सेहत और कोविड बदइंतजामी के कारण हटाए जा सकते हैं शी जिनपिंग

punjabkesari.in Thursday, Jun 02, 2022 - 06:39 AM (IST)

ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि शी जिनपिंग जल्दी ही चीन के राष्ट्रपति पद को छोड़ सकते हैं। सोशल मीडिया पर छाई इस खबर ने दुनिया भर में सनसनी मचा दी है। इसके पीछे जो कारण दिए जा रहे हैं, उनमें आर्थिक मंदी से जूझ रहे चीन में कोविड महामारी के दौरान हालात को सही तरीके से संभालने में असफल रहना शामिल है। साथ ही शी जिनपिंग की सेहत भी खराब है। जानकारों के अनुसार उन्हें सेरेब्रल, न्यूमरिज्म है, जो मस्तिष्क से जुड़ी एक खतरनाक बीमारी है, जिसे दवा से ठीक करना संभव नहीं और इसके लिए मस्तिष्क की शल्य क्रिया ही एकमात्र रास्ता बताया जा रहा है। लेकिन जिनपिंग पारंपरिक चीनी दवाएं ले रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि उनके ऑप्रेशन के दौरान उनकी जान को खतरा हो सकता है, जिसका पोलित ब्यूरो में विरोधी गुट लाभ उठा सकता है। 

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस बीमारी के चलते शी जिनपिंग को वर्ष 2021 के अंत में अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ा था। इससे पहले भी मार्च 2019 में इटली के एक दौरे पर शी जिनपिंग को चलने में कुछ तकलीफ देखी गई थी। उसी दौरे पर जब शी जिनपिंग फ्रांस पहुंचे तो उन्हें उठने-बैठने में भी परेशानी हो रही थी, कुर्सी पर बैठने के लिए वह अपने सहायकों का सहारा लेते हुए देखे गए। इसके साथ ही अक्तूबर 2020 में शनछन में शी जिनपिंग को एक मीटिंग को संबोधित करना था, जिसमें वह अपने तय समय से देरी से पहुंचे थे, साथ ही उनके बोलने का अंदाज धीमा था। बोलने के दौरान वह बीच-बीच में खांसते जा रहे थे, जो इस तरफ इशारा कर रहा था कि जिनपिंग की सेहत अच्छी नहीं है। 

हाल ही में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की पोलित ब्यूरो की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक के बाद इस अफवाह ने जोर पकडऩा शुरू किया। इस अफवाह को कनाडा के एक ब्लॉगर ने हवा दी, जब उसने इस विषय पर एक वीडियो बनाया, जो जैसे ही चीन पहुंचा, उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बाद उस वीडियो को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मीडिया विभाग ने सोशल मीडिया से तुरंत हटा दिया। यानी उस वीडियो को चीन में कोई नहीं देख सकता। इस कनाडाई ब्लॉगर ने दावा किया है कि वर्ष 2022 के अंत में कम्युनिस्ट पार्टी की एक बड़ी बैठक में शी जिनपिंग को कम्युनिस्ट पार्टी से अलग होने के लिए मजबूर किया जाएगा। उस समय तक चीन के प्रधानमंत्री पद को संभालने वाले ली ख छ्यांग शी जिनपिंग की जिम्मेदारी संभाल और पार्टी की दैनिक कार्रवाई की कमान अपने हाथों में ले सकते हैं। 

वहीं इस राजनीतिक संकट के दौरान चीन में एक बार फिर कोरोना महामारी तेजी से अपने पैर पसार रही है। चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने महामारी से सख्ती से निपटने को कहा है। इस वजह से चीन की आॢथक और राजनीतिक राजधानियों शंघाई और पेइचिंग दोनों में सख्त लॉकडाऊन लगाया गया है। चीन सरकार द्वारा की गई इस सख्ती के चलते लोगों को बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही चीन की अर्थव्यवस्था को इस सख्ती से बहुत नुक्सान हुआ है। एक अर्थशास्त्री का कहना है कि अगर लॉकडाऊन एक महीने तक जारी रहता है तो चीन की अर्थव्यवस्था मंदी में चली जाएगी। आर्थिक मामलों के जानकारों ने इस समय चीन को शून्य जी.डी.पी. और शून्य गतिविधि वाली अर्थव्यवस्था का नाम दिया है। 

एक तरफ जहां विदेशी कंपनियां चीन से बाहर जा रही हैं और वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलीपींस समेत भारत का रुख कर रही हैं, तो वहीं जो बड़ी कंपनियां अब भी चीन में बनी हुई हैं, वे कोई नया निवेश करने से परहेज कर रही हैं। लॉकडाऊन के चलते जहां 15 दिन पहले तक किसी भी व्यक्ति के पेइचिंग से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी गई थी, वहीं जो जरूरी काम से बाहर जा रहे हैं, उन्हें पेइचिंग वापस लौटते समय आर.टी. पी.सी.आर. टैस्ट करवाना जरूरी हो गया है। पहले हर तीसरे दिन कोविड टैस्ट करवाना जरूरी था, लेकिन अब हर व्यक्ति का रोजाना कोविड टैस्ट किया जा रहा है। चीन में लोग शी जिनपिंग की इस सख्ती से परेशान हो गए हैं और रोष में भी हैं। 

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि महामारी चीन के सामाजिक और आॢथक विकास को बड़ा ब्रेक लगा सकती है। इसके साथ ही चीन को बड़ा आर्थिक नुक्सान भी हो रहा है। अप्रैल महीने में बढ़ते हुए युआन के भाव में गिरावट दर्ज की गई। आॢथक मामलों के जानकारों का कहना है कि एक महीने में युआन के बाजार भाव में 4 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। युआन के भाव में यह गिरावट इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले 28 वर्षों में युआन में अब तक की एक महीने में हुई यह सबसे बड़ी गिरावट है। 

कोरोना महामारी के इस कठिनाई भरे दौर में शी जिनपिंग द्वारा लागू की गई शून्य कोविड नीति से चीनियों का अपने शीर्ष नेताओं पर से विश्वास उठता जा रहा है। लोगों में अपने प्रशासन के प्रति भारी रोष भरा हुआ है, सोशल मीडिया पर जारी कई वीडियो में लोगों को प्रशासनिक अधिकारियों से लड़ते देखा जा सकता है। कई जगह पर लोगों द्वारा अपने कम्पाऊंड में सरकारी कर्मचारियों की तरफ से लगाई गई बाड़ को तोड़कर फैंकते हुए भी देखा जा सकता है। ये सब इस तरफ इशारा कर रहा है कि चीन के सत्ता के गलियारे में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा और जल्दी ही कोई बड़ा उलट-फेर देखने को मिल सकता है।


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