विश्व रैंकिंग्स में हमारी गिरावट का सिलसिला कहां जाकर रुकेगा

punjabkesari.in Monday, May 09, 2022 - 05:36 AM (IST)

जुलाई 2020 में सरकार ने घोषणा की थी कि वह 29 चुङ्क्षनदा वैश्विक सूचकांकों पर भारत की कारगुजारी पर नजर रखेगी। रैंकिंग में कैसे सुधार लाया जाए इस बारे रणनीति बनाने के लिए 47 केंद्रीय मंत्रालयों तथा विभागों के साथ एक बैठक आयोजित की गई। देखते हैं कि तब से अब तक क्या हुआ है। 

संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक में हम एक स्थान नीचे गिर गए हैं। इसका कारण औसत आय में गिरावट तथा लड़कियों की शिक्षा तथा स्वास्थ्य में निवेश न होना है। संयुक्त राष्ट्र की विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट खुशी को नहीं मापती। यह प्रति व्यक्ति जी.डी.पी., जीवन अपेक्षता, स्वतंत्रता तथा भ्रष्टाचार को नापती है। यहां भारत 19 स्थान नीचे खिसक गया है। वैश्विक भूख सूचकांक में, जो भूख, बच्चों में बौनापन तथा कुपोषण को मापता है, भारत 46 स्थान नीचे गिरा है और आज पाकिस्तान, नेपाल तथा बंगलादेश से पीछे है। 

संयुक्त राष्ट्र में कंजर्वेटिव (अर्थात दक्षिण पंथी) इकाइयां लम्बे समय से स्वतंत्रता पर अपने नजरिए से विश्व पर ध्यान दे रही हैं। काटो मानव स्वतंत्रता सूचकांक में भारत कानून के शासन, धार्मिक स्वतंत्रता तथा व्यापार करने की स्वतंत्रता में गिरावट के कारण 44 स्थान नीचे गिरा है। विश्व आर्थिक मंच (जिसे लोकप्रिय नाम दावोस के तौर पर जाना जाता है) ने वैश्विक लिंग अंतराल सूचकांक जारी किया है जो लिंग समानता में प्रगति पर नजर रखता है। यहां भारत 26 स्थान नीचे खिसका है। विश्व बैंक अपने महिला, व्यवसाय तथा कानून सूचकांक के माध्यम से महिलाओं के लिए आर्थिक अवसरों पर नजर रखता है। इनमें भारत 13 स्थान नीचे खिसका है। 

स्मार्ट सिटीज इंडैक्स, जो स्वास्थ्य, सुरक्षा, मोबिलिटी,एक्टिविटीज तथा नागरिकों के लिए अवसरों पर नजर रखता है, में दिल्ली 18 स्थान, बेंगलुरू 16 स्थान, हैदराबाद 18 स्थान तथा मुम्बई 15 स्थान नीचे खिसकी है। दएक्सैस नाऊ ट्रैकर विश्वभर में इंटरनैट शटडाऊन्स पर नजर रखता है। अभी तक भारत इस मामले में वैश्विक नेता है। 

भारत में 2014 में 6 शटडाऊन हुए, 2015 में 14, 2016 में 31, 2017 में 79, 2018 में 134, 2019 में 121 तथा 2020 में 109 शटडाऊन हुए। 2021 में 106 शटडाऊन थे। 2019 में वैश्विक स्तर पर कुल 213 शटडाऊन्स में से भारत का योगदान 56 प्रतिशत (अगले देश वेनेजुएला से 12 गुणा अधिक) रहा। 2020 में कुल 155 वैश्विक शटडाऊन्स में से भारत की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत थी। जिस दौरान लोगों को, रोगियों, विद्याॢथयों सहित, महामारी के दौरान भी इंटरनैट तक पहुंच नहीं दी गई। वैश्विक आर.टी.आई. रेटिंग्स में भारत 4 स्थान गिरा है क्योंकि यह अपारदर्शी बना है। 

भारत उन सूचकांकों में भी गिरा है जो लोकतंत्र पर नजर रखते हैं तथा इस बारे में पहले ही व्यापक तौर पर रिपोर्टिंग की जा रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ गोथनबर्ग की वैरायटीज ऑफ डैमोक्रेसी में भारत ने एक लोकतंत्र के तौर पर अपना दर्जा गंवा दिया तथा इसे ‘चुनावी तानाशाही’ के तौर पर वर्गीकृत किया गया जिससे यह हंगरी तथा तुर्की जैसे देशों में शामिल हो गया। अभिव्यक्ति, मीडिया तथा सिविल सोसाइटी की स्वतंत्रता के मामले में भारत ‘पाकिस्तान जितना ही तानाशाह तथा बंगलादेश व नेपाल दोनों से अधिक खराब स्थिति में था’। 

