दिन का रोजगार मांगते हैं तो केंद्र को यह बढ़ी हुई लागत वहन करनी होगी।‘

मनरेगा के लिए अतिरिक्त आवंटन
सरकार ने 2020-21 के बजट में मनरेगा के लिए 61,500 करोड़ रुपये आवंटित किए थे लेकिन अब 40,000 हजार करोड़ रुपये का और आवंटन किया गया है। इस तरह इसके लिए एक लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि आवंटित की गई है। यह 2005 के बाद इस योजना के लिए आवंटित सबसे अधिक राशि है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक करीब 58 लाख प्रवासी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिए अपने घर पहुंच चुके हैं। इसके अलावा लाखों मजदूरों ने बसों और दूसरे माध्यमों से घर वापसी की है। 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में 3 करोड़ प्रवासी कामगार थे। 2020 में यह संख्या 4 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

jyoti choudhary

Recommended News

Related News