कोरोना की मार! देश की जीडीपी वृद्धि की रफ्तार धीमे पड़ने का अनुमान: ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स
punjabkesari.in Wednesday, Jul 29, 2020 - 02:14 PM (IST)
नई दिल्ली: ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स ने कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के अंत तक धीमी पड़ने का अनुमान है। इसकी वजह अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने के शुरुआती प्रयास असर खो रहे हैं। ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स ने अपनी रिपोर्ट ‘इंडिया: ए रीओपनिंग गोन रॉंग’ (भारत:अर्थव्यवस्था को फिर से खोलना गलत हो गया) में कहा है कि केंद्र सरकार की अर्थव्यवस्था को फिर से शुरू करने की कोशिशें पहले ही जमीनी स्तर पर अटक गयी हैं। रिपोर्ट के अनुसार एशिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं में सुधार के मुकाबले भारत का प्रदर्शन खराब है। भारत को पहले की रफ्तार तक पहुंचने में अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले लंबा समय लग सकता है।
आर्थिक वृद्धि की रफ्तार धीमी
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमारा चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार धीमी पड़ने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने पर बढ़त मिली थी, इसके एक बार फीके पड़ने के साथ-साथ महामारी के प्रकोप के बने रहने, अपर्याप्त नीतिगत समर्थन और अर्थव्यवस्था से जुड़ी पुरानी दिक्कतें इसकी पुन:पुष्टि करने वाले कारक हैं।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि जोखिम साफ नजर आ रहा है। कुछ राज्य सरकारों विशेषकर अमीर राज्य सरकारों ने कोरोना वायरस को रोकने के लिए सक्रियता से कदम उठाए हैं, जिसका असर आगे आता दिखाई दे रहा है।
कोरोना मामलों में बढ़ोत्तरी
ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स ने कहा कि शुरुआती आंकड़ों से लग रहा था कि लॉकडाउन से तेजी से बाहर आने का सकारात्मक असर अर्थव्यवस्था पर जून में दिखेगा, क्योंकि वैश्विक वृद्धि दर में सुधार दिखना शुरू हुआ था जिससे निर्यात क्षेत्र को मदद मिली। हालांकि उससे आगे का परिदृश्य और चिंताजनक है। अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने की परेशानियां दिखने लगी हैं क्योंकि कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोत्तरी जारी है।
जून के बाद से पूरे देश के सभी इलाकों में वायरस संक्रमण के नए हॉटस्पॉट सामने आने लगे हैं। दिल्ली को छोड़कर और कोई राज्य या क्षेत्र कोरोना वायरस पर नियंत्रण पाने में सफल नहीं रहा है। देश की आर्थिक वृद्धि दर 2019-20 में 4.2 प्रतिशत रही। विभिन्न घरेलू और वैश्विक एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष के लिए अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में 3.2 प्रतिशत से लेकर 9.5 प्रतिशत तक की गिरावट के अनुमान जताए हैं।