‘अब दाल बिगाड़ सकती है आपके खाने का स्वाद’

punjabkesari.in Saturday, Jun 05, 2021 - 10:41 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः कोरोना और सरसो के तेल की बढ़ी कीमतों की मार झेल रहे आम आदमी को राहत मिलने की उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है। अब दाल भी उसके खाने का स्वाद बिगाड़ सकती है। देश में दलहल का उत्पादन घटने से दाल की कीमतों में बढ़ौतरी की आशंका है। भारतीय दलहन एवं अनाज संघ (आई.पी.जी.ए.) के अनुसार इस साल दाल का उत्पाद घट सकता है। कोरोना के कारण इस फसल वर्ष में दलहल फसलों की बुआई पर किसानों का जोर कम रहा है। इसके चलते देश में इस साल मसूर, चना और अन्य दालों सहित दालों की कमी का सामना करना पड़ सकता है। इस साल अरहर के उत्पादन में करीब 10 लाख टन की कमी हो सकती है।

कृषि मंत्रालय की वैबसाइट से प्राप्त तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2020-21 के लिए अरहर का उत्पादन लगभग 7 लाख टन और उड़द के 5.20 लाख टन कम होने की उम्मीद है। इसके साथ ही खरीफ का कुल उत्पादन 2.12 मिलियन टन कम रहने की उम्मीद है। यानी देश में दाल का उत्पादन घटने वाला है। कमोडिटी विशेषज्ञों का कहना है कि यह दाल की महंगाई को और बढ़ाने का काम करेगा। आने वाले महीनों में दाल की कीमतों में बड़ा उछाल आ सकता है अगर समय रहते कदम नहीं उठाया गया।

सरकार को आपूर्ति बढ़ाने का सुझाव
आई.पी.जी.ए. के उपाध्यक्ष बिमल कोठारी ने कहा कि हमने सरकार को आपूर्ति बढ़ाने का सुझाव दे दिया है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ साल से दाल को लेकर लंबी अवधि को ध्यान में रखकर कोई पॉलिसी नहीं है। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ने सरकार से दलहन का आयात फ्री करने का आग्रह किया है लेकिन इस शर्त पर की आयातित दाल की न्यनूतम लैंडिंग कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) से अधिक हो।

देश में उत्पाद से अधिक खपत
आई.पी.जी.ए. के अनुसार वित्त वर्ष 2015-16 के मध्य से देश में दलहन का उत्पादन बढ़कर 23 मिलियन टन हो गया है। हालांकि, मांग 25-26 मिलियन टन है। इस कमी को पूरा करने के लिए लगभग 2.5 मिलियन टन दलहन का आयात हर साल किया जाता है। साथ ही हमारी मांग हर साल 10 लाख टन बढ़ रही है। इस कमी को पूरा करने के लिए सिर्फ आयात पर निर्भरता करना ठीक नहीं है। देश में दलहन का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है।


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Content Writer

jyoti choudhary

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