करोड़ों ग्राहकों को बड़ी राहत! RBI ने ऑटो डेबिट पेमेंट लागू करने की डेडलाइन बढ़ाई

punjabkesari.in Wednesday, Mar 31, 2021 - 05:54 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः उन करोड़ों उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर है जिनका बिजली, मोबाइल का बिल या दूसरे यूटिलिटी बिल का पेमेंट ऑटो डेबिट होता है क्योंकि रिजर्व बैंक ने एडिशनल फैक्टर ऑथेंटिफिकेशन (AFA) के लिए नई गाइडलाइंस को लागू करने की डेडलाइन को आगे बढ़ा दिया है।

1 अप्रैल से अटक जाते ऑटो डेबिट पेमेंट
दरअसल आरबीआई ने देश में डिजिटल पेमेंट को ज्यादा सुरक्षित बनाने के मकसद से एडिशनल फैक्टर ऑथेंटिफिकेशन (AFA) को लागू करने का निर्देश दिया था। रेकरिंग ऑनलाइन पेमेंट में ग्राहकों के हितों और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए और उन्हें फ्रॉड से बचाने के मकसद से AFA का इस्तेमाल करते हुए एक फ्रेमवर्क तैयार करने का निर्देश दिया गया था। IBA की अपील को देखते हुए इसे लागू करने के लिए डेडलाइन को 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दिया गया था ताकि बैंक इस फ्रेमवर्क को लागू करने की पूरी तैयारी कर सकें।

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डेडलाइन बढ़ाकर 30 सितंबर की 
रिजर्व बैंक ने बैंकों से दिसंबर 2020 में कहा था कि 31 मार्च 2021 तक फ्रेमवर्क को लागू करने की तैयारी कर लें। रिजर्व बैंक का कहना है कि बार-बार मौके दिए जाने के बाद भी इस फ्रेमवर्क को लागू नहीं किया गया है, ये बेहद चिंता की बात है, इस पर अलग से बात की जाएगी। बैंकों की तैयारियों में देरी से कस्टमर को दिक्कत पेश न आए इसलिए बैंकों को फ्रेमवर्क में शिफ्ट होने के लिए 30 सितंबर 2021 तक का मौका दिया जाता है। इसके बाद अगर चूक हुई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अगर ये RBI की गाइडलाइंस 1 अप्रैल से लागू हो जातीं तो देश के करोड़ों कस्टमर्स मुश्किल में आ जाते। डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड से जिनके ऑटो डेबिट पेमेंट हैं, वो अटक जाते, OTT सब्सक्रिप्शन फेल हो जाता लेकिन रिजर्व बैंक की इस मोहलत से कस्टमर्स राहत की सांस ले सकते हैं।
 
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क्या है ऑटो डेबिट से जुड़ा नया नियम
आरबीआई ने अगस्त 2019 में रेकरिंग ऑनलाइन ट्रांजैक्शन्स के e-mendates के प्रोसेसिंग के लिए एक फ्रेमवर्क जारी किया था। यह फ्रेमवर्क पहले कार्ड्स और वॉलेट तक सीमित था लेकिन जनवरी 2020 में यूपीआई ट्रांजैक्शन को भी शामिल करने के लिए इसका विस्तार किया गया था।

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RBI की गाइडलाइंस, बैंकों ने पालन नहीं किया
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने चेतावनी दी थी कि लाखों कस्टमर्स जिन्होंने ऑनलाइन मंजूरियां (e-mandates) दे रखी हैं, 1 अप्रैल के बाद फेल हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बैंकों ने e-mandates के लिए RBI की गाइडलाइंस के मुताबिक रजिस्ट्रेशन, ट्रैकिंग, मॉडिफिकेशन और विद्ड्रॉल को एक्टीवेट करने के लिए कदम नहीं उठाए हैं। IAMAI ने आशंका जताई थी कि अप्रैल में 2000 करोड़ रुपए तक के पेमेंट्स पर असर पड़ सकता है।


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Content Writer

jyoti choudhary

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