2004-2015 के दौरान नई FDI परियोजनाओं के लिए चौथा सबसे बड़ा देश रहा भारत

punjabkesari.in Thursday, Nov 26, 2020 - 03:01 PM (IST)

नई दिल्ली: भारत 2004 से 2015 के बीच नई प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) परियोजनाओं को आकर्षित करने वाला चौथा प्रमुख देश रहा। इस दौरान दूसरे देशों में विलय एवं अधिग्रहण करने में भी भारत आठवें स्थान पर रहा।

‘फ्यूचर ऑफ रीजनल को-ओपरेशन इन एशिया एंड पैसेफिक’ शीर्षक वाला एक शोध पत्र बुधवार को जारी किया गया। एशियाई विकास बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध इस रिपोर्ट के मुताबिक 2004-2015 के बीच भारत को 8,004 एकदम नई एफडीआई परियोजनाएं हासिल हुईं। वहीं विलय और अधिग्रहण की संख्या भी 4,918 रही।

अमेरिका शीर्ष पर
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अवधि में नई एफडीआई परियोजनाएं हासिल करने में अमेरिका शीर्ष पर रहा। जबकि चीन दूसरे और ब्रिटेन तीसरे स्थान पर रहा। इस दौरान अमेरिका को 13,308 नई एफडीआई परियोजनाएं हासिल हुईं।

'मिली मंजूरी'
दूरसंचार क्षेत्र की कंपनी एटीसी इंडिया ने अपने बयान में कहा कि 2,480 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भारत को लेकर उसकी प्रतिबद्धता और डिजीटल इंडिया मिशन के लिए विश्वास का दर्शाता है। बता दें कि बुधवार को सरकार ने एटीसी टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर में 12 फीसदी हिस्सेदारी के लिए एटीसी एशिया पैसेफिक लिमिटेड के 2,480 करोड़ रुपये के एफडीआई को मंजूरी प्रदान कर दी। 

एटीसी के कार्यकारी उपाध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि वर्ष 2007 से अब तक देश में डिजिटल दूरसंचार बुनियादी ढांचे के निर्माण और विकास पर कंपनी 24,000 करोड़ रुपये निवेश कर चुकी है। देशभर में कंपनी के करीब 75,000 मोबाइल टावर हैं, जो सभी दूरसंचार कंपनियों के लिए सहायक हैं। अमेरिकन टावर की भारतीय अनुषंगी एटीसी इंडिया है। यह निवेश सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन और भारत को लेकर उसकी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 


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rajesh kumar

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