''दरअसल हमने तो बस ऑडियंस के जुडऩे भर की उम्मीद की थी''

punjabkesari.in Sunday, Feb 28, 2021 - 06:58 PM (IST)

मुम्बई (विशेष): वाई.आर.एफ. के आंगन में पले-बड़े प्रोड्यूसर मनीष शर्मा और डायरैक्टर शरत कटारिया को भरोसा ही नहीं हो पा रहा था कि ‘दम लगा के हईशा’ (डी.एल.के.एच.) के लिए हिंदी की बेस्ट फीचर फिल्म श्रेणी का प्रतिष्ठित नैशनल फिल्म अवार्ड जीत लिया है। आयुष्मान खुराना और भूमि पेडणेकर अभिनीत कल्ट क्लासिक फिल्म के रिलीज होने की 6वीं वर्षगांठ पर यह डायनेमिक जोड़ी इस ताजा और सदाबहार रोमांस को बनाने की अपनी यात्रा के बारे में बता रही है।

 


प्रोड्यूसर मनीष का कहना है कि फिल्में प्रोड्यूस करना कभी मेरे खयाल का हिस्सा ही नहीं था। लेकिन, आदित्य चोपड़ा नामक व्यक्ति की योजनाओं बारे कोई भनक तक नहीं थी। ‘शुद्ध देसी रोमांस’ अभी रिलीज ही हुई थी और मैं ‘फैन’ की तैयारियों में जुटा था। एक खुशनुमा सुबह आदि के द्वारा शुरू की गई बातचीत का नतीजा यह निकला कि मैं रातोंरात प्रोड्यूसर बन गया! यही जीवन है! कुछ लोग हिम्मत जुटाते हैं और अन्य को मैदान में ठेल दिया जाता है। यकीनन मैं बाद वाली किस्म का शख्स हूं।’
फिल्म को लेकर जबर्दस्त रिएक्शन पर डायरैक्टर शरत का कहना है कि लिखते वक्त ऐसी किसी भी चीज का खयाल दिमाग में नहीं लाते। आप अनिश्चय के भंवर में डूबे होते हैं और हमेशा यही कोशिश करते हैं कि अपने सर्वश्रेष्ठ विचार लिख डालें। ऐसी कोई अपेक्षा नहीं थी, और अगर आप पूछ ही रहे हैं, तो बता दूं कि लोगों की प्रतिक्रिया से मैं अभिभूत था, लेकिन ऐसा रिएक्शन मिलने की मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी।


मनीष का कहना है कि किसी फिल्म के साथ चाहे प्रोड्यूसर, डायरैक्टर या कहानी लेखक के तौर पर जुड़ा रहूं, हर भूमिका में सहज और मूल प्रवृत्ति पर बहुत ज्यादा भरोसा करता हूं। इस बात का इस चीज से गहरा ताल्लुक है कि जिंदगी के उस मुकाम पर आपको क्या सही लगता है। आप किसी नैरेटिव, किरदार या जॉनर से बावस्ता हो जाते हैं। और आप अपनी सहज और मूल प्रवृत्ति का साथ निभाते हैं।

आप इस प्रक्रिया में अपनी ऊर्जा और समय को झोंक देते हैं। मेरा अंदाजा है कि अब तक इस सोच ने मुझे कामयाबी ही दी है।
फिल्म की यू.एस.पी. को लेकर पूछे सवाल के जवाब में शरत ने कहा कि वाकई नहीं जानता। फिल्म को रिलीज के साल भर बाद फिर से देखा था, वह भी एक फिल्म फेस्टीवल में ऑडियंस के बीच बैठ कर। अभी तक यह समझ में नहीं आया कि ऑडियंस के दिल में कौन सी चीज उतर गई। लेकिन, यह मान कर चल रहा हूं, इसे मेरा हायपोथेटिकल जवाब ही मानिएगा- हो सकता है कि फिल्म की कॉमेडी, किरदार या अभी भी कह नहीं सकता कि कौन सी चीज काम कर गई, या फिर नई चीज क्या थी।


प्रश्न: आपने भारत को आयुष्मान और भूमि के रूप में एक ताजा, नई और रोमांचक जो?ी दी है, जो अब हिट फिल्मों की हैट्रिक जमा चुकी है। आपके मुताबिक वह क्या खासियत थी, जिसने डीएलकेएच में इस जो?ी को इतना प्यारा बना दिया कि उसके बाद लोग इन पर अपना प्यार बरसाते चले आ रहे हैं?
शरत का कहना है कि इसमें आयुष्मान और भूमि के टैलेंट के सिवा और किसी चीज का हाथ नहीं है। यह हर फिल्म के किरदार में पूरी तरह से उतर जाने और समझाया गया किरदार ही बन जाने वाली उनकी प्रतिभा का कमाल है। यकीन के साथ कह सकता हूं कि उनकी फिल्में और पर्फॉर्मेंस कामयाब होने की यही वजह है। 


शरत ने कहा कि उनके पास बड़ी प्यारी यादें हैं। एक बात यही थी कि मुझे एक दोस्त के ट्वीट से पता चला कि नैशनल अवार्ड मिला है। मेरे मुंह से निकला- क्या सच में! मैं इसकी अपेक्षा नहीं कर रहा था। मुझे यह जानकारी भी नहीं थी कि अवार्ड घोषित हो चुके हैं या यह (फिल्म) अवार्ड के लिए सबमिट की गई है। अवार्ड मिलने के बाद पहली प्रतिक्रिया कुछ ऐसी थी- ओ माय गॉड! अब मैं पूरे दिन काम नहीं कर पाऊंगा।

मुझे याद है कि मनीष को फोन कर कहा था कि फिल्म ने नैशनल अवार्ड जीत लिया है, न केवल हिंदी की बेस्ट फीचर फिल्म के लिए, बल्कि बेस्ट सिंगर (मोनाली) और सर्वश्रेष्ठ गीतकार (वरुण ग्रोवर) की कैटेगरी में भी अवार्ड मिला है। वह भी आश्चर्यचकित थे और बोले कि क्या बात कर रहे हो। उसके बाद तो इतने कॉल आना शुरू हो गए कि फोन की घंटी रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।


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News Editor

ashwani

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