मोदी ने जो किया वह सिख समुदाय, पंजाब और सबसे बढ़कर राष्ट्र हित में है

punjabkesari.in Monday, Nov 22, 2021 - 03:07 AM (IST)

इस वर्ष, श्री गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के साथ और भी खास हो गया जब तीन कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया जाएगा और करतारपुर साहिब कॉरिडोर को फिर से खोल दिया गया। कोई भी राष्ट्रवादी, कोई भी व्यक्ति, जो हमारे किसानों और कृषि क्षेत्र के कल्याण के बारे में सोचता है, वह इस घोषणा का स्वागत करेगा। इसी के साथ बीते कुछ महीनों में हुईं उथल-पुथल वाली घटनाओं की भी समाप्ति हो गई है, जिसने हम सभी को पीड़ा दी। मैं भी एक बार फिर उन किसानों को शुक्रिया कहना चाहता हूं जिन्होंने अत्यंत साहस दिखाया है। 

प्रधानमंत्री मोदी के फैसले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह जनता की राय सुनते हैं। अपने संबोधन में उन्होंने किसानों के लिए उनकी सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों के बारे में बताया। यह कोई सशर्त या चरणबद्ध वापसी नहीं थी और पी.एम. ने दृढ़ निर्णय लिया है। यह तथ्य कि प्रधानमंत्री ने स्वयं इसकी घोषणा की, लोग इसे जरूर याद रखेंगे। किसी और के द्वारा घोषणा करवाना या संसद के पटल पर इसकी घोषणा करना भी आसान था। फिर भी, यह जीत या हार के किसी भी राजनीतिक विचार के बिना किया गया। प्रधानमंत्री के फैसले को ‘पीछे हटने’ या ‘कमजोरी’ के रूप में देखना सही नहीं। लोकतंत्र में लोगों की इच्छा सुनने-समझने से बड़ा कुछ नहीं होता और ऐसा करने वाले नेता से बड़ा कोई लोकतांत्रिक नेता नहीं होता। 

एक सैनिक के तौर पर, जिसे वर्षों तक अपनी मातृभूमि की सेवा करने का सम्मान मिला है, मैं इस कदम का स्वागत करता हूं। संबंधों में कड़वाहट दिनों-दिन और तीखी होती जा रही थी। एक छोटी-सी घटना होने पर भी लोग एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे थे, नीयत पर टिप्पणी कर रहे थे राष्ट्र के प्रति लोगों की वफादारी पर सवाल उठा रहे थे, इनमें से कोई भी बात राष्ट्रीय प्रगति के लिए शुभ नहीं। विदेशों में, यह उन तत्वों के लिए एक मुद्दा बन गया जो भारत की एकता को नष्ट करना चाहते हैं। पाकिस्तान जैसे राष्ट्र, जिन्होंने हमें युद्ध के मैदान में कभी नहीं हराया और न कभी हरा पाएंगे, ने हमारे स्वाभिमानी और देशभक्त किसानों का उपयोग करके एक छद्म लड़ाई के लिए अपनी रणनीति तैयार की थी। प्रधानमंत्री की इस एक घोषणा ने उन आधे-अधूरे सपनों की हवा निकाल दी। 

व्यापक स्तर पर, यह राजनीति करने का समय नहीं है, कम से कम किसानों से संबंधित मुद्दों पर तो बिल्कुल नहीं। हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। ये हमारे किसान हैं जो देश का पेट भरते हैं। इसी तरह, मैं सभी से आग्रह करता हूं कि सिख धर्म का इस्तेमाल अपनी राजनीति के लिए न करें। 1980 के दशक की यादें और घाव हर किसी के सामने हैं। अगर कोई इन मुद्दों पर राजनीति करेगा तो जनता उन्हें सबक सिखाएगी। 

गुरु साहिबों की शिक्षाओं से प्रभावित एक सच्चा सिख होने के नाते, प्रधानमंत्री की घोषणाओं ने मुझे भाव विह्वल कर दिया है। किसी भी सिख ने इस तथ्य को अनदेखा नहीं किया कि कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा शुभ दिन के मौके पर हुई। प्रधानमंत्री ने श्री गुरु नानक देव जी और श्री गुरु गोङ्क्षबद सिंह जी का हवाला दिया। उन्होंने अपने संबोधन में ‘क्षमा भाव’ शब्द का इस्तेमाल किया। यह स्पष्ट है कि वह सिख समुदाय के साथ एक रिश्ता बनाना चाहते हैं। इस घोषणा से कुछ ही दिन पहले प्रधानमंत्री ने श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर कॉरिडोर खोलने का निर्णय लिया। पिछले एक साल में उन्होंने दिल्ली के 2 गुरुद्वारों में सीस नवाया है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अफगानिस्तान से लौटने पर और हमारे देश में एक विशेष सम्मान मिलने पर किस सिख को खुशी नहीं हुई। 

