‘एजीआर बकाया: वोडाफोन, इंफ्राटेल-इंडस विलय से मिलने वाली राशि से वोडाफोन-आइडिया को मिल सकती है मदद''

punjabkesari.in Saturday, Jun 20, 2020 - 11:56 AM (IST)

नई दिल्लीः विश्लेषकों का कहना है कि भारती इंफ्राटेल और इंडस्ट टावर्स के प्रस्तावित विलय और वोडाफोन पीएलसी से अतिरिक्त भुगतान मिलने से संकट से जूझ रही दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के बकाए का धीरे धीरे बाद में भुगतान की अनुमति पाने के लिये शुरुआती आंशिक जमा कराने में मदद मिल सकती है। हालांकि, इसके लिए शीर्ष अदालत की मंजूरी आवश्यक होगी। 

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एजीआर मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया सहित निजी दूरसंचार कंपनियों को "उचित भुगतान योजना" के साथ सामने आना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा था कि इन कंपनियों को अभी कुछ भुगतान करना चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वे बकाया भुगतान करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। 

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने शुक्रवार को एक नोट में कहा, "भारती एयरटेल और टाटा टेली ने दूरसंचार विभाग (डीओटी) की मांग का क्रमश: 41 प्रतिशत और 25 प्रतिशत जमा किया है, वहीं वोडाफोन आइडिया (वीआईएल) ने केवल 12 प्रतिशत जमा किया है।" उसने कहा कि वोडाफोन आइिडया, वोडाफोन पीएलसी की 67 अरब रुपए (यानी 6,700 करोड़ रुपए) की अशोधित क्षतिपूर्ति से धन जुटा सकता है। इसके अलावा भारती इंफ्राटेल तथा इंडस टावर्स के बीच विलय से उसे 3,600 करोड़ रुपए मिल सकते हैं। 

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने कहा कि उसे वोडाफोन आइडिया से 1,000-2,000 करोड़ रुपए जमा करने की उम्मीद है। इस राशि को कंपनी की बैलेंस शीट की स्थिति के मुताबिक 'उचित' भुगतान के रूप में सही ठहराया जा सकता है। वोडाफोन आइडिया ने पहले भी अपने एजीआर बकाए का लगातार भुगतान किया है, इससे भी कंपनी को विश्वसनीयता मिलनी चाहिए। उसने कहा, "भारती ने पहले ही 180 अरब रुपए (दूरसंचार विभाग की मांग का 41 प्रतिशत) और टाटा टेली ने 42 अरब रुपये (डीओटी की मांग का 25 प्रतिशत) का भुगतान किया है। इनके समक्ष वीआईएल द्वारा अब तक 69 अरब रुपए (11.8 प्रतिशत) का भुगतान किया गया है।'' 


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jyoti choudhary

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