3 साल बाद क्रूड 71 डॉलर के पार

punjabkesari.in Friday, Jan 26, 2018 - 08:55 AM (IST)

नई दिल्लीः इंटरनैशनल मार्कीट में क्रूड (कच्चा तेल) की कीमतें दिसम्बर 2014 के बाद पहली बार 71 डॉलर प्रति बैरल के पार चली गई हैं। वहीं, डब्ल्यू.टी.आई. क्रूड की कीमतें भी 66 डॉलर प्रति बैरल के रिकॉर्ड स्तर पर हैं। क्रूड में तेजी का असर पैट्रोल-डीजल की कीमतों पर देखा जा रहा है। आज दिल्ली में पैट्रोल 72.49 रुपए प्रति लीटर तो डीजल 63.53 रुपए प्रति लीटर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। वहीं पैट्रोल-डीजल महंगा होने से आम आदमी की जेब पर बोझ लगातार बढ़ रहा है।

इंपोर्ट करने वाले देशों की चिंता बढ़ी
क्रूड की कीमतों में आई तेजी से इंपोर्ट करने वाले देशों की चिंता बढ़ती जा रही है। ब्रेंट क्रूड की कीमतें 71 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं जो पिछले 3 साल से ज्यादा का टॉप स्तर है। इससे पहले दिसम्बर 2014 में क्रूड 71 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचा था। पिछले 6-7 माह की बात करें तो क्रूड में 59 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी आ चुकी है। जून में क्रूड 44.48 डॉलर के स्तर पर था। वहीं, डब्ल्यू.टी.आई. क्रूड की कीमतें 66.22 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर हैं।

क्यों बढ़ रहीं कीमतें 
एक्सपर्ट्स के मुताबिक यू.एस. में लगातार 10वें सप्ताह में क्रूड इन्वैंट्री में कमी आई है। वहीं डॉलर लगातार कमजोर बना हुआ है, जिसका असर क्रूड की कीमतों पर दिख रहा है। दूसरी ओर ओपेक (ओ.पी.ई.सी.) देशों के अलावा रूस में तेल का प्रोडक्शन घटा देने से मार्कीट में सप्लाई कमजोर हुई है। इन वजहों से मार्कीट में ओवरबॉट की स्थिति बनी है, जिसका असर क्रूड की कीमतों पर दिख रहा है।

बढ़ सकती है महंगाई
क्रूड की कीमतें बढऩे से देश का करंट अकाऊंट डेफिसिट बढ़ सकता है। असल में भारत अपनी जरूरतों का 82 प्रतिशत क्रूड इंपोर्ट करता है। क्रूड की कीमतें लगातार बढऩे से भारत का इंपोर्ट बिल उसी रेशो में महंगा होगा, जिससे करंट अकाऊंट डेफिसिट की स्थिति बिगड़ेगी। क्रूड की कीमतें बढऩे से महंगाई बढऩे का भी डर होता है। इंटरनैशनल मार्कीट में क्रूड महंगा होने से इंडियन बास्केट में भी यह महंगा हो जाता है। इससे तेल कंपनियों पर माॢजन का दबाव भी बढ़ता है।


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