पढ़ें जीएसटी स्लैब, भुगतान और विवाद के बारे में

punjabkesari.in Wednesday, Aug 12, 2020 - 04:48 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः देश में एक समान कर व्यवस्था लागू करने के लिए मोदी सरकार वर्ष 2017 में जीएसटी लागू किया। ये ऐसा टैक्‍स है, जो देशभर में किसी भी गुड्स या सर्विसेज की मैन्‍युफैक्‍चरिंग, बिक्री और इस्‍तेमाल पर लागू किया गया। इससे एक्‍साइज ड्यूटी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), स्टेट के सेल्स टैक्स यानी वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैंप ड्यूटी, टेलिकॉम लाइसेंस फीस, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या बिक्री और गुड्स के ट्रांसपोर्टेशन पर लगने वाले टैक्स खत्म हो गए।
 
कितने तरह के GST हैं 
1. सीजीएसटी यानी सेंट्रल जीएसटी: इसे केंद्र सरकार वसूलती है।
2. एसजीएसटी यानी स्टेट जीएसटी: इसे राज्य सरकार वसूलती है।। 
3. आईजीएसटी यानी इंटिग्रेटेड जीएसटी: अगर कोई कारोबार दो राज्यों के बीच होगा तो उस पर यह टैक्स लगता है। इसे केंद्र सरकार वसूलकर दोनों राज्यों में बराबर बांटता है।
4. यूनियन टेरेटरी जीएसटी: यूनियन गवर्नमेंट द्वारा एडिमिनिस्ट्रेट किए जाने वाले गुड्स, सर्विस या दोनों पर लगता है।। इसे सेंट्रल गवर्नमेंट ही वसूलती है।
 
जीएसटी क्यों लागू किया गया था?
जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) को प्रत्येक नोडल पॉइंट पर करों के संग्रह में सुधार करने और समान जीएसटी कर-दर के माध्यम से देश को एकीकृत करने के लिए अपनाया गया था। राज्यों और केंद्र द्वारा व्यक्तिगत रूप से लगाए गए अप्रत्यक्ष करों की लंबी सूची को हटाकर, भारतीय अर्थव्यवस्था को भी एक महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा। सरकार द्वारा इन चार बिलों को पारित किए जाने के बाद जीएसटी लागू किया गया। वस्तु एवं सेवा कर विधेयक, एकीकृत जीएसटी बिल, मुआवजा जीएसटी बिल और केंद्र शासित प्रदेश जीएसटी बिल।
 
जीएसटी 4-स्तरीय कर स्लैब का अनुसरण करता है क्योंकि सरकार ने इसे आवश्यक वस्तुओं और विलासितायें दोनों पर एक समान कर दरों को लागू करने के लिए अनुचित पाया। इस प्रकार, भारत में वस्तुओं और सेवाओं पर लागू जीएसटी कर स्लैब 5%, 12%, 18% और 28%  है। बड़े पैमाने पर खपत के लिए नियमित वस्तुएं जैसे कि खाद्य अनाज, अंडे, गुड़, नमक, रोटी, आदि, किसी भी कराधान को आकर्षित नहीं करते हैं।  

GST विवाद
GST कंपन्सेशन विवाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दखल दिया था। जिसके बाद पीएम ने GST कंपन्सेशन का विस्तृत ब्योरा मांगा। पीएम ने वित्त मंत्रालय से रिपोर्ट मांगी। बता दें कि राज्यों और केंद्र में जीएसटी कंपन्सेशन पर विवाद जारी है। बता दें कि जीएसटी कानून के तहत, राज्यों को एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के पहले पांच वर्षों में राजस्व में होने वाले नुकसान की भरपाई की गारंटी दी गई लेकिन राजस्व साझेदारी की मौजूदा फॉर्मूला के तहत केंद्र सरकार राज्यों के जीएसटी का हिस्सा दे पाने में सक्षम नहीं है।

केंद्र ने जारी किया 36,400 करोड़ का जीएसटी कॉम्पेंसेशन
बता दें कि केंद्र सरकार ने जून में राज्यों को 36,400 करोड़ का GST कंपन्सेशन जारी किया था। यह रकम दिसंबर 2019 से फरवरी 2020 के बीच की है। केंद्र सरकार अप्रैल-नवंबर 2019 के बीच 1,15, 096 करोड़ रुपए का GST कंपन्सेशन पहले ही राज्यों को जारी कर चुकी है।

जुलाई में केंद्र सरकार ने 13,806 करोड़ रुपए की अंतिम किस्त जारी की है। राज्यों को किए जाने वाले मुआवजे के भुगतान के फॉर्मूले पर दोबारा काम करने के लिए जुलाई में जीएसटी परिषद की बैठक होने वाली थी। हालांकि, अभी तक यह बैठक नहीं हो सकी है। GST एक्ट 2017 में संशोधन पर चर्चा जारी है।
 


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jyoti choudhary

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