पूंजी पर 5 कर निवेश, बचत को कर रहे हैं प्रभावित  : पटेल

punjabkesari.in Wednesday, Feb 07, 2018 - 05:59 PM (IST)

मुंबईः शेयरों पर दीर्घावधि का पूंजीगत लाभ कर( एलटीसीजी) लगाने के प्रस्ताव पर विवाद के बीच भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने आज कहा कि पूंजी पर पांच अलग तरह के शुल्क लगते हैं, जिससे निवेश और बचत प्रभावित होती है।  रिजर्व बैंक मुख्यालय में मौद्रिक समीक्षा बैठक के बाद परंपरागत संवाददाता सम्मेलन में पटेल ने कहा कि कंपनियों पर कॉरपोरेट कर लगता है, लाभांश वितरण कर, 10 लाख रुपये से अधिक की लाभांश आय पर, प्रतिभूति लेनदेन कर और पूंजीगत लाभ कर पहले से लगता है।

उन्होंने कहा कि कुल पांच तरीके के कर हैं। ये निश्चित रूप से निवेश और बचत के फैसलों को प्रभावित करते हैं। उनसे जीडीपी के समक्ष निवेश का अनुपात निम्न रहने के विषय में प्रश्न किया गया था।  उन्होंने कहा कि भारत पूंजी पर कई स्रोतों से कराधान लगता है। मेरा मानना है कि इनकी दरें सीमित होने के बावजूद इनका बोझ पड़ता है।  सरकार ने बजट 2018-19 में 10 प्रतिशत का दीर्घावधि का पूंजीगत लाभ कर लगाने का प्रस्ताव किया है हालांकि, गवर्नर का कहा कि निवेश से जीडीपी अनुपात में सुधार की काफी गुंजाइश है। उत्पादन क्षमता इस्तेमाल के स्तर में सुधार हुआ है तथा ऋण के उठाव में दो अंकीय वृद्धि ऐसे संकेत हैं जिनसे उनको भरोसा होता है कि निवेश-जीडीपी अनुपात में सुधार होगा।

राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से ज्यादा होने पर केंद्रीय बैंक के लिए चुनौती और बढ़ जाएगी।  वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक फरवरी को 2018-19 का आम बजट पेश करते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) पर राजकोषीय घाटे के अनुमान को 3.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत कर दिया था। इसके अलावा अगले वित्त वर्ष के लिए भी राजकोषीय घाटे का अनुमान तीन से बढ़ाकर 3.3 प्रतिशत किया गया था।  पटेल ने कहा कि रिजर्व बैंक वित्त वर्ष के अनुसार स्वत: ही सरकार के साथलाभांश साझा करना जारी रखेगा।


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