आइसक्रीम इंडस्ट्री पर लॉकडाउन का असर, मार्च से जुलाई तक का सीजन हुआ बर्बाद

punjabkesari.in Tuesday, Jun 30, 2020 - 02:55 PM (IST)

नई दिल्लीः गर्मी का मौसम आते ही सबसे पहले मन में आइसक्रीम का ख्याल आता है लेकिन इस बार गर्मी अकेले नहीं आई, अपने साथ कोरोना और लॉकडाउन लेकर आई। देशभर में लॉकडाउन 25 मार्च से लगा और यही समय होता है जब आइसक्रीम की मांग सबसे ज्यादा होती है। 

देशभर में लॉकडाउन लगने से हर क्षेत्र के उद्योगों पर गहरा असर पड़ा, जिसमें आइसक्रीम का कारोबार भी शामिल है। इस बार की गर्मी में आइसक्रीम के व्यापार को करो़ड़ों का नुकसान हुआ है। संगठित क्षेत्र की बात करें तो यहां 15,000 करोड़ और असंगठित क्षेत्र की बात करें तो यहां 30,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है।

आइसक्रीम की मांग जिस समय अंतराल में सबसे ज्यादा होती है वो है फरवरी से जून का महीना लेकिन अभी तक देश में कुछ इलाकों में लॉकडाउन होने से आइसक्रीम की बिक्री पर गहरा असर पड़ा है। सामान्य तौर पर गर्मियों के चार महीनों में ही आइसक्रीम के पूरे साल का 50 फीसदी हिस्सा आता है। 

आइसक्रीम उद्योग पर प्रवासी मजदूरों के पलायन का भी गहरा असर पड़ा है, ज्यादातर प्रवासी मजदूर आइसक्रीम के ठेलों को चलाते हैं। इंडियन आइसक्रीम मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता अनुव्रत ओबराय ने एक समाचार चैनल को बताया कि जब से वो आइसक्रीम उद्योग में आए हैं, यह अबतक का सबसे बुरा दौर देख रहे हैं। उन्होंने बताया कि जुलाई के अंत तक चलने वाला सीजन पूरी तरह बर्बाद हो गया है। प्रवासी मजदूरों के जाने के बाद से पुशकार्ट चलाने वाले बहुत कम बचे हैं। एसोसिएशन की इच्छा है कि जल्द से जल्द प्रवासी मजदूर यहां लौटें और दोबार उद्योग को शुरू किया जाए। 

इंडियन आइसक्रीम मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन लगभग 80 सदस्यों के साथ भारतीय आइसक्रीम निर्माताओं का टॉप संघ है। सभी बड़े आइसक्रीम ब्रांड निर्माता जैसे क्वालिटी वॉल, क्रीम बेल, वाडीलाल, अरुण और नेचुरल मामा मिया जैसी कंपनियां एसोसिएशन की सदस्य हैं। अनुव्रत ओबराय ने बताया कि संगठित क्षेत्र जो एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व करते हैं, उनका कारोबार लगभग 15-17 हजार करोड़ रुपए का है और एसोसिएशन ने राजस्व के मामले में पहले ही लगभग 5,000-6,000 हजार करोड़ खो दिए हैं।
 


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jyoti choudhary

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