EPFO ने सरकार से मांगे अपने 9,116.7 करोड़ रुपए

punjabkesari.in Sunday, Oct 13, 2019 - 11:13 AM (IST)

नई दिल्लीः सरकार पर विभिन्न पैंशन योजनाओं का कुल 9,116.7 करोड़ रुपए बकाया है। इनमें से कुछ बकाया 1995-96 से है। इसी वर्ष कर्मचारी पैंशन योजना (ई.पी.एस.) की शुरूआत हुई थी। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ई.पी.एफ.ओ.) ने इस बकाए का भुगतान करने के लिए वित्त मंत्रालय को एक पत्र लिखा है। ई.पी.एफ.ओ. निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए 3 योजनाओं का संचालन करता है। ये हैं इम्प्लाइज प्रॉविडैंट फंड स्कीम, इम्प्लाइज पैंशन स्कीम (ई.पी.एस.) और इम्प्लाइज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरैंस स्कीम। इन योजनाओं में कर्मचारी का योगदान उसके वेतन (बेसिक आय और महंगाई भत्ता) का 12 प्रतिशत होता है। इतना ही योगदान कर्मचारी के नियोक्ता की ओर से होता है। नियोक्ता के योगदान का 8.33 प्रतिशत हिस्सा ई.पी.एस. में चला जाता है। इसके अलावा कर्मचारी के वेतन का 1.16 प्रतिशत योगदान सरकार की ओर से कर्मचारी के पैंशन खाते में किया जाता है। इसके अतिरिक्त सरकार ने सितम्बर 2014 में न्यूनतम पैंशन योजना भी लांच की थी।

1,051 करोड़ रुपए से अधिक बकाया न्यूनतम पैंशन योजना के मद में
एक रिपोर्ट के मुताबिक 1,000 रुपए की न्यूनतम पैंशन योजना के मद में ई.पी.एफ.ओ. का सरकार पर 1,051.42 करोड़ रुपए बकाया है। यह बकाया 2014 से है, जब यह योजना लागू हुई थी। राजग सरकार द्वारा घोषित इस योजना के तहत सभी लाभार्थियों को कम से कम 1,000 रुपए मासिक पैंशन देने का वादा किया गया है। इस योजना का लाभ हर साल करीब 18 लाख पैंशन भोगियों को मिलता है। सरकार ने कहा था कि चूंकि इस योजना का पूरा खर्च ई.पी.एफ.ओ. खुद नहीं उठा सकता है, इसलिए सरकार उसे हर साल करीब 800 करोड़ रुपए का अनुदान देगी।

8,063.66 करोड़ रुपए का बकाया ई.पी.एस. मद में
ई.पी.एस. में सरकार के योगदान (1.16 प्रतिशत) के मद में ई.पी.एफ.ओ. का सरकार पर कुल 8,063.66 करोड़ रुपए बकाया है। यह बकाया 1995-96 से लेकर 31 मार्च 2019 तक का है। सरकार पर ई.पी.एफ.ओ. का 1.62 करोड़ रुपए का बकाया पी.एम. श्रम योगी मान-धन योजना के मद में है। इस योजना का प्रबंधन करने में ई.पी.एफ.ओ. की इतनी राशि खर्च हुई है।

सरकार भुगतान कर रही है लेकिन वह समुचित नहीं है
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार न्यूनतम पैंशन योजना और ई.पी.एस. के लिए अपने अंश का भुगतान तो कर रही है लेकिन वह समुचित नहीं है। बकाए का मुद्दा ई.पी.एफ.ओ. के केन्द्रीय प्रॉविडैंट फंड आयुक्त सुनील बर्थवाल ने 4 सितम्बर को एक बैठक के दौरान श्रम मंत्रालय के सामने उठाया था। बैठक में श्रम और रोजगार सचिव हीरालाल समरिया ने ई.पी.एफ.ओ. को सलाह दी थी कि वह बकाए को लेकर व्यय सचिव जी.सी. मुर्मू को पत्र लिखे। सरकार अभी वेतन के 8.33 प्रतिशत हिस्से का भुगतान हर महीने 15,000 रुपए तक कर्मचारियों के ई.पी.एस. खाते में कर रही है।


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jyoti choudhary

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