मकान खरीदने वालों को मिल सकती है राहत

punjabkesari.in Monday, May 01, 2017 - 10:48 AM (IST)

नई दिल्लीः सरकार मकान खरीदने वालों के लिए एक राहत भरा फैसला ला सकती है। राज्य सरकारों को अगर नीति आयोग की एक सिफारिश रास आई तो मकान और जमीन की रजिस्ट्री सस्ती हो सकती है। आयोग ने अचल संपत्ति की खरीद-फरोख्त पर लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी की दर घटाने की सिफारिश की है। आयोग का कहना है स्टाम्प ड्यूटी कम होने से न सिर्फ लोग मकान खरीदने को प्रोत्साहित होंगे बल्कि दीर्घावधि में इससे राज्यों का राजस्व भी बढ़ेगा। आयोग ने इस संबंध में राज्यों को गुजरात का अनुसरण करने को कहा है जिसने स्टाम्प ड्यूटी पांच प्रतिशत से घटाकर साढ़े तीन प्रतिशत की है।

रियल एस्टेट में होता है काले धन का इस्तेमाल
फिलहाल मकान और जमीन के क्रय-विक्रय पर अलग-अलग राज्यों में स्टाम्प ड्यूटी की दरें भिन्न हैं। आम तौर पर राज्यों में स्टाम्प ड्यूटी की दर से छह से आठ प्रतिशत है, जो काफी अधिक है। इसके चलते रियल एस्टेट सौदों के लिए लोग कालेधन का इस्तेमाल भी करते हैं। कुछ राज्यों में अचल संपत्ति की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम होने पर स्टाम्प ड्यूटी कम लगती है। हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की गवर्निग काउंसिल की बैठक में त्रिवर्षीय कार्ययोजना के प्रारूप पर चर्चा हुई थी। इस बैठक में राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल थे।

स्टाम्प ड्यूटी कम होनी चाहिए
आयोग का कहना है कि राज्यों में रियल एस्टेट की बिक्री पर स्टाम्प ड्यूटी कम होने से अघोषित धन से होने वाले सौदे भी कम होंगे। स्टाम्प ड्यूटी कम होने से दीर्घकाल में भारत में एक बेहतर प्रॉपर्टी मार्कीट बनाने में भी मदद मिलेगी। जिन राज्यों में स्टाम्प ड्यूटी अधिक है, उन्हें इसे नीचे लाना चाहिए। आयोग ने स्टाम्प ड्यूटी कम होने से राजस्व में कमी आने की राज्यों की आशंका को भी दूर किया है। आयोग ने इस संबंध में गुजरात का उदाहरण देते हुए कहा है कि वहां स्टाम्प ड्यूटी पांच प्रतिशत से घटाकर साढ़े तीन प्रतिशत कर दी गई, इसके बावजूद प्रदेश के राजस्व संग्रह में कमी नहीं आई। आयोग के मुताबिक गुजरात ने स्टाम्प ड्यूटी पांच प्रतिशत से घटाकर 3.5 प्रतिशत की है।


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