कोरोना वायरस का कहर: मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की विकास रफ्तार सुस्त
punjabkesari.in Tuesday, Mar 03, 2020 - 11:24 AM (IST)
बिजनेस डेस्क: भारत की औद्योगिक गतिविधियों की विकास दर फरवरी में सुस्त रही। इसकी वजह कई देशों में फैले कोरोना वायरस को माना जा रहा है। एक मासिक सर्वेक्षण में इसकी जानकारी दी गई। आई.एच.एस. मार्कीट इंडिया के मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर के पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडैक्स (पी.एम.आई.) फरवरी 2020 में 54.5 पर रहा। यह आंकड़ा जनवरी के 55.3 अंक के मुकाबले नीचे है। जनवरी में यह पिछले 8 साल में सबसे ऊंचा था। यह लगातार 31वां महीना है जब भारत में विनिर्माण क्षेत्र का पी.एम.आई. 50 अंक के स्तर से ऊपर बना हुआ है।
जनवरी के मुकाबले औद्योगिक गतिविधियों में सुस्ती
पी.एम.आई. की गणना 50 अंक से ऊपर रहना क्षेत्र में विस्तार को बताता है जबकि 50 से नीचे रहना गिरावट को दर्शाता है। फरवरी में यह आंकड़ा 54.5 अंक पर रहा जो क्षेत्र में विस्तार जारी रहना बताता है। हालांकि यह विस्तार जनवरी के मुकाबले कुछ सुस्त रहा है। आई.एच.एस. मार्कीट की प्रधान अर्थशास्त्री पालियाना डि लीमा ने कहा कि भारत में कारखानों में फरवरी के दौरान बेहतर ऑर्डर मिलने की वजह से गतिविधियां बेहतर रहीं। कारखानों में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों से ऑर्डर प्राप्त हुए। मांग में आ रहे इस सुधार से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कारखानों में उत्पादन बढ़ेगा और कच्चे माल की खरीदारी भी ऐतिहासिक रूप से काफी ऊंची दर से होगी।
वायरस की वजह से निर्यात और आपूर्ति शृंखला प्रभावित
लीमा ने कहा कि कोविड-19 के फैलने से भारतीय माल उत्पादकों के समक्ष बड़ी चुनौती भी खड़ी हो रही है। दुनिया के कई देशों में इस वायरस के प्रभाव की वजह से निर्यात और आपूर्ति शृंखला प्रभावित हो रही है। यही वजह है कि कारोबारी आने वाले दिनों में उत्पादन बढऩे को लेकर ज्यादा आश्वस्त नहीं हैं और यही वजह है कि वे नई भर्तियों में सतर्कता बरत रहे हैं। कोरोना वायरस के फैलने से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा पूरी तरह से ठप्प हो गया है और इसका असर तमाम उद्योगों पर देखा जा रहा है।
फिच ने फिर घटाया आर्थिक वृद्धि के अपने पहले का अनुमान
फिच सॉल्यूशंस ने भारत की चालू वित्त वर्ष के आर्थिक वृद्धि के अपने पहले के अनुमान को घटाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया। पहले उसने इसे 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। एजैंसी ने कहा है कि कोरोना वायरस के प्रभाव से आपूर्ति शृंखला गड़बड़ाने और घरेलू मांग कमजोर पडऩे से उसने वृद्धि का अनुमान घटाया है। एजैंसी ने भारत की वित्त वर्ष 2020-21 की वृद्धि के अनुमान को भी 5.9 प्रतिशत से घटाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है। भारत की जी.डी.पी. वृद्धि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसम्बर) के दौरान घटकर 4.7 प्रतिशत रही। दूसरी तिमाही के संशोधित अनुमानों में यह 5.1 प्रतिशत बताई गई। हालांकि प्रारंभिक अनुमान में दूसरी तिमाही की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत बताई गई थी। सरकार के स्तर पर खपत धीमी रहने, सकल सथायी पूंजी निर्माण में बड़ी गिरावट आने और शुद्ध निर्यात योगदान मामूली रहने से जी.डी.पी. वृद्धि धीमी पड़ी है। एजैंसी का कहना है कि वर्ष 2020-21 के बजट के उद्योग जगत को समर्थन देने में असफल रहने से भी पहले से ही ऋण की तंगी झेल रहे उद्योग जगत को मामूली राहत ही मिल पाएगी। गैर-बैंकिंग क्षेत्र में कई बड़ी कम्पनियों के ध्वस्त हो जाने की वजह से नकदी की तंगी बनी हुई है।