कानूनी दृष्टि से ‘आपराधिक मामले’ श्री अकाल तख्त साहिब पर क्यों

punjabkesari.in Thursday, Mar 12, 2020 - 03:58 AM (IST)

क्या कानूनी दृष्टि से अपराध माने जाने वाले मामले, श्री अकाल तख्त साहिब पर विचाराधीन लाए जा सकते हैं? यह सवाल समूचे रूप में और विशेष कर आम सिखों की ओर से पूछा जा रहा है। इसका कारण यह माना जाता है कि श्री अकाल तख्त साहिब सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था है, जहां सिख धर्म से संबंधित स्थापित धार्मिक मान्यताओं, मर्यादाओं एवं परम्पराओं आदि से संबंधित उठने वाले विवादों का समाधान किया जाता है और वह समाधान भी पांच सिंह साहिबान, पांच प्यारों के रूप में मिल-बैठकर और सभी पक्षों पर गंभीरता से विचार करके करते हैं और फैसला देते हैं। उनका फैसला समूचे सिख पंथ के लिए मान्य होता है। 

जहां तक कानूनी दृष्टि से अपराध माने जाने वाले मामलों का संबंध है, उनके संबंध में सिख धर्म के इतिहास और धार्मिक मान्यताओं के जानकारों का मानना है कि उन्हें न तो श्री अकाल तख्त साहिब पर ले जाया जा सकता है, न ही श्री अकाल तख्त साहिब पर उन पर विचार ही किया जा सकता है और न ही उन पर श्री अकाल तख्त साहिब से कोई ऐसा फैसला लिया जा सकता है जो सभी वर्गों को मान्य हो। इसका कारण यह माना जाता है कि कानूनी रूप से आपराधिक मामलों के अपराधी को कानून अनुसार सजा देने का अधिकार श्री अकाल तख्त साहिब के पास नहीं है, वह केवल धार्मिक मान्यताओं की अवहेलना किए जाने पर धार्मिक सजा ही दे पाने का अधिकारी है। दूसरा आपराधिक मुद्दों पर दिए गए फैसले, उन दो वर्गों से ही संबंधित होते हैं, जिनके बीच इन मुद्दों को लेकर विवाद चल रहा होता है। 

ऐसी स्थिति में जब बीते दिनों दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में हो रहे भ्रष्टाचार के मुद्दों पर हो रही गंभीर चर्चाओं के आधार पर लगाए जा रहे आरोप-प्रत्यारोप और मनजीत सिंह जी के नाम से हरी नगर स्कूल के संबंध में जारी कथित चिट्ठी के फर्जी होने आदि से संबंधित मामलों, जिन्हें कानूनी दृष्टि से अपराध माना जाता है, को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार द्वारा विचाराधीन ले लिए जाने की बात सामने आने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला सवाल तो यही है कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर, इन मामलों को अकाल तख्त पर विचाराधीन लाना स्वीकार क्यों किया? क्या इसलिए कि इनका संबंध धार्मिक सिख संस्था, दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से है? दूसरा सवाल यह है कि क्या वह इन मामलों में अपराधी साबित होने वालों को कानून अनुसार बनती सजा दे पाएंगे? 

श्री अकाल तख्त साहिब की परम्परा, मर्यादा और अधिकार क्षेत्र से परिचित धार्मिक विद्वानों का मानना है कि इन मामलों को विचाराधीन स्वीकार करना श्री अकाल तख्त साहिब के अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है। दूसरा वह यह भी कहते हैं कि बीते काफी समय से श्री अकाल तख्त साहिब से जो फैसले लिए जाते चले आ रहे हैं, उनके संबंध में आम चर्चा यही है कि वे सत्ताधारियों को संरक्षण देने और उनके हितों की रक्षा करने तक ही सीमित होते हैं। 

वह बताते हैं कि पिछले वर्ष अक्तूबर में दिल्ली से होने वाले दो अंतर्राष्ट्रीय नगर कीर्तनों के विवाद में श्री अकाल तख्त साहिब के वर्तमान जत्थेदार साहिब ने ही दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी को आदेश दिया था कि वह 13 अक्तूबर को किए जाने वाले नगर कीर्तन को ‘मुल्तवी’ करे और पूरी स्वीकृति मिलने के बाद ही नगर कीर्तन की नई तारीख का ऐलान किया जाए। दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के मुखियों ने जत्थेदार साहिब के आदेशानुसार नगर कीर्तन को मुल्तवी न कर, रद्द कर दिया। इसी प्रकार इसी आदेश में यह भी कहा गया था कि सोने की पालकी के लिए कितना सोना और पैसा आया है, उसका विवरण श्री अकाल तख्त साहिब पर भेजे जाने के साथ ही, संगतों की जानकारी के लिए फ्लैक्स बोर्ड पर प्रदॢशत किया जाए। इस आदेश का पालन भी दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के मुखियों की ओर से नहीं किया गया। इसकी शिकायत किए जाने पर भी श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा दिल्ली कमेटी से जवाब-तलबी नहीं की गई। क्यों? इतने से ही क्या सभी सवालों का जवाब नहीं मिल जाता?

