चीन की सेना में फैला व्यापक भ्रष्टाचार

punjabkesari.in Wednesday, Mar 30, 2022 - 05:37 AM (IST)

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपनी 20 लाख की पैदल सेना के दम पर ही अपने हर पड़ोसी की जमीन हथिया रही है और विवाद खड़ा करती है। दरअसल चीन की जितनी बड़ी सेना है, उसमें उतने ही बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार भी फैला है। दुनिया को दिखता है कि यह चीन की सेना है लेकिन असलियत में पी.एल.ए. अपने शुरूआती दौर से ही कम्युनिस्ट पार्टी की सेना है, जिसका इस्तेमाल वह देश-विदेश में अपना चेहरा बचाने के लिए करती आई है। 

सेना में व्यापक स्तर पर फैले भ्रष्टाचार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शी जिनपिंग ने सत्ता संभालते ही भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की शुरूआत वर्ष 2012 में कर दी थी, जिसके बाद से अब तक चीनी सेना के 160 जनरल स्तर के अधिकारियों की भ्रष्टाचार के मामले में जांच की जा चुकी है। यह संख्या पी.एल.ए. के बनने के 100 वर्षों से अब तक युद्ध में मारे गए जनरलों से भी कहीं अधिक है। 

सेना में भ्रष्टाचार का स्तर व्यापक है। आमतौर पर सेना के वाहनों तथा रॉकेट दागने वाले हथियारों को कबाड़ बताकर बेच दिया जाता है, तेल को भी ऐसे ही बेच दिया जाता है। जिन लांचरों से 10 रॉकेट दागे जाते हैं, उनके बारे में रिपोर्ट में कहा जाता है कि इनसे 100 से अधिक राकेट दागे जा चुके हैं और अब इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। यही हाल सेना में प्रोमोशन का है। चीनी सेना में 2 सबसे भ्रष्ट अधिकारी, जो सी.सी.पी. के मिलिट्री कमिशन के वाइस चेयरमैन के पद पर तैनात हैं, के नाम सू स्ताईहोऊ और कुओ बोक्सियोंग हैं। 

इन दोनों के खिलाफ कम्युनिस्ट पार्टी की हुई एक ब्रीफिंग में जानकारी सामने आई कि सू त्साईहोऊ रिश्वत लेकर पद आबंटित करता था। वह सेना के साथ-साथ आर्मी पुलिस में रिश्वत लेकर मलाईदार पदों पर अधिकारियों की नियुक्तियां करता था और दूसरे अधिकारियों को उनके पदों से हटाया भी करता था। वर्ष 2014 में फिनिक्स वीकली में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार भ्रष्टाचार के खिलाफ जांचदल को सू के 2000 मीटर विशाल बंगले के भूमिगत तल में यूरो, डॉलर और चीनी युआन के भंडार मिले, जिन्हें उनके लिए गिन पाना संभव नहीं था, इसलिए उन्होंने सारी मुद्राओं को तौला तो उसका वजन 1 टन निकला। इसके अलावा वहां पर ढेर सारे एंटीक सामान मिले, जिनमें विभिन्न चीनी राजवंशों की जेड की बनी कलाकृतियां, मूर्तियां और पेंटिंग्स शामिल थीं। जांच दल को 12 आर्मी ट्रकों में वह सारा सामान भरकर ले जाना पड़ा। 

पी.एल.ए. के जनरल लियु यात्सोऊ के अनुसार, सेना के लॉजिस्टिक्स विभाग के उप-मंत्री ने यह पद पाने के लिए सू त्साईहोऊ को गायिकाएं, अभिनेत्रियां और होस्टेस परोसीं, जहां पहुंच कर उसने 200 अरब युआन या 3.2 अरब अमरीकी डॉलर के वारे-न्यारे किए। हांगकांग से छपने वाली ट्रैन्ड्स मैगजीन ने वर्ष 2016 में पी.एल.ए. के एक अंदरूनी दस्तावेज को आधार बनाकर एक  रिपोर्ट छापी थी जिसके अनुसार सू त्साईहोऊ ने वर्ष 2000-2012 में 80 महिला अधिकारियों को ऊंचे सैन्य पदों पर प्रोन्नत किया था, जिनमें से इसके सभी के साथ यौन संबंधों की पुष्टि की गई थी। इसके बाद सू को गिरफ्तार किया गया, कुछ ही महीनों के बाद उसकी मौत हो गई। आधिकारिक तौर पर उसकी मौत का कारण कैंसर बताया गया, जबकि सूत्रों के हवाले से पता चला कि वह एड्स से मरा था। 

