इंश्‍योरेंस कंपनियों द्वारा कोविड-19 के रिजेक्ट किए गए क्‍लेम्‍स की सुनवाई को तैयार हुआ IRDA

punjabkesari.in Tuesday, Jul 05, 2022 - 04:30 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) इंश्‍योरेंस कंपनियों द्वारा कोविड-19 बीमारी के रिजेक्टेड दावों की जांच करने पर सहमत हो गया है। बोम्‍बे हाईकोर्ट में बीमा कंपनियों के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर होने के बाद इरडा ने कोविड-19 के रिजेक्टिड दावों पर विचार करने की बात कही है। मानव सेवा धाम नामक एक गैर सरकारी संगठन ने यह जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में हाईकोर्ट से बीमा कंपनियों को कोविड-19 से संबंधित दावों को मनमाने ढंग से खारिज करने से रोकने के लिए आदेश जारी करने की मांग की थी।

मनमाने तरीके से काम कर रही हैं कंपनियां

लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि बीमा कंपनियों ने अनुचित तरीकों से कोविड-19 के अधिकतर दावों को रद्द कर दिया। यही नहीं बीमा कंपनियां कई वित्तीय अपराधों में लिप्‍त हैं और वे पॉलिसीधारक से प्रीमियम के रूप में मिले धन का दुरुपयोग कर रही हैं और इस राशि का उपयोग अन्‍य व्‍यवसायों और अपने एजेंटों व बैंकों को अत्‍यधिक कमीशन देने में कर रही हैं।

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि बीमा कंपनियां अन्‍यायपूर्ण तरीके से कोविड-19 से संबंधित दावों को खारिज कर रही हैं। कोविड-19 के कारण बीमा कंपनियों के पास दावों की संख्‍या बढ़ गई। नॉन लाइफ इंश्‍योरेंस कंपनियों के पास ही 80,000 क्‍लेम आवेदन आए। स्‍वास्‍थ्‍य बीमा होने के बाद भी बीमा कंपनियों ने पॉलिसीहोल्‍डर के दावों को खारिज कर दिया। मानव सेवा धाम की याचिका में कहा गया है कि कोराना की दूसरी लहर में बीमा कंपनियों ने मार्च 2021 तक केवल 54 फीसदी उन दावों का ही निपटारा किया जिनमें अतिरिक्‍त कोविड हेल्‍थ इंश्‍योरेंस था।

बिना कारण बताए खारिज किए दावे

याचिकाकर्ता का कहना है कि कुल 7,900 करोड़ रुपए के दावों का ही निपटारा किया गया है, जबकि कोविड हेल्‍थ इंश्‍योरेंस प्रोग्राम के तहत कुल 14,680 करोड़ रुपए के दावे किए गए थे। बाकि के दावों को बिना कोई ठोस कारण बताए मनमाने ढंग से रद्द कर दिया। वहीं, दूसरी पॉलिसीहोल्‍डर के पास कॉम्प्रिहेन्सिव इंश्‍योरेंस कवरेज होने के बावजूद अस्पताल में कोविड-19 के इलाज में खर्च हुई कुल राशि का 45 से 80 फीसदी का ही भुगतान बीमा कंपनियों ने किया। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से इस मामले का संज्ञान लेने और गैर-अनुपालन के लिए बीमा कंपनियों पर जुर्माना लगाने की मांग की। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जनहित याचिका का निपटारा कर दिया।
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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