सरकार की आमदनी बढ़ी, 4 महीनों में पेट्रोलियम उत्पादों पर 48% बढ़ा एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन

punjabkesari.in Sunday, Sep 05, 2021 - 04:47 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः सरकार का पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क संग्रह चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में 48 प्रतिशत बढ़ गया है और इस दौरान हासिल हुआ अतिरिक्त संग्रह पूरे वित्त वर्ष के दौरान तेल बॉन्ड देनदारी का तीन गुना है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत लेखा महानियंत्रक के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-जुलाई 2021 के दौरान उत्पाद शुल्क संग्रह एक लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 67,895 करोड़ रुपए था। 

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था लागू होने के बाद उत्पाद शुल्क केवल पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और प्राकृतिक गैस पर लगाया जाता है। इन उत्पादों को छोड़कर अन्य सभी वस्तुएं और सेवाएं जीएसटी के तहत हैं। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले चार महीनों (अप्रैल-जुलाई) में 32,492 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई, जो पूरे साल की तेल बॉन्ड देनदारी यानी 10,000 करोड़ रुपए का तीन गुना है। कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने पेट्रोलियम ईंधन पर सब्सिडी देने के लिए तेल बॉन्ड जारी किए थे। 

उद्योग सूत्रों ने कहा कि उत्पाद शुल्क संग्रह का बड़ा हिस्सा पेट्रोल और डीजल पर उपकर से आता है, और बिक्री में तेजी के साथ ही चालू वर्ष में संग्रह एक लाख करोड़ रुपए से अधिक बढ़ सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में इन ईंधनों पर दी गई भारी सब्सिडी के एवज में किये जा रहे भुगतान के कारण पेट्रोल, डीजल के दाम में कमी की ज्यादा गुंजाइश नहीं बची है। संप्रग सरकार में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और केरोसिन की बिक्री उनकी वास्तविक लागत से काफी कम दाम पर की गई थी। तब की सरकार ने इन ईंधनों की सस्ते दाम पर बिक्री के लिए कंपनियों को सीधे सब्सिडी देने के बजाय 1.34 लाख करोड़ रुपए के तेल बॉन्ड जारी किए थे। उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर निकल गए थे। 

सरकार को चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 10,000 करोड़ रुपए, 2023-24 में 31,150 करोड़ रुपए और उससे अगले साल में 52,860.17 करोड़ तथा 2025-26 में 36,913 करोड़ रुपए का भुगतान तेल बॉन्ड को लेकर करना है। सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क को पिछले साल 19.98 रुपए से बढ़ाकर 32.9 रुपए प्रति लीटर कर दिया। महामारी के दौरान जहां एक तरफ मांग काफी कम रह गई वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम गिर गए। ऐसे में सरकार ने उत्पाद शुल्क बढ़ाया। 

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने पिछले महीने संसद को बताया कि केन्द्र सरकार को पेट्रोल और डीजल से कर प्राप्ति 31 मार्च को समाप्त वर्ष में 88 प्रतिशत बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई जो कि एक साल पहले 1.78 लाख करोड़ रुपए रही थी। महामारी पूर्व वर्ष 2018-19 में यह 2.13 लाख करोड़ रुपए रही थी। 
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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