भारत में सिख निष्ठावान देशभक्त हैं। उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए मुगलों और अंग्रेजों से भीषण लड़ाइयां लड़ी हैं। भारत में सिख राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री, सेना प्रमुख, शीर्ष बिजनैस टाइकून, अभिनेता, कलाकार हुए हैं और कई क्षेत्रों में अपार सफलताएं प्राप्त की हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में सिख युवाओं को स्नेह और भाईचारे का संदेश दिया है। मैंने हमेशा कहा है कि एक सीमावर्ती राज्य होने के नाते पंजाब बेहद संवेदनशीलता के साथ संभालने की जरूरत है और मुझे खुशी है कि ऐसा किया जा रहा है। साथ ही, मुझे आशा है कि हम पाकिस्तान और अफगानिस्तान में जेहादी मानसिकता के कारण सिखों (और अन्य अल्पसंख्यकों) की दयनीय स्थिति पर भी ध्यान देंगे।

इस फैसले के राजनीतिक रंग के बारे में विशेष रूप से मेरी पिछली पार्टी द्वारा काफी बातें बनाई जा रही हैं। मैं ऐसे लोगों को आईना दिखाना चाहता हूं। सी.ए.ए. का विरोध 2019 के अंत में शुरू हुआ। इसके बाद दिल्ली के चुनावों में कांग्रेस को दूसरी बार एक भी सीट नहीं मिली। उन्होंने कोविड लॉकडाऊन के दौरान प्रवासियों की वापसी का राजनीतिकरण करने की कोशिश की और बिहार में, जहां के प्रवासियों की संख्या काफी ज्यादा थी, कांग्रेस का चुनावी प्रदर्शन इतना खराब रहा कि राजद में इनके मित्र सत्ता में वापसी नहीं कर सके (यू.पी. 2017 की पुनरावृत्ति)! इस साल मई में कोविड और कृषि कानूनों की चरम स्थितियों में केरल में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस जीत नहीं पाई, भले ही राज्य में वाम और कांग्रेस के बीच बारी-बारी का इतिहास रहा हो। 

पुड्डुचेरी में उन्होंने अपनी सरकार खो दी, जबकि बंगाल और असम में यह एक तरह से सफाया हो गया। इन मुद्दों को सुलझाने की बजाय उन्होंने पंजाब को अस्थिर कर दिया, एकमात्र राज्य जहां उन्होंने 2017 के बाद से हर चुनाव जीता है। इसके विपरीत, दिल्ली में भाजपा अपने दम पर टिकी रही और बिहार में अकेली सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी, बिहार और पुड्डुचेरी में सरकारें बनाईं और कृषि कानूनों की अवधि के दौरान, बंगाल में उल्लेखनीय रूप से सुधार किया। इस प्रकार, यही समय है कि हम हर निर्णय के साथ राजनीतिक मंशाएं जोडऩा बंद कर दें। 

जो लोग मुझे जानते हैं वे एक बात की गवाही दे सकते हैं- मैं सीधी बात करता हूं। यही मैंने सेना में सीखा है और मैं अपनी आखिरी सांस तक इसका पालन करूंगा। 1984 में अनर्थकारी ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के बाद कांग्रेस छोड़ने वाला मैं पहला व्यक्ति था। मैं उन पहले लोगों में से हूं, जिन्होंने कृषि बिलों के मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान तलाशने और कानून वापस लने का आह्वान किया था। राज्य विधानसभा में और जब यह किया गया है तो अपने राष्ट्र और अपनी अंतरात्मा के प्रति मेरा यह दायित्व बनता है कि मैं इसकी सराहना करूं। पी.एम. मोदी ने जो किया है वह सिख समुदाय के हित में है, यह पंजाब के हित में है और सबसे बढ़कर हमारे राष्ट्र हित में है।-कैप्टन अमरेन्द्र सिंह(पूर्व मुख्यमंत्री पंजाब)


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