कोरोना के चपेट से नहीं बच पाया ''क्रूड'', घट सकती है मांग
punjabkesari.in Monday, Feb 17, 2020 - 10:05 AM (IST)
बिजनेस डेस्क: अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में बीते सप्ताह तेजी लौटी लेकिन चीन में कोरोना वायरस के कहर के कारण तेल की मांग घटने से कीमतों में ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं दिख रही है। उधर इंटरनैशनल एनर्जी एजैंसी (आई.ई.ए.) का अनुमान है कि इस साल की पहली तिमाही में कच्चे तेल की वैश्विक खपत मांग पिछले साल के मुकाबले 4.35 लाख बैरल घट सकती है।
चीन में कोरोना वायरस का प्रकोप महामारी का रूप ले चुका है और इसकी चपेट में आने से 1,600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। तेल उत्पादक देशों का संगठन ओपेक और रूस द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में अतिरिक्त कटौती करने के संकेत दिए जाने से बीते सप्ताह कीमतों में तेजी आई लेकिन जानकार बताते हैं कि मांग घटने के कारण कीमतों पर दबाव बना रह सकता है। ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने कहा कि कोरोना वायरस से चीन में परिवहन व्यवस्था और उद्योग-धंधे प्रभावित हुए हैं जिसके कारण कच्चे तेल की मांग काफी घट गई है। आई.ई.ए. के अनुसार 2020 में पूरे साल के दौरान तेल की मांग में वृद्धि महज 8.25 लाख बैरल रोजाना होने का अनुमान है, जो पिछले अनुमान से 3.65 लाख बैरल कम है। इस प्रकार 2011 के बाद तेल की सालाना मांग में यह सबसे कम वृद्धि होगी।
भारत-रूस कच्चा तेल आयात के दीर्घकालिक समझौते के लिए बातचीत के दौर में
भारत और रूस ने कच्चे तेल के दीर्घकालिक आयात के लिए महत्वाकांक्षी समझौते के लिए रूपरेखा को अंतिम रूप दे दिया है। दोनों देशों की सरकारों के बीच होने वाले इस समझौते के तहत रूस के सुदूर पूर्व इलाके से कच्चे तेल आयात किया जाएगा। राजनयिक सूत्रों ने कहा कि इस समझौते पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान हस्ताक्षर हो सकते हैं। वह यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वाॢषक शिखर वार्ता करने पहुंचेंगे। इस समझौते से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 11 अरब डॉलर से बढ़ाकर 25 अरब डॉलर करने में मदद मिलने की उम्मीद है।
कटौती से भी नहीं बढ़ेगी तेल की कीमत
तेल की घटती कीमतों को थामने के मकसद से ओपेक और रूस द्वारा उत्पादन में 6 लाख बैरल अतिरिक्त कटौती करने के संकेत दिए जाने से कीमतों पर पडऩे वाले असर को लेकर पूछे गए सवाल पर तनेजा ने कहा कि ओपेक और रूस द्वारा तेल के उत्पादन में अगर कटौती की जाती है तो भी मुझे नहीं लगता है कि तेल की कीमत वापस 60 डॉलर प्रति बैरल तक जाएगी। ओपेक और रूस अगर अतिरिक्त 6 लाख बैरल रोजाना तेल के उत्पादन में कटौती का फैसला लेता है तो उत्पादन में उसकी कुल कटौती 23 लाख बैरल रोजाना हो जाएगी, यही कारण है कि बीते सप्ताह तेल के दाम में तेजी देखने को मिली। हालांकि तनेजा का कहना है कि कोरोना वायरस के प्रकोप के असर से जब तक चीन की अर्थव्यवस्था उबरकर वापस पटरी पर नहीं आएगी तब तक तेल के दाम पर दबाव बना रहेगा। उन्होंने कहा कि तेल का ङ्क्षलक बहरहाल चीन में कोरोना वायरस और अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव से है। उन्होंने कहा कि अमरीका में इस साल राष्ट्रपति चुनाव है और वर्तमान ट्रम्प चाहेंगे कि तेल कीमतें नियंत्रण में रहें।