ब्याज दरों में कटौती नहीं करने से रियल्टी कंपनियां निराश

punjabkesari.in Friday, Dec 06, 2019 - 09:44 AM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती नहीं करने के फैसले से रियल एस्टेट कंपनियों ने निराशा जताई है। रियल्टी कंपनियों का कहना है कि घरों की बिक्री और आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन के लिए केंद्रीय बैंक को रेपो दर में एक प्रतिशत की और कटौती करनी चाहिए।

नारेडको के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा, ‘‘उद्योग जगत रेपो दर में एक प्रतिशत की कटौती की उम्मीद कर रहा है। हम चाहते थे कि चौथाई-चौथाई प्रतिशत की छोटी-छोटी कटौतियों की बजाय एक बार में ही एक प्रतिशत की बड़ी कटौती हो। इससे सरकार की हालिया पहलों को प्रोत्साहन मिलता तथा आर्थिक वृद्धि दर बढ़ाने में मदद मिलती।’’

नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा कि रिजर्व बैंक का ब्याज दरों में कटौती नहीं करने का फैसला हैरान करने वाला है। इससे उद्योग में निराशा है। उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में कटौती से ऋण की मांग बढ़ती और अर्थव्यवस्था को अधिक निवेश मिलता, जिससे कुल आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलता। इससे संकट में फंसे रियल एस्टेट और वाहन क्षेत्रों को राहत मिलती।

एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘‘रियल एस्टेट क्षेत्र की दृष्टि से दरों में कटौती हमेशा स्वागतयोग्य है। यदि नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती होती तो आवास ऋण की दर पहली बार घटकर 8 प्रतिशत से नीचे आ जाती। टाटा रियल्टी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय दत्त ने कहा, ‘‘इस बार रिजर्व बैंक का पूरा ध्यान अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने पर था लेकिन नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं होने से हम निराश हैं।’’

सी.बी.आर.ई. के चेयरमैन एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (भारत, दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका) अंशुमान मैगजीन ने कहा कि रेपो दरों में बदलाव नहीं करने का फैसला इस बात का संकेत है कि सरकार का ध्यान वृद्धि और मुद्रास्फीति के आयाम पर है।

जे.एल.एल. इंडिया के सी.ई.ओ. एवं कंट्री प्रमुख रमेश नायर ने कहा कि नीतिगत दरों में बदलाव नहीं होना दर्शाता है कि केंद्रीय बैंक इस बात को समझ चुका है कि आज समय की जरूरत समग्र रुख के जरिए आर्थिक वृद्धि को लेकर भरोसा कायम करने की है। 


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Supreet Kaur

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