कोरोना वायरस के बीच ग्रामीण बाजारों की मांग शहरी क्षेत्रों से बेहतर: मारुति
punjabkesari.in Sunday, Jul 05, 2020 - 02:10 PM (IST)
नई दिल्लीः देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में उसकी ग्रामीण इलाकों की मांग शहरी क्षेत्रों की तुलना में बेहतर है। शहरी क्षेत्रों में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। मारुति सुजुकी के कार्यकारी निदेशक (विपणन एवं बिक्री) शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि जून में शुरुआती बारिश अच्छी रहने से भी ग्रामीण बाजारों की धारणा मजबूत है। इससे खरीफ फसल की बुवाई बेहतर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘अभी ग्रामीण मांग शहरी की तुलना में कुछ बेहतर है। जून में ग्रामीण बाजार में मारुति की बिक्री में ग्रामीण बाजार की हिस्सेदारी बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में एक प्रतिशत अधिक है।'' श्रीवास्तव ने इसकी वजह बताते हुए कहा, ‘‘पहली बात की कोविड-19 से ग्रामीण क्षेत्रों की धारणा कम प्रभावित हुई है। वास्तव में कोविड-19 के नियंत्रण वाले ज्यादातर क्षेत्र शहरों में हैं। इसके अलावा रबी फसल अच्छी रही है। जून में शुरुआती मानसूनी बारिश अच्छी रही है, जिससे खरीफ फसल की बुवाई बेहतर है।''
उन्होंने कहा कि यदि पिछले साल से तुलना की जाए, तो ग्रामीण और शहरी दोनों बाजारों में बिक्री घटी है, लेकिन ग्रामीण बाजार में बिक्री शहरी क्षेत्र की तुलना में कुछ बेहतर है। श्रीवास्तव ने कहा कि ग्रामीण बाजार में भी बिक्री में गिरावट है, लेकिन यह शहरी क्षेत्र की तुलना में कम है। जून में मारुति सुजुकी की घरेलू बिक्री 53.7 प्रतिशत घटकर 53,139 इकाई रही। जून, 2019 में कंपनी ने घरेलू बाजार में 1,14,861 वाहन बेचे थे। हालांकि, जून की बिक्री मई से बेहतर रही। मई में कंपनी ने घरेलू बाजार में 13,888 वाहन बेचे थे। यह पूछे जाने पर कि क्या आगे चलकर कंपनी बिक्री की रफ्तार को कायम रख पाएगी, श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘इसका अनुमान लगाना काफी मुश्किल है। काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि कोविड-19 की स्थिति कैसी रहती है। ऐसे में भविष्य के बारे में अनुमान नहीं लगाया जा सकता।''
इस सवाल पर कि क्या कंपनी पहली तिमाही में बिक्री में आई गिरावट की भरपाई वित्त वर्ष की शेष अवधि में कर पाएगी, उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि कोविड-19 की स्थिति आगे क्या रहेगी।'' श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘दीर्घावधि की मांग काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि कोविड की समस्या कैसे हल होती है। अर्थव्यवस्था की बुनियाद कैसी है, वित्तपोषण की क्या स्थिति है कई चीजें हैं। इतनी अनिश्चितताएं हैं कि कुछ भी अनुमान लगाना मुश्किल है।''
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