नोटंबदीः बैंकों में जमा हुए 1949 करोड़ रुपए, इंडस्ट्री और खेतीबाड़ी सेक्टर कर्ज में दबे

punjabkesari.in Wednesday, Nov 08, 2017 - 05:45 PM (IST)

नई दिल्लीः नोटबंदी लागू हुए एक साल पूरा हो गया है। शहर की इकॉनमी, छोटे व्यापारियों, बैंकिंग, इंडस्ट्री, एजुकेशन और मेडिकल सेक्टर पर नोटबंदी का सीधा असर पड़ा। करंसी की दिक्कत के कारण शुरुआती महीनों में आम आदमी बुरी तरह प्रभावित हुआ और कारोबार में मंदी आई। नोटबंदी का लपेट में एनआरआईज भी आ गए थे। विदेशों में बसे एनआरआईज ने अपने खातों से 482 करोड़ रुपये निकलवाकर यूरोप की मार्केट में लगा दिए। एक साल बाद जालंधर के बैंकों में 1949 करोड़ रुपये का डिपॉजिट बढ़ा है जबकि 301 करोड़ के कर्ज में दब गए हैं। 

लीड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार लोगों ने 39 बैंकों की 780 शाखाओं में पिछले साल सितंबर तक 55,223 करोड़ रुपए जमा कराए थे। नोटबंदी के बाद 1949 करोड़ रुपए बढ़कर 57172 करोड़ रुपए हो गए। एनआरआई खातों की बात करें तो नोटबंदी से पहले इनमें 13,033 करोड़ रुपए जमा थे जोकि 482 करोड़ रुपए घटे हैं। बैंकों ने पिछले साल 17,262 करोड़ रुपए का कर्ज दिया था। इसमें कमी आई है।

एक्सपोर्ट्स पर नोटबंदी का असर  
ईपीसीएच पूर्व चेयरमैन राजकुमार महलोत्रा ने कहा कि जब नोटबंदी हुई तो तकरीबन हर एक्सपोर्ट पर उसका असर दिखा। नोटबंदी के ऐलान के तीन महीने तक छोटे एक्सपोर्ट्स का कारोबार करीब-करीब बंद होने के कगार पर पहुंच गया। कुछ इंडस्ट्रीज जैसे हैंडीक्राफ्ट, हैंडलूम, टैक्सटाइल, कारपेट जैसी इंडस्ट्रीज में लैबर का काम ज्यादा रहता है और यहां लोगों के पास अपने लैबर्स को पैसा देने के लिए कैश नहीं था। उस वक्त 10 से 15 फीसदी लोग अपना काम बंद करने के कगार पर पहुंच गए थे। लेकिन अब अगर एक साल बाद की बात करें तो ज्यादातर एक्सपोर्ट्स को तकरीबन नोटबंदी से राहत मिल चुकी है।
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ट्रडर्स और किसानों पर नोटबंदी का असर
नोटबंदी के बाद देशभर में कारोबारियों को कैश की किल्लत के लिए बड़े संकट का सामना करना पड़ा। लेकिन अब अगर नोटबंदी के एक साल बाद की बात करें तो कारोबार में जितना कैश पहले था वह उतना वापस आ चुका है। नोटबंदी का असर किसानों पर काफी ज्यादा पड़ा। किसानों की फसलें बहुत कम रेट पर बिकीं। 


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