रुपए की कमजोरी से मुद्रास्फीतिक दबाव बढ़ा, पर निर्यात हुआ प्रतिस्पर्धी

punjabkesari.in Sunday, Jul 17, 2022 - 05:41 PM (IST)

नई दिल्लीः रुपए के मूल्य में गिरावट से चालू खाते का घाटा (कैड) प्रभावित हुआ है और मुद्रास्फीतिक दबाव बढ़ा है लेकिन साथ ही इस वजह से भारतीय निर्यात अधिक प्रतिस्पर्धी बन गया है। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया लगातार गिर रहा है। इस समय एक डॉलर की कीमत 80 रुपए के करीब है। ऐसे में आयात महंगा हो गया है। 

पीडब्ल्यूसी इंडिया के आर्थिक सलाहकार सेवाओं के प्रमुख रानन बनर्जी ने कहा, ‘‘रुपये के मूल्यह्रास का अर्थव्यवस्था पर कई तरह से असर पड़ता है। हमारा व्यापार संतुलन नकारात्मक स्थिति में है और ऐसे में रुपये की कीमत गिरने से आयात बिल काफी बढ़ जाता है। हालांकि, इससे हमारा निर्यात और अधिक प्रतिस्पर्धी बनता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘इससे चालू खाते के घाटे पर असर पड़ता है और इस तरह रुपए पर और दबाव पड़ता है और साथ ही आयात मुद्रास्फीति भी बढ़ती है, क्योंकि रुपये के संदर्भ में आयात की कीमत अधिक हो जाती है।'' 

वित्त मंत्रालय की एक हालिया रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि भारत का चालू खाते का घाटा चालू वित्त वर्ष में काफी अधिक बढ़ सकता है। कैड वित्त वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.2 प्रतिशत था। डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि वैश्विक मुद्रास्फीति और जिंस कीमतों में बढ़ोतरी, विकसित देशों द्वारा मौद्रिक सख्ती, भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका और आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच अमेरिकी डॉलर मजबूत हुआ है। हालांकि, मुद्रा का मूल्यह्रास हमेशा अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचाता है। 

इक्रा लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि कमजोर रुपया जिंस कीमतों में गिरावट के असर को आंशिक रूप से कम कर देगा। उन्होंने कहा कि इसी तरह कॉरपोरेट मार्जिन पर उत्पादन लागत में गिरावट का लाभकारी प्रभाव कुछ कम हो जाएगा। निर्यातकों के निकाय फियो के उपाध्यक्ष खालिद खान ने कहा कि रुपये में गिरावट से निर्यातकों को मदद मिलेगी। 


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Content Writer

jyoti choudhary

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