अकाल तख्त का सहारा क्यों : आपराधिक प्रवृत्ति के सिख मुखी अपनी आपराधिक सरगर्मियों के चलते अपने पर लगने वाले आरोपों के मुद्दे श्री अकाल तख्त साहिब पर ही क्यों ले जाना चाहते हैं? क्या वे कानूनी शिकंजे से बचने और विरोधियों के मुंह बंद करने के लिए श्री अकाल तख्त साहिब का संरक्षण प्राप्त करना चाहते हैं? यह सवाल इसलिए उठाया जा रहा है क्योंकि बताया गया है कि काफी समय पूर्व एक अकाली मुखी, जो गंभीर आपराधिक मामले में लिप्त माना जा रहा था, अपने पर लग रहे आरोपों का मुद्दा लेकर श्री अकाल तख्त साहिब पर जा पहुंचा, जहां से उसे क्लीन चिट देने के साथ दोष-मुक्त भी कर दिया गया। अभी श्री अकाल तख्त साहिब से मिली क्लीन चिट की स्याही सूखी भी नहीं थी कि अदालत का फैसला आ गया, जिसमें उसी मामले में उस अकाली मुखी को दोषी ठहराते हुए कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। अदालत का यह फैसला आने से श्री अकाल तख्त साहिब और उसके जत्थेदार की निष्पक्षता पर कई तरह के सवाल उठाए जाने लगे थे। 

पंथक फोरम का जत्थेदार को पत्र : मिली जानकारी के अनुसार आल इंडिया पंथक फोरम के मुखियों डा. हरमीत सिंह, बलदेव सिंह गुजराल, कुलबीर सिंह, जतिंद्र सिंह साहनी और ए.एस. तेजी ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को पत्र लिखकर उनकी ओर से हरी नगर स्कूल के विवाद और दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के मुखियों पर लग रहे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की जांच करवाए जाने की जिम्मेदारी स्वयं संभाल लिए जाने का स्वागत किया है और साथ ही उन्हें सुझाव दिया है कि उनकी ओर से करवाई जाने वाली जांच की निष्पक्षता पर कोई सवाल न उठाया जा सके, इसके लिए जरूरी है कि वह दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष मनजिंद्र सिंह सिरसा को आदेश दें कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक के लिए वह गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष पद का कार्यभार वरिष्ठ उपाध्यक्ष को सौंप गुरुद्वारा प्रबंधन से बाहर हो जाएं ताकि उन पर जांच की निष्पक्षता करने का आरोप न लग सके। 

इसके साथ ही इन मुखियों ने यह सुझाव भी दिया है कि जांच की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए इसकी जांच ऐसे कानूनी विदों को सौंपी जाए, जो कानूनी विशेषज्ञ होने के साथ ही सिख इतिहास और उसकी धार्मिक मान्यताओं के जानकार भी हों। इस संबंध में उन्होंने जांच कमेटी में शामिल करने के लिए जस्टिस टी.एस. दुआबिया, जस्टिस कुलदीप सिंह, जस्टिस आर.एस. सोढी, पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी इकबाल सिंह लालपुरा के साथ को-आर्डीनेटर के रूप में शिरोमणि कमेटी के प्रतिनिधि के नाम सुझाए हैं। 

...और अंत में : गुरुद्वारा चुनाव विशेषज्ञ और गुरुद्वारा कमेटी के मुख्य सलाहकार इंदरमोहन सिंह ने अगले वर्ष के प्रारंभ में होने वाले दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव के लिए फोटो वाली मतदाता सूचियां बनाए जाने का काम शुरू हो जाने की जानकारी देते हुए, दिल्ली के सिखों से अपील की है कि यदि वे चाहते हैं कि गुरुद्वारा प्रबंधन धार्मिक सोच और सिख धर्म के प्रति समर्पित शख्सियतों के हाथों में हो, तो हर उस सिख को अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज करवाना चाहिए, जो मतदाता बनने की शर्तों को पूरा करता है।-न काहू से दोस्ती न काहू से बैर जसवंत सिंह ‘अजीत’
 


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