एक अन्य चीनी सैन्य अधिकारी कुओ बोक्सियांग, जिसने न सिर्फ सेना की कई शहरों में जमीनें बेचीं बल्कि हथियारों की खरीद-फरोख्त में रिश्वत भी ली। उसके घर से 9 नकली पासपोर्ट मिले थे। वह सू से पहले सैन्य अधिकारी था जो महिला अधिकारियों के यौन उत्पीडऩ के मामले में लिप्त पाया गया था। 

जानकारों का मानना है कि चीनी सेना में फैले भ्रष्टाचार की जड़ तंग श्याओ फिंग की नीतियां थीं, जो उन्होंने सेना के लिए वर्ष 1985 में लागू की थीं। इसके तहत सेना को व्यावसायिक काम करने दिए गए, जिसमें व्यापार और वाणिज्य शामिल था। इसके पीछे कारण सेना द्वारा अपने सैनिकों के लिए भोजन की व्यवस्था करना था। तंग श्याओ फिंग ने नीति बनाई कि सेना के खर्च का 60 प्रतिशत हिस्सा राज्य देगा और बाकी 40 प्रतिशत सेना खुद खर्च करेगी। इसके तहत सी.सी.पी. की मिलिट्री रिसर्च यूनिटों ने सार्वजनिक व्यावसायिक शाखा का रूप ले लिया और हवाई जहाज, कारें और यहां तक कि एयर कंडीशनर भी बनाने लगीं।

चीन में आज की मशहूर इलैक्ट्रॉनिक कंपनी छेंगहांग पहले मिलिट्री रिसर्च इंस्टीच्यूट थी, जो राडार बनाती थी। इसी तरह चीन की सबसे बड़ी हथियार बनाने वाली कंपनी पॉली, आज फ्रिज, माइक्रोवेव अवन, इलैक्ट्रिक कैटल, वॉशिंग मशीन जैसे उपकरण बना रही है। पी.एल.ए. ने 80 के दशक में अपने बनाए हथियारों और दूसरे उपकरणों, इलैक्ट्रॉनिक उत्पादों की देश के बाहर तस्करी करनी  शुरू की, जो इतने बड़े स्तर पर होने लगी कि सितंबर 1998 में चीन के प्रधानंत्री ज़ू रॉन्गजी ने एक मीटिंग बुलाई और कहा कि चीन से होने वाली तस्करी में सेना का बड़ा हाथ है। 125 अरब अमरीकी डॉलर की तस्करी में 78.6 अरब डॉलर की तस्करी सेना के द्वारा होती है।

रोन्गजी ने कहा कि अगर इसके एक तिहाई हिस्से पर टैक्स लगाया जाए तो वह राशि 25.2 अरब डॉलर की होगी जो सरकारी खजाने में आएगी, लेकिन यह धनराशि सैन्य अधिकारियों की जेबों में जा रही है। 1990 की शुरूआत में जियांग जेमिन सी.सी.पी. के अध्यक्ष बने। उन्होंने सेना की व्यापारिक गतिविधियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन यह युक्ति काम न आई और सेना पहले की तरह व्यापारिक गतिविधियों में लिप्त रही। 

शी जिनपिंग ने आते ही सेना की व्यापारिक गतिविधियों पर रोक लगाई, पिछले 10 वर्षों में 160 जनरलों पर कार्रवाई के अलावा 18000 कर्नल रैंक के सैन्याधिकारियों को पद से नीचे का ओहदा दिया, जिससे कई अधिकारी डिप्रैशन का शिकार हुए और कुछ ने अपने जुर्म के बदले सजा पाने के डर से आत्महत्या तक कर ली। शी जिनपिंग द्वारा उठाए गए कदम दिखाते हैं कि कम्युनिस्ट पार्टी की सैन्य इकाई में फैला भ्रष्टाचार एक सुव्यवस्थित संस्थागत समस्या है न कि कभी कभी होने वाली समस्या। 


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