फिर से बढ़ने लगा कैशलेस ट्रांजैक्शन, RBI की स्ट्रैटजी आई काम

punjabkesari.in Thursday, May 11, 2017 - 02:19 PM (IST)

नई दिल्लीः घटते कैशलेस ट्रांजैक्शन को कंट्रोल करने की आर.बी.आई. की स्ट्रैटजी सफल होती नजर आ रही है। नवंबर के बाद से लगातार घटते कैशलेस ट्रांजैक्शन ने अप्रैल और मई में एक बार फिर रफ्तार पकड़ी हैं। बैंकिंग इंडस्ट्री से मिली जानकारी के अनुसार आर.बी.आई. जिस फ्लो से नई करंसी की सप्लाई दिसंबर, जनवरी के महीने में कर रहा था। उसकी वजह से लोगों ने फिर कैश का यूज करना शुरू कर दिया था, जिसे देखते हुए करंसी की सप्लाई का फ्लो फिर से आर.बी.आई. स्लो कर रहा है जिसका असर बढ़े हुए कैशलेस ट्रांजैक्शन के रुप में दिख रहा है। 
 

करंसी सर्कुलेशन घटी
आर.बी.आई. से मिले आंकड़ों के अनुसार नोटबंदी के एलान के पहले 4 नंवबर 2016 को कुल 17.74 लाख करोड़ रुपए की करंसी सर्कुलेशन में थी। जो घटकर 6 जनवरी को 8.73 लाख करोड़ रुपए पर आ गई थी। जो अब फिर 28 अप्रैल तक के आंकड़ों के अनुसार 14.7 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है। अभी भी मौजूदा करंसी सर्कुलेशन नोटबंदी के पहले की स्थिति से करीब 20 फीसदी कम है। जिसकी वजह से एटीएम आदि में कैश की किल्लत दोबारा बढ़नी शुरू हो गई है।कैशलेस ट्रांजैक्शन बढ़ाना मकसद   मोदी सरकार नोटबंदी के जरिए देश में ब्लैकमनी को कम करने के साथ-साथ कैशलेस ट्रांजैक्शन को भी बढ़ाना चाहती है। ऐसा कर वह ज्यादा से ज्यादा लोगों  को टैक्स नेट में भी लाना चाहती है। साथ ही देश में मौजूद ब्लैकमनी की इकोनॉमी पर लगाम लगाना चाहती है।


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