रिलायंस-फ्यूचर डील कंप्लीट करने की डेडलाइन बढ़ी, जानिए क्या हो गई नई तारीख
punjabkesari.in Friday, Apr 02, 2021 - 06:34 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः रिलायंस इंडस्ट्रीज की खुदरा कारोबार करने वाली कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स ने किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप के थोक व खुदरा कारोबार को खरीदने का सौदा पूरने की समय-सीमा 6 महीने के लिए बढ़ा दी है। फ्यूचर रिटेल के द्वारा शेयर बाजारों को दी गई एक सूचना के अनुसार, रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (आरआरवीएल) ने लांग स्टॉप डेट (लंबी प्रतीक्षा तिथि) के तहत सौदा पूरा करने की समयावधि 31 मार्च, 2021 से बढ़ाकर 30 सितंबर, 2021 कर दी है। लम्बी अवधि की तिथि के अंदर संबंधित पक्षों को सौदा पूरा करना होता है।
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फ्यूचर रिटेल ने कहा, ‘‘योजना और अन्य लेन-देन दस्तावेजों के प्रावधानों के अनुसार, आरआरवीएल ने अधिकार प्रदान करने की कवायद की है, जिसमें 31 मार्च, 2021 से 30 सितंबर, 2021 तक 'लॉन्ग स्टॉप डेट' की समयसीमा का विस्तार किया गया है, जिसे विधिवत स्वीकार किया गया है।''
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क्या होती है लॉन्ग स्टॉप डेट
जब भी दो कंपनियां या समूह आपस में विलय करते हैं तो एक निश्चित समयसीमा के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आखिरी तारीख तय की जाती है। इस आखिरी तारीख तक दोनों कंपनियों के बीच सौदे से जुड़ा लेनदेन पूरा कर लिया जाता है।
रिलायंस-फ्यूचर के सौदे का अमेजन कर रही विरोध
उल्लेखनीय है कि रिलायंस और फ्यूचर के इस सौदे का अमेजन विरोध कर रही है। यह मामला अभी उच्चतम न्यायालय के समक्ष और उसका अंतिम निर्णय आना है। इस सौदे की घोषणा 29 अगस्त 2020 को की गई थी। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) तथा शेयर बाजारों से इस सौदे को मंजूरियां मिल चुकी हैं। एनसीएलटी और शेयरधारकों से मंजूरी की प्रतीक्षा की जा रही है।
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उच्चतम न्यायालय ने फ्यूचर ग्रुप पर इस सौदे पर आगे बढ़ने से लगी रोक हटा दी है। उच्चतम न्यायालय ने एनसीएलटी को भी कार्यवाही बढ़ाने की मंजूरी दे दी है, हालांकि तब तक आदेश सुनाने को नहीं कहा है जब तक वह अपना आदेश नहीं सुना देता है। दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने पिछले महीने फ्यूचर ग्रुप को सौदे पर आगे बढ़ने से रोक दिया था। इसे फ्यूचर ग्रुप ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। इससे पहले अमेजन ने इस सौदे के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय पंचाट का दरवाजा खटखटाया था, जिसने सौदे को रोक दिया था। बाद में अमेजन ने पंचाट के उसी फैसले को अमल में लाने के लिए उच्च न्यायालय की शरण ली थी।