विदेश में धन भेजकर वर्चुअल करेंसी में नहीं कर सकते हैं निवेश, ICICI बैंक का फैसला
punjabkesari.in Saturday, Jul 10, 2021 - 01:04 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः भारत क्रिप्टोकरेंसी के बिजनेस पर रिजर्व बैंक के सख्त रुख को देखते हुए अब भारतीय बैंक भी इससे जुड़े लेन-देन पर लगाम कसते नज़र आ रहे हैं। इसी दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारत में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई ने अपने खाताधारकों को विदेशी बाजारों से वर्चुअल करेंसी खरीदने पर रोक लगा दी है।
बैंक ने किया से बड़ा फैसला
आईसीआईसीआई बैंक ने अपने ग्राहकों से कहा है कि जब भी वे विदेश में पैसा भेजेंगे तो उन्हें यह बताना होगा कि वे इसका निवेश क्रिप्टो में नहीं करेंगे। इसके लिए बैंक ने अपने 'रिटेल आउटवर्ड्स रेमिटेंस एप्लीकेशन फॉर्म' में बदलाव किया है। इसके मुताबिक, ग्राहकों को आउटवर्ड्स रेमिटेंस आवेदन पत्र देना होगा। इसे ग्राहकों को आरबीआई लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत विदेशों में स्टॉक और संपत्तियों को खरीदने के लिए पैसा ट्रांसफर के लिए हस्ताक्षर करने होंगे। एलआरएस डिक्लरेशन क्रिप्टोटोकरेंसी में डायरेक्ट निवेश तक ही सीमित नहीं है।
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ग्राहकों को इस बात से भी सहमत होना होगा कि एलआरएस रेमिटेंस को बिटकॉइन में काम करने वाली कंपनी के म्यूचुअल फंड या शेयर या किसी अन्य संसाधनों की इकाइयों में निवेश नहीं किया जाएगा। क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए ज्यादातर बैंकिंग सेवाएं बंद करने के बाद ICICI बैंक ने अब अपने ग्राहकों से कहा है कि वे क्रिप्टो से जुड़े निवेश के लिए रिजर्व बैंक की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) का इस्तेमाल न करें।
बैंक ने ग्राहकों के लिए शर्त डाल दी है
एलआरएस का लाभ उठाने के लिए ICICI बैंक के ग्राहकों को इन सभी शर्तों से सहमत होना होगा। एलआरएस क्रिप्टो निवेश के लिए एक प्रमुख साधन रहा है। एक क्रिप्टो एक्सचेंज के संस्थापक ने बताया कि ICICI बैंक की इस तरह की घोषणा के बाद अन्य प्रमुख बैंक भी क्रिप्टो निवेश के लिए एलआरएस दरवाजे बंद कर देंगे। यह भारतीय क्रिप्टो बाजार के ट्रांजेक्शन को प्रभावित करेगा।
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2004 में रिजर्व बैंक ने पेश किया था एलआरएस
एलआरएस को 4 फरवरी, 2004 को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के कानूनी ढांचे के तहत पेश किया गया था। लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत, अधिकृत डीलर किसी भी अकाउंट या लेनदेन या दोनों के लिए एक वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) तक रेजिडेंट द्वारा स्वतंत्र रूप से रेमिटेंस की अनुमति दे सकते हैं। यह योजना कॉर्पोरेट, पार्टनरशिप फर्मों, ट्रस्ट आदि के लिए उपलब्ध नहीं है।
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RBI क्रिप्टोकरेंसी पर सख्त
क्रिप्टो करेंसी से जुड़े लेनदेन पर बैंक के इस सतर्कता भरे कदम की वजह भारतीय रिजर्व बैंक की क्रिप्टो करेंसी के कारण देश में वित्तीय स्थिरता को खतरा पैदा होने की चिंता है। इसी के चलते आरबीआई शुरू से ही भारत में क्रिप्टो करेंसी के चलन के खिलाफ ही खड़ा रहा है। हाल ही में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि क्रिप्टो करेंसी के मामले में उनकी सबसे बड़ी चिंता ‘वित्तीय स्थिरता’ के नजरिए से है।
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