बाबा रामदेव को झटका, पतंजलि की रुचि सोया अधिग्रहण डील के लिए कर्ज देने को तैयार नहीं SBI

punjabkesari.in Friday, Nov 29, 2019 - 02:25 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः पतंजलि आयुर्वेद की तरफ से रुचि सोया को खरीदने की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने खाद्य तेल बनाने वाली कंपनी को खरीदने से जुड़ी डील के लिए पतंजलि आयुर्वेद को अकेले फंडिंग करने से मना कर दिया है। ईटी की खबर के मुताबिक इस डील में बैंक की तरफ से 3700 रुपए का लोन दिया जाना था।

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बैंक जोखिम उठाने की स्थिति में नहीं
एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया की हमने निर्णय किया है कि इस सौदे से जिन अन्य बैंकों को फायदा होना है वह भी इस लोन में अपनी हिस्सेदारी दें। एसबीआई अकेले पूरा लोन नहीं देगी। पतंजली एक बहुराष्ट्रीय कंपनी नहीं है और इसकी वित्तीय स्थिति के बारे में भी बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है। इसलिए बैंक इस समय जोखिम उठाने की स्थिति में नहीं है। एसबीआई के इस निर्णय के बाद अब पतंजली फंड की व्यवस्था के अन्य वैकल्पिक उपायों पर विचार कर रही है। बता दें की कंपनी का यह सौदा 4,350 करोड़ रुपए का है। इसमें कंपनी 3,700 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज बैंकों से लेना चाहती है और 600 करोड़ रुपए का इंतजाम वह अपने स्तर पर करेगी।

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कंपनी पर पहले से ही है कर्ज का बोझ
बता दें कि कंपनी पर पहले से कर्ज का बोझ है। कंपनी पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का 816 करोड़, पंजाब नेशनल बैंक का 743 करोड़, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक का 608 करोड़ और डीबीएस का 243 करोड़ रुपए कर्ज है। बाबा रामदेव की कंपनी पतंजली कर्सोटियम अधिग्रहण प्राइवेट लिमिटेड ने कर्ज में डूबी रुचि सोया को खरीदने के लिए 4325 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी।

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पतंजलि को रुचि सोया की बोली लगाते वक्त ही फंडिंग का इंतजाम करना था
सरकारी बैंक के एक अधिकारी के मुताबिक, ‘SBI इस सौदे के लिए दूसरे बैंकों को कर्ज देने पर मजबूर नहीं कर सकता। यह यह कमर्शल डिसिजन है। हर बैंक अपने हित देखकर फैसला करेगा। वे दिन गए, जब दूसरे बैंक SBI जैसे लीड बैंक को देखकर फैसला लेते थे और बैंक मिलकर कर्ज देते थे। अब हर कोई अपना फैसला ले रहा है। पतंजलि को रुचि सोया की बोली लगाते वक्त ही फंडिंग का इंतजाम करना था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। अगर सौदे पर बात नहीं बनती तो बैंक कंपनी की तरफ से दी गई गारंटी भुनाने की सोच सकते हैं।’

पिछले साल लगाई थी बोली
पिछले साल अगस्त में रुचि सोया के लिए सबसे ऊंची बोली अडानी विल्मर ने लगाई थी। तब पतंजलि के साथ उसका कड़ा मुकाबला हुआ था। हालांकि, दिसंबर 2018 में अडानी विल्मर ने रुचि सोया के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल को लेटर लिखकर कहा था कि इनसॉल्वेंसी प्रोसेस में देरी के चलते कंपनी की संपत्ति प्रभावित हो रही है। अडानी विल्मर के बाहर निकलने के बाद रुचि सोया को खरीदने की रेस में सिर्फ पतंजलि बच गई थी। उसने अप्रैल में बोली 200 करोड़ रुपए बढ़ाकर 4,350 करोड़ रुपए कर दी थी। रुचि सोया को खरीदने के बाद पतंजलि सोयाबीन ऑइल और दूसरे प्रॉडक्ट्स की बड़ी सप्लायर बन जाएगी। माना जा रहा है कि इस डील से पतंजलि को अपनी ग्रोथ तेज बनाए रखने में मदद मिलेगी।


 


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jyoti choudhary

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