हवाई अड्डा खरीद टालेंगे अडानी!

punjabkesari.in Friday, Jun 18, 2021 - 06:28 PM (IST)

नई दिल्लीः अडानी समूह ने तीन हवाई अड्डों- जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम के अधिग्रहण को दिसंबर तक टाल दिया है। समूह ने इसके पीछे तर्क दिया है कि महामारी की दूसरी लहर के कारण व्यवधान आने से हवाई अड्डों का परिचालन अपने हाथों में लेने में अक्षम है। मामले के जानकार सूत्रों ने कहा कि अडानी समूह ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) को पत्र लिखकर फोर्स मेज्योर प्रावधान के तहत हवाई अड्डों के अधिग्रहण को छह महीने टालने की मांग की है।

तीनों हवाई अड्डों के लिए बाध्यकारी रियायत समझौते की शर्तों पर 19 जनवरी को हस्ताक्षर किए गए थे और अडानी समूह को 180 दिन के अंदर इन हवाई अड्डों के प्रबंधन तथा परिचालन का नियंत्रण अपने हाथों में लेना था। एएआई बोर्ड जून के अंत में होने वाली बैठक में इस मसले पर निर्णय करेगा। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'कंपनी ने विमानन क्षेत्र के मौजूदा अड़चनों को देखते हुए अधिग्रहण में अक्षमता का हवाला देकर फोर्स मेज्योर लागू करने की मांग की है। समझौते में शामिल इस प्रावधान के तहत दोनों पक्षों के नियंत्रण से परे असाधारण स्थिति में अधिग्रहण में देरी करने की अनुमति दी जा सकती है।' 

फरवरी 2020 में कंपनी ने अहमदाबाद, लखनऊ और मंगलूरु हवाई अड्डे के अधिग्रहण में देरी के लिए भी इसी तरह फोर्स मेज्योर प्रावधान का उपयोग किया था, जिसके तहत एएआई ने अधिग्रहण की समयसीमा छह महीने बढ़ा दी थी। बाद में समूह ने नवंबर में तीनों हवाई अड्डों का अधिग्रहण किया था। 2019 में अडानी समूह ने आक्रामक बोली के जरिए एएआई के स्वामित्व वाले छह हवाई अड्डों को उन्नत बनाने और उनका परिचालन का अधिकार हासिल किया था। उदाहरण के लिए जीएमआर समूह ने अहमदाबाद और जयपुर हवाई अड्डे के लिए प्रति यात्री क्रमश: 85 रुपए और 69 रुपए की बोली लगाई थी हजबकि अडानी ने इसके लिए क्रमश: 177 रुपए और 174 रुपए प्रति यात्री की बोली लगाई थी। कंपनी की योजना से वाकिफ सूत्रों का कहना है कि समूह हवाई अड्डों का अधिग्रहण करने के लिए तैयार था लेकिन महामारी की दूसरी लहर की वजह से प्रबंधन नियंत्रण में बदलाव से पहले परिसंपत्तियों के सत्यापन तथा वित्तीय क्लोजर में देरी की वजह से पूरी प्रक्रिया में देरी हुई।

दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों के प्रबंधन में बदलाव की प्रक्रिया में शामिल रहे उद्योग एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रबंधन और परिचालन नियंत्रण में बदलाव में परिसंपत्तियों के सत्यापन सहित कई चीजें शामिल होती हैं। उन्होंने कहा, 'मान लीजिए समझौते में कहा गया है कि हवाई अड्डे पर 50 एक्स-रे मशीनें हैं। ऐसे में अडानी को प्रबंधन अपने हाथ में लेने से पहले उसकी पुष्टि करनी होगी और यह भी देखना होगा कि उसकी स्थिति कैसी है। इसी तरह अन्य उपकरणों का भी भौतिक सत्यापन करना होता है। यह जटिल प्रक्रिया है जिसमें काफी श्रमबल लगता है।'

हालांकि कंपनी मुंबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट (मायल) का प्रबंधन अधिग्रहण में ज्यादा सक्रिय रही थी। कंपनी ने पिछले साल अगस्त में जीवीके समूह से इस हवाई अड्डे के परिचालन का नियंत्रण हासिल किया था। गौतम अडानी के बेटे करण अडानी, जो अडानी पोट्र्स एसईजेड के मुख्य कार्याधिकारी हैं और अडानी कैपिटल के मुख्य कार्याधिकारी गौरव गुप्ता को कंपनी के निदेशक मंडल में शामिल किया गया है।
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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