PM मोदी के राहत पैकेज पर चिदंबरम ने जताई निऱाश, कहा- पुनर्विचार करे सरकार
punjabkesari.in Monday, May 18, 2020 - 01:31 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः कोरोना महामारी को लेकर मोदी सरकार द्वारा आखरी आर्थिक पैकेज जारी किए जाने के बाद कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार के 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक राहत पैकेज पर निराशा जताई है। उन्होंने कहा कि हम इस पैकेज पर निराश हैं, सरकार से प्रोत्साहन पैकेज पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हैं। चिदंबरम ने कहा कि हम इस बात पर गहरा खेद व्यक्त करते हैं कि राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज में कई वर्गों को बेसहारा छोड़ दिया गया है।
केंद्र सरकार अधिक उधार ले
वहीं अब पी चिदंबरम ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहन जीडीपी के 0.91% की राशि 1,86,650 करोड़ रुपए है। आर्थिक संकट की गंभीरता को देखते हुए यह पूरी तरह से अपर्याप्त है। सरकार जीडीपी के 10 फीसदी के बराबर वास्तविक अतिरिक्त व्यय के 10 लाख रुपए से कम नहीं के व्यापक राजकोषीय प्रोत्साहन की घोषणा करे। सुधारों को आगे बढ़ाते हुए सरकार अवसरवादी हो रही है, यह संसद में चर्चा को दरकिनार कर रही है और इसका विरोध किया जाएगा। वहीं सरकार को सुझाव देते हुए चिदंबरम ने कहा कि केंद्र सरकार अधिक उधार ले और अर्थव्यवस्था को एक प्रोत्साहन देने के लिए अधिक खर्च करे।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने वित्त मंत्री की ओर से घोषित पैकेज का पूरे ध्यान से विश्लेषण किया। हमने अर्थशास्त्रियों से बात की। हमारा यह मानना है कि इसमें सिर्फ 1,86,650 करोड़ रुपए का वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज है।’’ चिदंबरम के मुताबिक आर्थिक बजट की शेष राशि कई बजट का हिस्सा है और कई घोषणाएं कर्ज देने की व्यवस्था का हिस्सा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के आर्थिक पैकेज से 13 करोड़ कमजोर परिवार, किसान, मजदूर और बेरोजगार हो चुके लोग असहाय छूट गए हैं।
मध्य वर्ग के लोगों को सिर्फ निराशा हाथ लगी
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि वित्त मंत्री के पांच दिनों के ‘धारावाहिक’ से देश के गरीबों, मजदूरों, किसानों और मध्य वर्ग के लोगों को सिर्फ निराशा हाथ लगी है। उन्होंने कहा, ‘‘यह जुमला पैकेज है। वित्त मंत्री ने जो पांच दिनों तक धारावाहिक दिखाया है उससे साबित होता है कि इस सरकार को गरीबों की कोई चिंता नहीं है। लोगों की दर्द की अनदेखी की गई है।’’ सुप्रिया ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने संसद के पटल पर मनरेगा का मजाक मनाया था। आज वही मनरेगा ग्रामीण भारत में संजीवनी का काम कर Qरही है।’’