भारत को कड़े डाटा संरक्षण कानून की तत्काल जरूरत: विशेषज्ञ

punjabkesari.in Friday, May 25, 2018 - 05:48 PM (IST)

नई दिल्लीः देश में डिजिटलीकरण की तेज रफ्तार के बीच नागरिकों की निजता के अधिकार की रक्षा संबंधी चिंताओं को देखते हुए विशेषज्ञों ने जल्द एक कड़ा डाटा संरक्षण कानून बनाए जाने की जरुरूरत पर बल दिया है। डाटा संरक्षण पर एक परिचर्चा में विशेषज्ञों ने कहा कि इस संबंध में एक नियामक बनाया जाना चाहिए जो निजता और डाटा हार्वेसिट्ग से जुड़े मुद्दों का निपटान करे।

दिल्ली के राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में संचार संचालन केंद्र के कार्यकारी निदेशक चिनमयी अरुण ने कहा कि डाटा का संग्रहण, मिलान और प्रसंस्करण बढ़ा है और ऐसे में इसके किसी भी संभावित दुरुपयोग से निपटने की जरूरत है। पूर्व विदेश सचिव श्याम शरण की सक्रिय भागीदारी में आयोजित इस चर्चा का विषय था- ‘डिजिटल तकनीक और समाज, मानव मनोविज्ञान एवं अर्थव्यवस्थाओं’ पर उनका प्रभाव।       

कार्निजी इंडिया में फेलो अनंत पद्मनाभन ने चेतावनी दी कि कुछ कंपनियों के पास डाटा जमा हो रहा है। उन्होंने कहा कि देखना होगा कि गूगल, अमेजॉन, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट और एप्पल ने पिछले पांच-छह सालों में इस क्षेत्र में कितने अधिग्रहण किए हैं? समय के साथ-साथ इनके साथ क्या किया जा सकता है, यह सभी डाटा महत्वपूर्ण हैं, जो विशेष तौर पर शिक्षा, मोबिलिटी, स्वास्थ्य देखभाल, कृषि और अन्य क्षेत्रों से जुड़े हैं और यह किसी विशेष कंपनी के पास जमा हो सकते हैं।

भारत में ‘आधार’ के डाटा को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। उच्चतम न्यायालय इससे जुड़े विभिन्न आयामों की पड़ताल कर रहा है। उच्चतम न्यायालय की वकील वृंदा भंडारी ने स्वीकार किया कि भारत में डाटा संरक्षण कानून समय की जरुरत है और सरकार का इसे लाना चाहिए। 


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jyoti choudhary

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