फ्रीडम हाऊस की विश्व सूचकांक में स्वतंत्रता के मामले में भारत ‘स्वतंत्र’ से ‘आंशिक स्वतंत्र’ बन गया और कश्मीर, जिसे अलग से दर्जा दिया गया, ‘आंशिक स्वतंत्र’ से ‘स्वतंत्र नहीं’ बन गया। सिविक्स मॉनीटर की नैशनल सिविल स्पेस रैंकिंग्स संघ, शांतिपूर्ण एकत्र तथा अभिव्यक्ति (जो अनुच्छेद 19 के अंतर्गत भारत में मूलभूत अधिकार हैं) की स्वतंत्रताओं पर नजर रखती है। इस मामले में भारत ‘बाधित’ से ‘दमित’ की श्रेणी में पहुंच गया। इकोनॉमिस्ट इंटैलीजैंस यूनिट के लोकतंत्र सूचकांक में भारत 19 स्थान फिसला है। भारत ने ‘हार्ड पावर’ गंवा दी, अर्थात सैन्य क्षमता तथा विश्व को प्रभावित करने की ताकत और लोवी इंस्टीच्यूट के एशिया पावर सूचकांक में भारत ने लद्दाख में हुए घटनाक्रम के बाद 2020 में ‘मुख्य शक्ति’ का दर्जा गंवा दिया। 

वल्र्ड जस्ट्सि प्रोजैक्ट देशों में कानून के शासन पर नजर रखता है। यहां भारत 13 स्थान खिसका है। वल्र्ड प्रैस फ्रीडम सूचकांक में भारत 10 स्थान नीचे गिरा है। ब्लूमबर्ग की कोविड प्रतिरोध क्षमता रैंकिंग ने भारत को पाकिस्तान तथा बंगलादेश के बाद विश्व में नीचे से चौथे स्थान पर रखा। विश्व वायु गुणवत्ता सूचकांक में विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित 30 शहरों में से भारत के 22 शहर हैं जिनमें से 11 को 2017 के बाद शामिल किया गया। येल पर्यावरण कारगुजारी सूचकांक, जो पारिस्थितिकी तंत्रों की सुरक्षा पर नजर रखता है, भारत 13 स्थान खिसका और बंगलादेश, पाकिस्तान तथा नेपाल से पीछे पहुंच गया। इसी तरह जलवायु जोखिम सूचकांक में यह 11 स्थान गिर कर एक बार फिर पाकिस्तान तथा बंगलादेश से पीछे चला गया। सतत विकास सूचकांक में भारत 10 स्थान खिसका। 

अगस्त 2020 में यह रिपोर्ट किया गया था कि मोदी सरकार वैश्विक सूचियों में भारत का दर्जा बढ़ाने के लिए छवि सुधारने हेतु मीडिया कार्यक्रमों की योजना बना रही है। इसमें बड़े पैमाने पर मीडिया कवरेज शामिल होगी जिसमें मल्टीमीडिया प्रचार तथा माइक्रोसाइटस (वैबसाइट्स के भीतर साइट्स) शामिल होंगी जिन्हें विभिन्न मंत्रालयों द्वारा तैयार किया जाएगा। हालांकि प्रचार भारत की रैंकिंग में कैसे बदलाव लाएगा, इस बारे स्पष्ट नहीं किया गया। अगस्त 2020 के बाद, जब भारत गिरावट की ओर अग्रसर है, सरकार ने फैसला किया कि यह सूचकांकों पर ध्यान नहीं देगी। इसकी बजाय इसका कहना था कि वे गलत तथा पक्षपातपूर्ण हैं। यह तो वैसे ही था जैसे कोई लड़का खेलना नहीं चाहता और अपनी विकेटें घर ले जाने का फैसला करता है। 

हालांकि सूचकांक प्रकाशित होते रहेंगे तथा भारत की गिरावट जारी रहेगी। किसी समस्या को सही करने के लिए उसे पहले स्वीकार करना होगा। केवल तब इस बारे में सोचा जा सकता है कि गलत क्या है तथा क्या ठीक किया जा सकता है। चूंकि हम पहले ही अपने अमृतकाल चरण में पहुंच चुके हैं, यहां कुछ गलत नहीं है तथा हम इस रास्ते पर आगे बढ़ते रहेंगे जो हमें कहीं भी ले जा सकता है।-आकार पटेल


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