चीनी मोबाइल कंपनिय ने 5500 करोड़ की रॉयल्टी भेजी बाहर, भारत सरकार ने कसा शिकंजा!

punjabkesari.in Friday, Dec 31, 2021 - 07:47 PM (IST)

नई दिल्लीः चीन की दो प्रमुख मोबाइल निर्माता कंपनियों ने भारत से विदेश में अपनी अपनी समूह की कंपनियों को 5500 करोड़ रुपये रॉयल्टी के तौर पर भेजे हैं। उल्लेखनीय है कि गत 21 दिसंबर को आयकर विभाग ने चीन की दो प्रमुख मोबाइल कंपनियों शाओमी और ओप्पो के पूरे भारत में स्थित कार्यालयों और अन्य परिसरों पर छापेमारी की कारर्वाई की थी। आयकर विभाग ने आज इस संबंध में एक बयान जारी किया है लेकिन उसमें किसी कंपनी का नाम नहीं दिया गया है सिर्फ चीन की दो प्रमुख मोबाइल निर्माता कंपनी का जिक्र हैं।

बयान में कहा गया है कि इन कंपनियों ने अपनी अपनी समूह की कंपनियों को रॉयल्टी के तौर पर करीब 5500 करोड़ रुपये भेजे हैं। विभाग ने कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान, दिल्ली और एनसीआर में यह कारर्वाई की थी। इस दौरान कई तरह के साक्ष्य और दस्तावेज आदि जब्त किये गये थे।

विभाग ने कहा कि इन दोनों कंपनियों ने जो रॉयल्टी भेजी है वे तलाशी के दौरान मिले साक्ष्य के आधार पर उचित नहीं है। इन कंपनियों ने आयकर कानून 1861 के तहत इस संबंध में जारी दिशा निर्देशों का भी पालन नहीं किया है। इसके लिए इन कंपनयों पर एक हजार करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

छापेमारी में मिले साक्ष्य के आधार पर विभाग ने कहा कि इन कंपनियों ने भारतीय कंपनियों में विदेशी निवेश की बात की है लेकिन वास्तव में ये निवेश संदेहास्पद है और निवेशकों की विश्वसनीयता संहेद के दायरे में हैं। इस तरह से 5000 करोड़ रुपये का निवेश दिखा गया है और इस पर ब्याज पर व्यय का दावा किया गया है।

इन कंपनियों ने व्यय को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया है और सहयोगी कंपनियों की ओर से भी भुगतान आदि दिखाया है जिससे इन कंपनियों के कर योग्य आय कम हो गयी है। यह राशि भी 1400 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। इन कंपनियों ने भारत में स्थित अपनी अन्य सहायक इकाइयों की सेवायें ली हैं लेकिन इसके लिए स्रोत पर कर की कटौती का अनुपालन नहीं किया है। इस मद की राशि करीब 300 करोड़ रुपये हो सकती है।

विभाग के अनुसार जांच के दौरान एक कंपनी के भारतीय निदेशकों ने स्वीकार किया है कि प्रबंधन में उनकी कोई भूमिका नहीं है और सिफर् उनके नाम का उपयोग किया गया है। इसके माध्यम से भी कंपनी ने कर का भुगतान किये बगैर ही देश से बाहर 42 करोड़ रुपये भेजे हैं। छापेमारी के दौरान पता चला कि कुछ फिनटेक और सॉफ्टवेयर कंपनियों की सेवायें लेने की बात व्यय को बढ़ा चढ़ा कर दिखाने के लिए कही गयी है। इन कंपनियों का गठन ही इसी उद्देश्य से किया गया है। इस तरह से भी 50 करोड़ रुपये की राशि निकाले जाने की आशंका है। इन दोनों कंपनियों के विरूद्ध जाँच अभी जारी है।


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Content Writer

Yaspal

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